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झारखंड सरकार के ई-पास का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, हाई कोर्ट ने खारिज कर दी थी याचिका - Challenge of High Court's decision on e-pass in Jharkhand

झारखंड में ई-पास का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है.

E-pass case in supreme court
झारखंड में ई-पास का मामला सुप्रीम कोर्ट में
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Published : May 26, 2021, 10:55 PM IST

रांची: झारखंड में स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह के दौरान 16 मई से लागू होने नए निर्देश में दिए गए ई-पास का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. पूर्व में हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. हाई कोर्ट ने याचिका को सुनवाई के बाद खारिज कर दिया था. इसके बाद हाई कोर्ट के फैसले के सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है.

देखें पूरी खबर

यह भी पढ़ें: ई-पास की बाध्यता नहीं होगी खत्म, हाईकोर्ट का नीतिगत फैसले पर हस्तक्षेप करने से इंकार

सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप की गुहार

याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से ई-पास के मामले में हस्तक्षेप करने की गुहार लगाई है. याचिकाकर्ता का कहना है कि अगर हमारे घर में बच्चे रोते हैं और अगल-बगल में दूध नहीं मिलता है तो हम गाड़ी लेकर पहले दूध लेने जाएंगे या पहले ई-पास बनवाएंगे . ई-पास बनाने की अनिवार्यता को हटाने की मांग की गई है. याचिकाकर्ता राजन कुमार सिंह ने यह बताया है कि झारखंड सरकार के नए गाइडलाइंस में ई-पास बनाने की जो अनिवार्यता की गई है उसे हटा दिया जाए.

याचिकाकर्ता ने बताया कि लोगों की प्राइवेसी का जो अधिकार है, उसका भी हनन होगा. उन्होंने उदाहरण दिया कि अगर किसी के रिश्तेदार कोविड-19 संक्रमित हैं और उनके घर से दूर रहते हैं और घर से इलाज करवा रहे हैं तो उन्हें दिन में कई बार खाना देने दूध देने और दवाई देने जाना पड़ता है. ऐसे में कोविड-19 संक्रमित की सहायता भी नहीं हो पाएगी. बता दें कि 13 मई को झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में बैठक कर राज्य में लगाए गए स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह को 27 मई तक के लिए बढ़ाया गया था जिसमें कई सख्त निर्देश दिए गए थे. लॉकडाउन अब 3 जून तक के लिए बढ़ा दिया गया है.

रांची: झारखंड में स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह के दौरान 16 मई से लागू होने नए निर्देश में दिए गए ई-पास का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. पूर्व में हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. हाई कोर्ट ने याचिका को सुनवाई के बाद खारिज कर दिया था. इसके बाद हाई कोर्ट के फैसले के सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है.

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सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप की गुहार

याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से ई-पास के मामले में हस्तक्षेप करने की गुहार लगाई है. याचिकाकर्ता का कहना है कि अगर हमारे घर में बच्चे रोते हैं और अगल-बगल में दूध नहीं मिलता है तो हम गाड़ी लेकर पहले दूध लेने जाएंगे या पहले ई-पास बनवाएंगे . ई-पास बनाने की अनिवार्यता को हटाने की मांग की गई है. याचिकाकर्ता राजन कुमार सिंह ने यह बताया है कि झारखंड सरकार के नए गाइडलाइंस में ई-पास बनाने की जो अनिवार्यता की गई है उसे हटा दिया जाए.

याचिकाकर्ता ने बताया कि लोगों की प्राइवेसी का जो अधिकार है, उसका भी हनन होगा. उन्होंने उदाहरण दिया कि अगर किसी के रिश्तेदार कोविड-19 संक्रमित हैं और उनके घर से दूर रहते हैं और घर से इलाज करवा रहे हैं तो उन्हें दिन में कई बार खाना देने दूध देने और दवाई देने जाना पड़ता है. ऐसे में कोविड-19 संक्रमित की सहायता भी नहीं हो पाएगी. बता दें कि 13 मई को झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में बैठक कर राज्य में लगाए गए स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह को 27 मई तक के लिए बढ़ाया गया था जिसमें कई सख्त निर्देश दिए गए थे. लॉकडाउन अब 3 जून तक के लिए बढ़ा दिया गया है.

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