रांचीः झारखंड में हेमंत सोरेन की सरकार में ज्यादातर आयोगों के अध्यक्ष का पद महीनों से रिक्त पड़े हैं, नतीजा यह कि ज्यादातर आयोग निष्क्रिय पड़े हुए हैं. सत्ताधारी दल झारखंड मुक्ति मोर्चा इसके लिए भाजपा और बीजेपी ने सरकार की मंशा और महागठबंधन की दलों में आपसी खींचतान को इसकी वजह बताते हुए एक-दूसरे पर निशाना साध रहे हैं.
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झारखंड के विभिन्न आयोग में अध्यक्ष का पद खाली हैं. सत्ताधारी दल और विपक्ष इसका ठीकरा एक दूसरे पर फोड़ रहे हैं. पूर्व मंत्री और बीजेपी विधायक सीपी सिंह ने इसको लेकर कहा कि मौजूदा सरकार आयोगों को क्रियाशील बनाना ही नहीं चाहती. पूरे मामले पर राज्य के संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि सरकार विकल्प तलाश रही है ताकि बिना नेता प्रतिपक्ष के भी आयोग के अध्यक्षों की नियुक्ति की जा सके. क्योंकि भाजपा द्वारा नेता प्रतिपक्ष के लिए ऐसे व्यक्ति को चुन लेना है जिनका दलबदल का मामला विधानसभा न्यायाधिकरण में चल रहा है.
झामुमो के केंद्रीय समिति सदस्य सुप्रियो भट्टाचार्य इसको लेकर कहते हैं कि आयोग के अध्यक्ष के सेलेक्शन के लिए नेता प्रतिपक्ष का होना जरूरी है पर झारखंड में नेता प्रतिपक्ष का मामला विधानसभा न्यायाधिकरण और उच्च न्यायालय में चल रहा है, ऐसे में परेशानी हो रही है. भाजपा बाबूलाल की जगह किसी अन्य को अपना नेता चुन लें तो सरकार तुरंत सभी आयोग के अध्यक्ष को चुनने की प्रक्रिया शुरू कर देगी.
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भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री सीपी सिंह ने कहा कि झामुमो के नेता बहाना बना रहे हैं. नेता प्रतिपक्ष के चलते नहीं, आपसी खींचतान के चलते डिफंक्ट आयोग है. विधानसभा स्पीकर रह चुके सीपी सिंह ने सरकार से सवाल करते हुए कहते हैं कि महिला आयोग, बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष बहाल करने के लिए तो नेता प्रतिपक्ष की जरूरत नहीं है, फिर वह पद भी क्यों खाली पड़ा है. इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस विधायक और राज्य के संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम ने भाजपा पर कटाक्ष किया है. वो कहते हैं कि बिना नेता प्रतिपक्ष के भी आयोग के अध्यक्ष के चयन कैसे हो सकता है. उन्होंने कहा कि सरकार इसकी राह तलाश रही है और जल्द आयोग के पूर्ण गठन की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. मंत्री ने कहा है कि कोरोना की वजह से देरी हुई है, आयोग को फंक्शनल बनाने की प्रक्रिया जल्द शुरू होगी.