रांची: साइबर क्राइम का जामताड़ा मॉड्यूल झारखंड को देशभर में बदनाम करता रहा है. झारखंड के जामताड़ा में सक्रिय साइबर अपराधियों के अलग-अलग जिलों के द्वारा अक्सर देशभर में ठगी की वारदातों को अंजाम दिया जाता है. वहीं हाल के दिनों में शिव की नगरी देवघर भी साइबर अपराधियों के नए केंद्र के तौर पर उभरा है. इन दोनों जिलों में साइबर अपराध पर नकेल कसने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय के द्वारा योजना बनाई गई है.
ये भी पढे़ं:- साइबर क्राइम रोकने के लिए पुलिस मुख्यालय ने उठाया कदम, सीआईडी के साइबर सेल में 8 अफसरों की तैनाती
ग्राउंड जीरो से शुरुआत: साइबर क्राइम के लिए बदनाम जामताड़ा और देवघर जिलों में साइबर अपराध पर लगाम कसने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने नई योजना बनायी है. गुरुवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय के ज्वाइंट सेक्रेटरी और डिप्टी सेक्रेटरी रैंक के तीन अफसरों ने सीआईडी की टीम के साथ जामताड़ा और देवघर जिले का दौरा किया. केंद्रीय टीम दोनों जिलों के उन हॉटस्पॉट पर भी गई, जहां से सर्वाधिक साइबर ठगी की घटनाएं हो रही हैं. केंद्रीय टीम ने साइबर अपराध प्रभाव वाले इलाकों में समस्याओं का हाल जाना, वहां के वस्तुस्थिति की भी जानकारी ली. आज (8 जुलाई) केंद्रीय टीम रांची आएगी, इसके बाद इससे संबंधित पहलुओं पर डीजीपी नीरज सिन्हा से भी चर्चा की जाएगी.
पुनर्वास और रोजगार पर जोर: जानकारी के मुताबिक केंद्रीय टीम यह रिसर्च कर रही है कि जिन इलाकों से साइबर अपराध की वारदात हो रही, वहां क्या समस्याएं हैं. साइबर अपराध में शामिल युवाओं का पुनर्वास कैसे हो, युवाओं को रोजगार से कैसे जोड़ा जाए ताकि वह साइबर अपराध की दुनिया में नहीं उतरें, इसे लेकर भी पहल की जा रही है. टीम में शामिल अधिकारियों के मुताबिक, जामताड़ा व देवघर में युवाओं के द्वारा ही साइबर अपराध किया जाता है. कम पढ़े लिखे युवक भी साइबर अपराध की दुनिया में सक्रिय हैं. ऐसे में जामताड़ा या अन्य साइबर प्रभाव वाले इलाकों में साइबर हब खोलने, आईटी के क्षेत्र में कम पढ़े लिखे युवाओं को भी जोड़ने की दिशा में योजना बनाने पर काम किया जाएगा. साइबर के क्षेत्र में हुनर का इस्तेमाल कैसे किया जा सकता है, इसकी भी तैयारी की जा रही है.