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झारखंड के ज्यादातर आयोग हुए निष्क्रिय! अध्यक्ष के रिक्त पदों पर पक्ष-विपक्ष एक दूसरे पर फोड़ रहे ठीकरा

झारखंड के विभिन्न आयोग में अध्यक्ष का पद खाली है. इस वजह से ज्यादातर आयोग निष्क्रिय हो गए हैं. सत्ताधारी दल और विपक्ष एक दूसरे पर फोड़ इसका ठीकरा रहे हैं.

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Published : Feb 6, 2022, 4:27 PM IST

Updated : Feb 9, 2022, 3:00 PM IST

chairman post vacant in various commissions in Jharkhand
झारखंड

रांचीः झारखंड में हेमंत सोरेन की सरकार में ज्यादातर आयोगों के अध्यक्ष का पद महीनों से रिक्त पड़े हैं, नतीजा यह कि ज्यादातर आयोग निष्क्रिय पड़े हुए हैं. सत्ताधारी दल झारखंड मुक्ति मोर्चा इसके लिए भाजपा और बीजेपी ने सरकार की मंशा और महागठबंधन की दलों में आपसी खींचतान को इसकी वजह बताते हुए एक-दूसरे पर निशाना साध रहे हैं.

इसे भी पढ़ें- Vacant Posts of Commissions: रिक्त पदों पर नियुक्ति नहीं किए जाने पर झारखंड हाई कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

झारखंड के विभिन्न आयोग में अध्यक्ष का पद खाली हैं. सत्ताधारी दल और विपक्ष इसका ठीकरा एक दूसरे पर फोड़ रहे हैं. पूर्व मंत्री और बीजेपी विधायक सीपी सिंह ने इसको लेकर कहा कि मौजूदा सरकार आयोगों को क्रियाशील बनाना ही नहीं चाहती. पूरे मामले पर राज्य के संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि सरकार विकल्प तलाश रही है ताकि बिना नेता प्रतिपक्ष के भी आयोग के अध्यक्षों की नियुक्ति की जा सके. क्योंकि भाजपा द्वारा नेता प्रतिपक्ष के लिए ऐसे व्यक्ति को चुन लेना है जिनका दलबदल का मामला विधानसभा न्यायाधिकरण में चल रहा है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट
सबसे ज्यादा असर झारखंड राज्य महिला आयोग, बाल संरक्षण आयोग जैसे आयोग के डिफंक्ट होने से है. राज्यभर की पीड़ित महिलाओं और बालकों के मामले लंबित पड़े हुए हैं. राज्य अल्पसंख्यक आयोग जैसा महत्वपूर्ण आयोग अप्रैल 2020 से डिफंक्ट है. सूचना आयोग और मानवाधिकार आयोग में भी अध्यक्ष नहीं है. अतिमहत्वपूर्ण सूचना आयोग, मानवाधिकार आयोग जैसे महत्वपूर्ण आयोग का अध्यक्ष का पद भी महीनों से खाली पड़ा है. इन आयोगों में अध्यक्ष के नहीं रहने से अभी आयोगों में सुनवाई नहीं होती और लोगों को न्याय नहीं मिल रहा है.

झामुमो के केंद्रीय समिति सदस्य सुप्रियो भट्टाचार्य इसको लेकर कहते हैं कि आयोग के अध्यक्ष के सेलेक्शन के लिए नेता प्रतिपक्ष का होना जरूरी है पर झारखंड में नेता प्रतिपक्ष का मामला विधानसभा न्यायाधिकरण और उच्च न्यायालय में चल रहा है, ऐसे में परेशानी हो रही है. भाजपा बाबूलाल की जगह किसी अन्य को अपना नेता चुन लें तो सरकार तुरंत सभी आयोग के अध्यक्ष को चुनने की प्रक्रिया शुरू कर देगी.

इसे भी पढ़ें- अध्यक्ष और सदस्यों की कमी से जूझ रहा झारखंड महिला आयोग, तीन हजार से ज्यादा मामले हैं पेंडिंग


भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री सीपी सिंह ने कहा कि झामुमो के नेता बहाना बना रहे हैं. नेता प्रतिपक्ष के चलते नहीं, आपसी खींचतान के चलते डिफंक्ट आयोग है. विधानसभा स्पीकर रह चुके सीपी सिंह ने सरकार से सवाल करते हुए कहते हैं कि महिला आयोग, बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष बहाल करने के लिए तो नेता प्रतिपक्ष की जरूरत नहीं है, फिर वह पद भी क्यों खाली पड़ा है. इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस विधायक और राज्य के संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम ने भाजपा पर कटाक्ष किया है. वो कहते हैं कि बिना नेता प्रतिपक्ष के भी आयोग के अध्यक्ष के चयन कैसे हो सकता है. उन्होंने कहा कि सरकार इसकी राह तलाश रही है और जल्द आयोग के पूर्ण गठन की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. मंत्री ने कहा है कि कोरोना की वजह से देरी हुई है, आयोग को फंक्शनल बनाने की प्रक्रिया जल्द शुरू होगी.

रांचीः झारखंड में हेमंत सोरेन की सरकार में ज्यादातर आयोगों के अध्यक्ष का पद महीनों से रिक्त पड़े हैं, नतीजा यह कि ज्यादातर आयोग निष्क्रिय पड़े हुए हैं. सत्ताधारी दल झारखंड मुक्ति मोर्चा इसके लिए भाजपा और बीजेपी ने सरकार की मंशा और महागठबंधन की दलों में आपसी खींचतान को इसकी वजह बताते हुए एक-दूसरे पर निशाना साध रहे हैं.

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झारखंड के विभिन्न आयोग में अध्यक्ष का पद खाली हैं. सत्ताधारी दल और विपक्ष इसका ठीकरा एक दूसरे पर फोड़ रहे हैं. पूर्व मंत्री और बीजेपी विधायक सीपी सिंह ने इसको लेकर कहा कि मौजूदा सरकार आयोगों को क्रियाशील बनाना ही नहीं चाहती. पूरे मामले पर राज्य के संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि सरकार विकल्प तलाश रही है ताकि बिना नेता प्रतिपक्ष के भी आयोग के अध्यक्षों की नियुक्ति की जा सके. क्योंकि भाजपा द्वारा नेता प्रतिपक्ष के लिए ऐसे व्यक्ति को चुन लेना है जिनका दलबदल का मामला विधानसभा न्यायाधिकरण में चल रहा है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट
सबसे ज्यादा असर झारखंड राज्य महिला आयोग, बाल संरक्षण आयोग जैसे आयोग के डिफंक्ट होने से है. राज्यभर की पीड़ित महिलाओं और बालकों के मामले लंबित पड़े हुए हैं. राज्य अल्पसंख्यक आयोग जैसा महत्वपूर्ण आयोग अप्रैल 2020 से डिफंक्ट है. सूचना आयोग और मानवाधिकार आयोग में भी अध्यक्ष नहीं है. अतिमहत्वपूर्ण सूचना आयोग, मानवाधिकार आयोग जैसे महत्वपूर्ण आयोग का अध्यक्ष का पद भी महीनों से खाली पड़ा है. इन आयोगों में अध्यक्ष के नहीं रहने से अभी आयोगों में सुनवाई नहीं होती और लोगों को न्याय नहीं मिल रहा है.

झामुमो के केंद्रीय समिति सदस्य सुप्रियो भट्टाचार्य इसको लेकर कहते हैं कि आयोग के अध्यक्ष के सेलेक्शन के लिए नेता प्रतिपक्ष का होना जरूरी है पर झारखंड में नेता प्रतिपक्ष का मामला विधानसभा न्यायाधिकरण और उच्च न्यायालय में चल रहा है, ऐसे में परेशानी हो रही है. भाजपा बाबूलाल की जगह किसी अन्य को अपना नेता चुन लें तो सरकार तुरंत सभी आयोग के अध्यक्ष को चुनने की प्रक्रिया शुरू कर देगी.

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भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री सीपी सिंह ने कहा कि झामुमो के नेता बहाना बना रहे हैं. नेता प्रतिपक्ष के चलते नहीं, आपसी खींचतान के चलते डिफंक्ट आयोग है. विधानसभा स्पीकर रह चुके सीपी सिंह ने सरकार से सवाल करते हुए कहते हैं कि महिला आयोग, बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष बहाल करने के लिए तो नेता प्रतिपक्ष की जरूरत नहीं है, फिर वह पद भी क्यों खाली पड़ा है. इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस विधायक और राज्य के संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम ने भाजपा पर कटाक्ष किया है. वो कहते हैं कि बिना नेता प्रतिपक्ष के भी आयोग के अध्यक्ष के चयन कैसे हो सकता है. उन्होंने कहा कि सरकार इसकी राह तलाश रही है और जल्द आयोग के पूर्ण गठन की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. मंत्री ने कहा है कि कोरोना की वजह से देरी हुई है, आयोग को फंक्शनल बनाने की प्रक्रिया जल्द शुरू होगी.

Last Updated : Feb 9, 2022, 3:00 PM IST
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