रांची: रामगढ़, रांची और चतरा जिले के कोयला माफियाओं और पुलिस अफसरों की मिलीभगत की जांच सीआईडी करेगी. लातेहार के बालूमाथ से कोयला माफियाओं के द्वारा कोयला चोरी कर उत्तर प्रदेश, बिहार, जमशेदपुर और आदित्यपुर समेत कई जिलों में भेजे जाने के मामले में डीजीपी एमवी राव ने सीआइडी जांच के आदेश दिए हैं. डीजीपी के आदेश पर आईजी मुख्यालय मानवाधिकार नवीन सिंह ने सीआइडी एडीजी को पत्र लिखा है. सीआईडी इस मामले में बालूमाथ थाने में दर्ज केस की जांच करेगी. बता दें कि कोयला तस्करी के मामले में लातेहार के बालूमाथ के तत्कालीन डीएसपी रणवीर सिंह, थानेदार राजेश मंडल, दरोगा सुभाष पासवान, डीएसपी के मुंशी राहुल कुमार को प्रारंभिक जांच में दोषी पाया गया है.
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लातेहार पुलिस की एसआईटी ने संदिग्ध आचरण वाले पुलिस पदाधिकारियों के मोबाइल जब्त कर उसकी जांच की थी. एसआईटी की जांच में यह तथ्य सामने आया है कि अवैध कारोबार में लगे माफिया पहले ट्रकों का जुगाड़ करते थे. इसके बाद ट्रकों का नंबर व्हाटसएप या मैसेज के जरिए तत्कालीन थानेदार और राहुल कुमार को नंबर भेजते थे. इसके बाद पुलिस अफसर इन नंबरों को डीएसपी रणवीर को भेजा करते थे. इसके बाद बगैर जांच पड़ताल इन ट्रकों को बालूमाथ क्षेत्र से बाहर जाने की अनुमति दी जाती थी. पुलिस अफसरों की सहमति मिलने के बाद ट्रकों को तेतरियाखाड़, चमातू के रास्ते ले जाया जाता था.
कोयला तस्कर सीआईएसएस और सीसीएल के चेक पोस्ट पर भी सुरक्षाकर्मियों को पैसे देकर निकल जाते थे. संगठित तौर पर कोयले की तस्करी के लिए फर्जी पेपर तैयार किया जाता था. इसके बाद अवैध कोयले की खेंप बंगाल, बिहार, यूपी, जमशेदपुर व आदित्यपुर के इलाके में भेजी जाती थी. पुलिस मुख्यालय के मुताबिक, अवैध कोयला के कारोबार में पुलिस पदाधिकारी और कर्मियों की भूमिका उजागर हुई है. वहीं, कई जिलों के लोगों की संलिप्तता का साक्ष्य भी पुलिस को मिला है. दूसरे राज्यों से भी मामले के तार जुड़ रहे हैं. ऐसे में पूरे मामले में गहराई से जांच की आवश्यकता है. जांच में संगठित रूप से कोयले की तस्करी की बात सामने आई है. ऐसे में सीआईडी से जांच को जरूरी बताया गया है.