रांची: धनबाद के चर्चित गांजा प्रकरण में सीआईडी पूरी तरह से रेस है. सीआईडी की टीम एडीजी अनिल पल्टा के निर्देश पर गांजा प्रकरण में लगभग सभी तकनीकी साक्ष्य जुटाने में सफल हो गई है. सीआईडी की जांच अगर अपने मुकम्मल मुकाम पर पहुंचती है तो इस मामले में कई पुलिस अधिकारी नप जाएंगे.
तत्कालीन एसएसपी सहित कई पुलिस अधिकारी फंसेंगे
20 अगस्त 2019 को धनबाद पुलिस ने एक कार से 40 किलो गांजा बरामद किया था. पुलिस ने इस मामले में कार्रवाई करते हुए सीसीएल के कर्मचारी चिरंजीत घोष को पूरे मामले का किंगपिन बताते हुए जेल भेज दिया था. बाद में इस मामले को लेकर चिरंजीत घोष की पत्नी ने अपने पति को निर्दोष बताते हुए धनबाद पुलिस के अधिकारियों पर कई आरोप लगाए और पुलिस मुख्यालय में जाकर अधिकारियों से मुलाकात की. जांच के दौरान यह पता चला कि चिरंजीत पूरी तरह से निर्दोष है, जिसके बाद 2 अक्टूबर को उसे पुलिस नहीं जेल से रिहा करवाया.
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पुलिस अधिकारियों की मिली भगत
मामले में पुलिस अधिकारियों की मिली भगत को देखते हुए जांच का जिम्मा सीआईडी को दे दिया गया. इस मामले में धनबाद के तत्कालीन सीनियर एसपी, निरसा डीएसपी और कई पुलिसवाले सीआईडी के राडार पर हैं. सीआईडी में एडीजी अनिल पल्टा के आने के बाद इस मामले में अनुसंधान तेजी के साथ हो रहा है. एडीजी अनिल पल्टा के निर्देश पर इस मामले में चार गिरफ्तारियां भी हो चुकी है. इस मामले में सीआईडी की टीम ने धनबाद पुलिस के मुखबिर रहे रवि ठाकुर, नीरज तिवारी, सुनील चौधरी और बंगाल के रहने वाले राजीव राय को धर दबोचा है.
खुलासे के करीब सीआईडी
इस मामले में चारों से अलग-अलग पूछताछ की जा रही है. एडीजी अनिल पल्टा ने बताया कि उनके पास पर्याप्त सबूत हैं और तकनीकी साक्ष्य भी मिले हैं, जिसके आधार पर वे इस केस को जल्द से जल्द बंद करने वाले हैं. ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान सीआईडी एडीजी अनिल पलटा ने बताया कि फिलहाल इस केस के अनुसंधान से जुड़े मामले तो नहीं बताए जा सकते हैं, लेकिन उन्होंने कहा कि उनके पास इतने सबूत और टेक्निकल तथ्य मौजूद हैं, जिसके आधार पर वो इस मामले का पूरी तरह से पर्दाफाश करने में सक्षम होंगे.