रांचीः झारखंड में कोरोना के चलते प्रभावी कदम उठाए जा रहे हैं. इसी क्रम में शेल्टर होम में या बाल सुधार गृह में रहने वाले बच्चों को लेकर पहल शुरू कर दी गई है. भारत सरकार ने इस संबंध में एक पत्र राज्य सरकार को भेजा है, जिसमें आदेश दिया गया है कि शेल्टर होम में रहने वाले बच्चों को उनके परिजनों को सौंप दिया जाए.
ट्रेनिंग भी दी गई
मंगलवार को भारत सरकार के समाज कल्याण विभाग द्वारा राज्यभर के सीडब्लूसी के पदाधिकारी व सदस्यों को इसकी ट्रेनिंग भी दी गई. सुधार गृह में रहने वाले बच्चों पर दर्ज केस की समीक्षा कर उन्हें भी बाहर निकालने की प्रक्रिया शुरू होगी. किशोर न्यास बोर्ड और डालसा ने सुधार गृह में बंद बच्चों पर दर्ज केस की समीक्षा की. इसके बाद उनके जमानत पर छोड़ने का फैसला लिया जाएगा, ताकि ये बच्चे संक्रमण से बच सकें.
सीडब्लूसी पर अहम जिम्मेदारी
मंगलवार को राज्यभर के सीडब्लूसी के पदाधिकारियों और सदस्यों की ट्रेनिंग हुई. ऑनलाइन ट्रेनिंग के जरिए सभी को बताया गया कि सीडब्लूसी शेल्टर होम में रहने वाले या यहां से परिवार के पास भेजे जाने के बाद भी पूरी जिम्मेदारी निभाएगी. दत्तक ग्रहण एजेंसी, खुला आश्रय गृह में बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए ऑनलाइन या वीडियो सेशन करना होगा, जो बच्चे परिवार के पास भेजे जाएंगे, उनकी देखरेख फोन के जरिए की जाएगी. बाल देखरेख संस्थाओं में निवासरत बच्चों एवं स्टाफ की समस्याओं के समाधान के लिए राज्यस्तर पर ऑनलाइन डेस्क भी बनेगा.
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हिंसा की घटनाओं पर नजर रखें
आशंका जतायी गई है कि लॉकडाउन या कोरोना वायरस बीमारी के भय से तनाव और चिंता की स्थिति उत्पन्न हो सकती है. ऐसी स्थिति में यौनजनित घटनाएं बढ़ने की आशंका जतायी गई है. वीडिया कांफ्रेंस, व्हाट्सएप व फोन के माध्यम से घटनाओं पर नजर रखने की जिम्मेदारी भी सीडब्लूसी की होगी.
सुधार गृह से वैध वजहों पर रिहा होंगे बच्चे
किशोर न्यास बोर्ड सुधार गृह में बंद बच्चों को रिहा करेगी. जमानत पर उन बच्चों की रिहाई होगी जिनकी रिहाई के स्पष्ट व वैध वजह हो. सुधार गृह में रहने वाले बच्चों के लिए परामर्श सेवाएं उपलब्ध कराने का आदेश भी दिया गया है. किशोर न्यास बोर्ड को आदेश दिया गया है कि लॉकडाउन या कोराना संक्रमण के दौरान में यौनजनित हिंसा न हो, इसके लिए लगातर सुधार गृह का निरीक्षण करें.