रांचीः कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में ऑक्सीजन के अभाव में हुई मौत के लिए केंद्र को जिम्मेदार ठहराए जाने संबंधी स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के बयान पर राजनीति शुरू हो गई है. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सह सांसद दीपक प्रकाश ने मुख्यमंत्री से पूछा है कि ऑक्सीजन के अभाव में राज्य में कितनी मौत हुईं हैं.
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भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने ऑक्सीजन से मौत मामले में राज्य सरकार पर हमला करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री यह नहीं बताएंगे. राज्य में ऑक्सीजन के अभाव में कितने लोग मरे हैं. सिर्फ बयानबाजी से जनता को गुमराह करेंगे. उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्री ने लोकसभा और राज्य सभा में ऑक्सीजन से मौत पर जो बयान दिए हैं, वह देश के विभिन्न राज्य सरकारों से मिली रिपोर्ट के आधार पर दी गई है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस शासित राज्यों ने भी ऑक्सीजन की कमी से हुई मौत की बात स्वीकार नहीं की है. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य सेवा राज्य का विषय है. इसलिए राज्य सरकार की रिपोर्ट को ही आधार बनाकर बयान दिया गया है.
राज्य सरकार जारी करें आंकड़ा
दीपक प्रकाश ने कहा कि झारखंड सरकार को अपनी रिपोर्ट बतानी चाहिए. ऑक्सीजन के अभाव में किसने लोगों की मौत हुई. उनका आंकड़ा क्या है? उन्होंने केंद्र को क्या रिपोर्ट भेजी है.
मौत के लिए राज्य सरकार जिम्मेवार
दीपक प्रकाश ने कहा कि प्रदेश भाजपा ने राज्य सरकार के कुप्रबंधन को पहले दिन से ही लगातार उजागर किया है. कोरोना संकट में लोग कैसे अस्पतालों में बेड के अभाव में, आवश्यक दवाइयों की कमी, वेंटिलेटर की कमी, ऑक्सीजन की उपलब्धता, रेमडेसीवर इंजेक्शन आदि पर ध्यान आकृष्ट कराया है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने हर संभव सहायता उपलब्ध कराई है. लेकिन राज्य सरकार ने सुविधाओं के प्रबंधन की ओर कोई ध्यान नहीं दिया. उन्होंने कहा कि एक साल से स्वीकृत ऑक्सीजन प्लांट स्थापित नहीं हो सका है और वेंटिलेटर को कबाड़ में फेंक दिया गया है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का सिर्फ एक एजेंडा अपनी नाकामियों को छिपाने के लिये केंद्र पर दोषारोपण करना है.
टीकाकरण में भी भ्रम फैलाया
दीपक प्रकाश ने कहा कि झारखंड में सिर्फ कोरोना के इलाज में लापरवाही नहीं बरती गई, बल्कि इसके बचाव के लिए चल रहे टीकाकरण अभियान पर भी भ्रम फैलाया गया. उन्होंने कहा कि जान बूझकर टीकों की बर्बादी की गई, जिससे टीका बर्बादी में अव्वल राज्य बन गया. उन्होंने कहा कि आपदा में भी राज्य सरकार जनता की सेवा के बजाए दोषारोपण में व्यस्त रही.