रांची: राजधानी के चर्चित रेमडेसिविर की कालाबाजारी (Remdesivir Black Marketing) के मामले में एडीजी अनिल पालटा (ADG Anil Palta) के नेतृत्व में काम कर रही एसआईटी (SIT) ने पहली चार्जशीट दायर कर दी है. एसआईटी ने सोमवार को जेल में बंद मुख्य आरोपी राजीव कुमार सिंह और सृष्टि अस्पताल के कर्मी मनीष सिन्हा के खिलाफ रांची स्थित अदालत में चार्जशीट दायर किया.
रांची पुलिस ने 28 अप्रैल को राजीव कुमार सिंह को गिरफ्तार किया था. इसके बाद सीआईडी ने उसे जेल भेजा था. गिरफ्तारी के 60वें दिन आरोपी को राहत मिल जाती, ऐसे में एसआईटी ने जांच कर पहली चार्जशीट सौंपी है. वहीं, अदालत ने राजीव कुमार सिंह की जमानत अर्जी भी खारिज कर दी है.
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चार्जशीट में क्या है जिक्र ?
चार्जशीट में जिक्र है कि सृष्टि अस्पताल के मनीष सिन्हा ने अस्पताल में भर्ती दो मरीज श्रवण कुमार और सुधीर मिंज के नाम पर रेमडेसिविर अलॉट कराया था. लेकिन उन मरीजों को रेमडेसिविर की डोज नहीं दी गई. उन मरीजों को आवंटित हुई रेमडेसिविर की सात बॉयल मेडिसिन प्वाइंट राजेश रंजन को दी गई थी. इसके बाद राजेश रंजन ने इस बॉयल को राजीव कुमार सिंह को दिया था. जिसकी कालाबाजारी राजीव कुमार सिंह के द्वारा की गई.
एसआईटी ने अपनी जांच में पाया है कि सृष्टि अस्पताल ने मरीजों को रेमडेसिविर नहीं दिया था, लेकिन इसकी इंट्री बिल में कर दी गई थी. सीआईडी ने इस मामले में आईपीसी की धारा 120 बी, 188, 420, 468, 471 डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट (Disaster Management Act) और इसेंशियल कोमोडिटिज एक्ट (Essential Commodities Act) के तहत चार्जशीट दायर की है.
अनिल पालटा का हुआ था ट्रांसफर, बाद में उन्हें ही दी गई जिम्मेदारी
बता दें कि एडीजी अनिल पालटा के नेतृत्व में एसआईटी काम कर रही है. पिछले दिनों हाई कोर्ट ने कोविड-19 से जुड़ी जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान रेमडेसिविर दवा की कालाबाजारी की जांच सीआईडी को करने को कहा था. सीआईडी ने मामले की जांच शुरू कर दी थी. अदालत ने पूर्व में सुनवाई के दौरान तत्कालीन सीआईडी के एडीजी अनिल पालटा को अदालत में हाजिर होकर जांच की अद्यतन रिपोर्ट पेश करने को कहा था. उन्होंने अदालत में जांच की अद्यतन स्थिति की जानकारी दी थी कि अचानक राज्य सरकार ने अनिल पालटा का सीआईडी से ट्रांसफर कर दिया.
सरकार के इस आदेश को हाई कोर्ट में हस्तक्षेप याचिका दायर कर चुनौती दी गई और बताया गया कि सरकार की मंशा गलत है. सरकार मामले की निष्पक्ष जांच नहीं कराना चाहती है. अधिकारी के ट्रांसफर पर रोक लगाने की मांग की गई थी. इस पर कोर्ट ने सरकार के कदम पर नाराजगी जताई थी. बाद में सरकार ने कोर्ट में यह जानकारी दी थी कि कालाबाजारी मामले की जांच अनिल पालटा ही करेंगे.