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Dumri Byelection 2023: डुमरी उपचुनाव को लेकर तैयारी शुरू, मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने भेजी अनुशंसा - giridih news

जगरनाथ महतो के असामयिक निधन से खाली हुई डुमरी विधानसभा सीट पर उपचुनाव कराने की तैयारी शुरू हो गई है. मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय ने भारत निर्वाचन आयोग से इस सीट पर उपचुनाव कराने का आग्रह किया है.

Dumri Byelection 2023
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Published : Apr 26, 2023, 1:06 PM IST

रांची: शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो के असामयिक निधन से खाली हुए गिरिडीह के डुमरी विधानसभा सीट पर उपचुनाव कराने की तैयारी शुरू हो गई है. विधानसभा सचिवालय से रिक्ति संबंधी चिट्ठी मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय को मिलने के बाद सीईओ के रवि कुमार ने उपचुनाव कराने की अनुशंसा भारत निर्वाचन आयोग से की है. मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय ने झारखंड विधानसभा द्वारा भेजे गये अधिसूचना की प्रति संलग्न करते हुए इस सीट पर संवैधानिक प्रावधानों के अनुरूप उपचुनाव कराने का आग्रह भारत निर्वाचन आयोग से किया है.

यह भी पढ़ें: कौन लेगा जगरनाथ महतो की जगह, अखिलेश महतो हो सकते हैं उत्तराधिकारी या फिर कोई और?

गौरतलब है कि निर्वाचन नियमावली के अनुसार, किसी भी विधानसभा की सीट के असमय, किसी भी वजह से खाली होने पर छह माह के भीतर, वहां उपचुनाव कराये जाने का प्रावधान है. जगरनाथ महतो का निधन 06 अप्रैल को चेन्नई के एमजीएम में इलाज के दौरान हो गया था. उसके बाद से यह सीट खाली है. इस तरह से इस साल 06 अक्टूबर से पहले उपचुनाव करा लिए जायेंगे. इस उपचुनाव के साथ ही झारखंड पंचम विधानसभा में यह छठा उपचुनाव होगा.

राजनीतिक दृष्टि से अहम है डुमरी विधानसभा: गिरिडीह और बोकारो जिला के बीच स्थित डुमरी विधानसभा क्षेत्र राजनीतिक दृष्टि से काफी अहम क्षेत्र माना जाता है. संयुक्त बिहार के समय 1971 में बेरमो विधानसभा से नावाडीह प्रखंड को काटकर डुमरी विधानसभा बनाया गया था. उस समय इस सीट से कांग्रेस के मुरली भगत चुनाव जीतकर विधायक बने थे. इसके बाद 1977 में लालचंद महतो ने इस विधानसभा सीट से पहला चुनाव जनता पार्टी की टिकट पर लड़कर जीत दर्ज की थी. 1980 में झारखंड मुक्ति मोर्चा ने इस सीट पर कब्जा जमाया और पार्टी के उम्मीदवार शिवा महतो जीतने में सफल हो गए. 1985 में भी शिवा महतो झारखंड मुक्ति मोर्चा के टिकट पर जीतने में सफल हुए.

यह भी पढ़ें: Giridih Crime News: फैक्ट्री में काम देने के नाम पर मजदूर से अप्राकृतिक यौनाचार, आरोपी ठेकेदार गिरफ्तार

1990 के विधानसभा चुनाव में जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़ रहे लालचंद महतो ने पिछले दो विधानसभा चुनाव में हार का बदला झारखंड मुक्ति मोर्चा से लिया और वे चुनाव जीत कर विधायक बने. लेकिन 1995 के विधानसभा चुनाव में लालचंद महतो अपनी सीट बचाने में सफल नहीं हुए और एक बार फिर झारखंड मुक्ति मोर्चा के शिवा महतो से वे हार गए. साल 2000 में जगरनाथ महतो चुनाव मैदान में उतरे, मगर लालचंद महतो के आगे वह जीतने में सफल नहीं हो पाए. लेकिन 2005 के विधानसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा के टिकट पर चुनाव लड़ कर जगरनाथ महतो ने अपनी हार का बदला लिया और उसके बाद से लगातार 2019 के विधानसभा चुनाव तक जगरनाथ महतो चुनाव जीतते रहे.

मोदी लहर भी टाइगर को जीतने से नहीं रोक पाई: जगरनाथ महतो 2000 में राजनीति में आए थे, तब वे समता पार्टी से चुनाव लड़े थे. उसके बाद उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा का दामन थामा. टाइगर के नाम से प्रसिद्ध जगरनाथ महतो की विजय यात्रा को मोदी लहर भी नहीं रोक पायी. 2005 से लगातार इस सीट से जीत दर्ज करने वाले जगरनाथ महतो चार बार डुमरी विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर एक अलग पहचान बनाने में सफल हुए. उन्होंने साल 2019 के विधानसभा चुनाव में सर्वाधिक 34,940 वोटों से जीत हासिल की थी.

रांची: शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो के असामयिक निधन से खाली हुए गिरिडीह के डुमरी विधानसभा सीट पर उपचुनाव कराने की तैयारी शुरू हो गई है. विधानसभा सचिवालय से रिक्ति संबंधी चिट्ठी मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय को मिलने के बाद सीईओ के रवि कुमार ने उपचुनाव कराने की अनुशंसा भारत निर्वाचन आयोग से की है. मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय ने झारखंड विधानसभा द्वारा भेजे गये अधिसूचना की प्रति संलग्न करते हुए इस सीट पर संवैधानिक प्रावधानों के अनुरूप उपचुनाव कराने का आग्रह भारत निर्वाचन आयोग से किया है.

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गौरतलब है कि निर्वाचन नियमावली के अनुसार, किसी भी विधानसभा की सीट के असमय, किसी भी वजह से खाली होने पर छह माह के भीतर, वहां उपचुनाव कराये जाने का प्रावधान है. जगरनाथ महतो का निधन 06 अप्रैल को चेन्नई के एमजीएम में इलाज के दौरान हो गया था. उसके बाद से यह सीट खाली है. इस तरह से इस साल 06 अक्टूबर से पहले उपचुनाव करा लिए जायेंगे. इस उपचुनाव के साथ ही झारखंड पंचम विधानसभा में यह छठा उपचुनाव होगा.

राजनीतिक दृष्टि से अहम है डुमरी विधानसभा: गिरिडीह और बोकारो जिला के बीच स्थित डुमरी विधानसभा क्षेत्र राजनीतिक दृष्टि से काफी अहम क्षेत्र माना जाता है. संयुक्त बिहार के समय 1971 में बेरमो विधानसभा से नावाडीह प्रखंड को काटकर डुमरी विधानसभा बनाया गया था. उस समय इस सीट से कांग्रेस के मुरली भगत चुनाव जीतकर विधायक बने थे. इसके बाद 1977 में लालचंद महतो ने इस विधानसभा सीट से पहला चुनाव जनता पार्टी की टिकट पर लड़कर जीत दर्ज की थी. 1980 में झारखंड मुक्ति मोर्चा ने इस सीट पर कब्जा जमाया और पार्टी के उम्मीदवार शिवा महतो जीतने में सफल हो गए. 1985 में भी शिवा महतो झारखंड मुक्ति मोर्चा के टिकट पर जीतने में सफल हुए.

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1990 के विधानसभा चुनाव में जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़ रहे लालचंद महतो ने पिछले दो विधानसभा चुनाव में हार का बदला झारखंड मुक्ति मोर्चा से लिया और वे चुनाव जीत कर विधायक बने. लेकिन 1995 के विधानसभा चुनाव में लालचंद महतो अपनी सीट बचाने में सफल नहीं हुए और एक बार फिर झारखंड मुक्ति मोर्चा के शिवा महतो से वे हार गए. साल 2000 में जगरनाथ महतो चुनाव मैदान में उतरे, मगर लालचंद महतो के आगे वह जीतने में सफल नहीं हो पाए. लेकिन 2005 के विधानसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा के टिकट पर चुनाव लड़ कर जगरनाथ महतो ने अपनी हार का बदला लिया और उसके बाद से लगातार 2019 के विधानसभा चुनाव तक जगरनाथ महतो चुनाव जीतते रहे.

मोदी लहर भी टाइगर को जीतने से नहीं रोक पाई: जगरनाथ महतो 2000 में राजनीति में आए थे, तब वे समता पार्टी से चुनाव लड़े थे. उसके बाद उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा का दामन थामा. टाइगर के नाम से प्रसिद्ध जगरनाथ महतो की विजय यात्रा को मोदी लहर भी नहीं रोक पायी. 2005 से लगातार इस सीट से जीत दर्ज करने वाले जगरनाथ महतो चार बार डुमरी विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर एक अलग पहचान बनाने में सफल हुए. उन्होंने साल 2019 के विधानसभा चुनाव में सर्वाधिक 34,940 वोटों से जीत हासिल की थी.

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