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झारखंड के नवनिर्माण का संकल्प के साथ शुरू हुआ आजसू का केंद्रीय महाधिवेशन, सुप्रीमो सुदेश महतो ने उद्घाटन कर किया शुभारंभ - Central Convention of AJSU

आजसू के केंद्रीय महाधिवेशन का शुभारंभ हो गया. झारखंड के नवनिर्माण के संकल्प के साथ इसका शुभारंभ किया गया है. आजसू प्रमुख सुदेश महतो ने महाधिवेशन का उद्घाटन किया. Convention of AJSU Party Begins

Convention of AJSU Party
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Sep 29, 2023, 6:56 PM IST

आजसू का केंद्रीय महाधिवेशन

रांची: झारखंड के नवनिर्माण के संकल्प के साथ आज यानी 29 सितंबर से आजसू पार्टी का केंद्रीय महाधिवेशन शुरू हो गया. राजधानी रांची के मोरहाबादी मैदान में आयोजित इस तीन दिवसीय सम्मेलन के पहले दिन आजसू प्रमुख सुदेश महतो ने राज्य भर से आये पार्टी प्रतिनिधियों का स्वागत कर इसका उद्घाटन किया. इस मौके पर पार्टी सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी समेत पार्टी विधायक और नेता मौजूद रहे.

यह भी पढ़ें: Convention of AJSU Party: रांची में आज से आजसू पार्टी का तीन दिवसीय महाधिवेशन, आगामी चुनाव की रणनीति पर होगा मंथन

उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए आजसू प्रमुख सुदेश महतो ने कहा कि यह एक ऐतिहासिक क्षण है जिसमें बंगाल, झारखंड और ओडिशा के प्रमुख लोग मौजूद हैं. जिन्होंने झारखंड को अलग राज्य बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. पार्टी की ओर से उन्हें सम्मानित भी किया जा रहा है. पार्टी ने महाधिवेशन में राज्य गठन के औचित्य सहित विभिन्न विषयों पर एक वृहत संगोष्ठी का भी आयोजन किया है, जिसमें हमने बड़े मन से अन्य राजनीतिक दलों को भी अपने विचार रखने के लिए आमंत्रित किया है. इस तीन दिवसीय सम्मेलन के जरिए पार्टी न सिर्फ भविष्य की राह तय करेगी बल्कि झारखंड के पुनर्निर्माण का संकल्प भी लेगी.

सात विषयों पर दो दिनों तक होगी परिचर्चा: तीन दिवसीय केंद्रीय महाधिवेशन के पहले दो दिनों में कई विषयों पर परिचर्चा आयोजित की गयी है, जिसके जरिए आजसू पार्टी शिक्षाविदों और आम लोगों की राय जानने की कोशिश करेगी. पहले दिन झारखंड आंदोलन के औचित्य पर विचार रखे गये. इस मौके पर शिक्षाविद् संजय बसु मल्लिक ने कहा कि अलग राज्य की मांग को लेकर सबसे पहले आंदोलन 1938 में शुरू हुआ, फिर 1950 में झारखंड के नाम पर आंदोलन शुरू हुआ, फिर धीरे-धीरे आंदोलन ने जोर पकड़ा और हमें अलग राज्य झारखंड का दर्जा मिला. लेकिन अलग राज्य का जो सपना देखा गया था वह अभी भी अधूरा है.

उन्होंने कहा कि वर्तमान समय का झारखंड मात्र बिहार से अलग होकर एक क्षेत्र के रूप में बना है जबकि यहां के लोगों की मांग वृहद झारखंड की है. सम्मेलन का तीसरा सत्र झारखंडी युवाओं की चुनौतियां, स्थानीयता और नियोजन नीति पर आधारित रहा, जिसका विषय प्रवेश विधायक डॉ. लंबोदर महतो ने किया. इसके अलावा आजसू सम्मेलन में जिन विषयों पर चर्चा का आयोजन होना है, उनमें झारखंड में सामाजिक न्याय और राजनीतिक भागीदारी, झारखंड की भाषा संस्कृति और संविधान संशोधन के प्रस्ताव पर लोग खुलकर अपने विचार रखेंगे.

27-28 दिसंबर 1986 को हुआ था आजसू का पहला सम्मेलन: अलग राज्य आंदोलन के दौरान शहीद निर्मल महतो के सहयोग से 22 जून 1986 को सोनारी, जमशेदपुर में आजसू का गठन किया गया था. असम में बाहरी घुसपैठियों के खिलाफ असम स्टूडेंट यूनियन यानी एएएसयू द्वारा चलाए गए आंदोलन से प्रेरित होकर आंदोलनकारी युवाओं ने आजसू का गठन किया था. 19, 20 और 21 अक्टूबर 1986 को झारखंड के सभी छात्र और बुद्धिजीवी जमशेदपुर के सीताराम डेरा आदिवासी एसोसिएशन हॉल में एकत्र हुए, जहां एक सम्मेलन का आयोजन किया गया.

इस तीन दिवसीय सम्मेलन में झारखंड आंदोलन के नीतिगत निर्णय लिये गये. सम्मेलन में छोटानागपुर संथाल परगना को अलग राज्य का दर्जा देने के बजाय बिहार, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश और उड़ीसा के 26 आदिवासी आबादी वाले जिलों को मिलाकर अलग झारखंड बनाने की मांग का प्रस्ताव पारित किया गया. इसके अलावा सम्मेलन में चरणबद्ध आंदोलन का निर्णय लिया गया. इसी सम्मेलन में आजसू ने नो झारखंड नो इलेक्शन का नारा दिया था. आजसू का पहला अधिवेशन 27-28 दिसंबर 1986 को बंगाल के मेदिनीपुर जिले के झाड़ग्राम टाउन हॉल में हुआ था. इसी अधिवेशन में आजसू की पहली केंद्रीय कमेटी का गठन हुआ. तीन दिवसीय सम्मेलन में 1987 को जनगणना वर्ष के रूप में घोषित किया गया था.

आजसू का केंद्रीय महाधिवेशन

रांची: झारखंड के नवनिर्माण के संकल्प के साथ आज यानी 29 सितंबर से आजसू पार्टी का केंद्रीय महाधिवेशन शुरू हो गया. राजधानी रांची के मोरहाबादी मैदान में आयोजित इस तीन दिवसीय सम्मेलन के पहले दिन आजसू प्रमुख सुदेश महतो ने राज्य भर से आये पार्टी प्रतिनिधियों का स्वागत कर इसका उद्घाटन किया. इस मौके पर पार्टी सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी समेत पार्टी विधायक और नेता मौजूद रहे.

यह भी पढ़ें: Convention of AJSU Party: रांची में आज से आजसू पार्टी का तीन दिवसीय महाधिवेशन, आगामी चुनाव की रणनीति पर होगा मंथन

उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए आजसू प्रमुख सुदेश महतो ने कहा कि यह एक ऐतिहासिक क्षण है जिसमें बंगाल, झारखंड और ओडिशा के प्रमुख लोग मौजूद हैं. जिन्होंने झारखंड को अलग राज्य बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. पार्टी की ओर से उन्हें सम्मानित भी किया जा रहा है. पार्टी ने महाधिवेशन में राज्य गठन के औचित्य सहित विभिन्न विषयों पर एक वृहत संगोष्ठी का भी आयोजन किया है, जिसमें हमने बड़े मन से अन्य राजनीतिक दलों को भी अपने विचार रखने के लिए आमंत्रित किया है. इस तीन दिवसीय सम्मेलन के जरिए पार्टी न सिर्फ भविष्य की राह तय करेगी बल्कि झारखंड के पुनर्निर्माण का संकल्प भी लेगी.

सात विषयों पर दो दिनों तक होगी परिचर्चा: तीन दिवसीय केंद्रीय महाधिवेशन के पहले दो दिनों में कई विषयों पर परिचर्चा आयोजित की गयी है, जिसके जरिए आजसू पार्टी शिक्षाविदों और आम लोगों की राय जानने की कोशिश करेगी. पहले दिन झारखंड आंदोलन के औचित्य पर विचार रखे गये. इस मौके पर शिक्षाविद् संजय बसु मल्लिक ने कहा कि अलग राज्य की मांग को लेकर सबसे पहले आंदोलन 1938 में शुरू हुआ, फिर 1950 में झारखंड के नाम पर आंदोलन शुरू हुआ, फिर धीरे-धीरे आंदोलन ने जोर पकड़ा और हमें अलग राज्य झारखंड का दर्जा मिला. लेकिन अलग राज्य का जो सपना देखा गया था वह अभी भी अधूरा है.

उन्होंने कहा कि वर्तमान समय का झारखंड मात्र बिहार से अलग होकर एक क्षेत्र के रूप में बना है जबकि यहां के लोगों की मांग वृहद झारखंड की है. सम्मेलन का तीसरा सत्र झारखंडी युवाओं की चुनौतियां, स्थानीयता और नियोजन नीति पर आधारित रहा, जिसका विषय प्रवेश विधायक डॉ. लंबोदर महतो ने किया. इसके अलावा आजसू सम्मेलन में जिन विषयों पर चर्चा का आयोजन होना है, उनमें झारखंड में सामाजिक न्याय और राजनीतिक भागीदारी, झारखंड की भाषा संस्कृति और संविधान संशोधन के प्रस्ताव पर लोग खुलकर अपने विचार रखेंगे.

27-28 दिसंबर 1986 को हुआ था आजसू का पहला सम्मेलन: अलग राज्य आंदोलन के दौरान शहीद निर्मल महतो के सहयोग से 22 जून 1986 को सोनारी, जमशेदपुर में आजसू का गठन किया गया था. असम में बाहरी घुसपैठियों के खिलाफ असम स्टूडेंट यूनियन यानी एएएसयू द्वारा चलाए गए आंदोलन से प्रेरित होकर आंदोलनकारी युवाओं ने आजसू का गठन किया था. 19, 20 और 21 अक्टूबर 1986 को झारखंड के सभी छात्र और बुद्धिजीवी जमशेदपुर के सीताराम डेरा आदिवासी एसोसिएशन हॉल में एकत्र हुए, जहां एक सम्मेलन का आयोजन किया गया.

इस तीन दिवसीय सम्मेलन में झारखंड आंदोलन के नीतिगत निर्णय लिये गये. सम्मेलन में छोटानागपुर संथाल परगना को अलग राज्य का दर्जा देने के बजाय बिहार, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश और उड़ीसा के 26 आदिवासी आबादी वाले जिलों को मिलाकर अलग झारखंड बनाने की मांग का प्रस्ताव पारित किया गया. इसके अलावा सम्मेलन में चरणबद्ध आंदोलन का निर्णय लिया गया. इसी सम्मेलन में आजसू ने नो झारखंड नो इलेक्शन का नारा दिया था. आजसू का पहला अधिवेशन 27-28 दिसंबर 1986 को बंगाल के मेदिनीपुर जिले के झाड़ग्राम टाउन हॉल में हुआ था. इसी अधिवेशन में आजसू की पहली केंद्रीय कमेटी का गठन हुआ. तीन दिवसीय सम्मेलन में 1987 को जनगणना वर्ष के रूप में घोषित किया गया था.

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