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Central Coal Secretary In Ranchi: जमीन विवाद की वजह से नहीं शुरू हो पा रही हैं झारखंड की कोल माइंस, केंद्रीय कोयला सचिव की मुख्य सचिव के साथ बैठक - रांची न्यूज

भारत सरकार के कोयला सचिव अमृत लाल मीणा झारखंड के दौरे पर पहुंचे हैं. इस दौरान उन्होंने राज्य में कई कोल ब्लॉक के अब तक शुरू नहीं होने के मामले में झारखंड के मुख्य सचिव के साथ वार्ता की. इस दौरान उन्होंने कोल ब्लॉक को शुरू करने में आ रही अड़चनों को दूर करने के लिए क्या सुझाव दिए जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर.

Central Coal Secretary In Ranchi
Central Coal Secretary Amrit Lal Meena In Ranchi
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Published : Jan 11, 2023, 7:37 PM IST

रांचीः जमीन विवाद की वजह से झारखंड के कई कोल ब्लॉक शुरू नहीं हो पा रहे हैं. ऐसे में झारखंड दौरे पर आए भारत सरकार के कोयला सचिव अमृत लाल मीणा ने बुधवार को झारखंड मंत्रालय में मुख्य सचिव सुखदेव सिंह के साथ बैठक की. करीब ढाई घंटे तक चली इस बैठक में खान सचिव के अलावे सीसीएल और बीसीसीएल के अधिकारी मौजूद थे. बैठक में कोल इंडिया की बीसीसीएल (भारत कोकिंग कोल लिमिटेड), ईसीएल (ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड), सीसीएल (सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड) के प्रोजेक्ट में जमीन विवाद और जिस वजह से कोल ब्लॉक शुरू नहीं हो पा रहा है उसका मुद्दा उठा.

ये भी पढे़ं-Drought Assessment In Jharkhand: केंद्रीय टीम ने रांची के चान्हो प्रखंड पहुंच कर सुखाड़ का किया आकलन

जमीन विवाद के अलावे फॉरेस्ट क्लीयरेंस पर चर्चाः बैठक के बाद केन्द्रीय कोयला सचिव अमृत लाल मीणा ने कहा कि बैठक में जमीन विवाद के अलावे फॉरेस्ट क्लीयरेंस सहित कई मुद्दों पर चर्चा की गई. इस बैठक में सभी जिलों के उपायुक्त भी ऑनलाइन जुड़े हुए थे. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का कोल उत्पादन में पूरा सहयोग मिल रहा है. बैठक में सीसीएल, बीसीसीएल और ईसीएल के जितने भी नए और पुराने प्रोजेक्ट के एक्सटेंशन के साथ जहां काम शुरू हो रहे हैं उनकी समय सीमा फिक्स कर दी गई है.

झरिया पुनर्वास को लेकर बनायी गई कमेटीः झरिया पुनर्वास को लेकर केन्द्रीय कोयला सचिव ने कहा कि इस संबंध में एक कमेटी बनायी गई है. जिसकी रिपोर्ट जल्द ही आएगी. उसके बाद उस पर कार्य शुरू होगा. उन्होंने कहा कि कोल माइंस में खनन शुरू होने के बाद साइंटिफिक रूप से गाइडलाइन जारी किए गए हैं, उसी अनुसार क्लोजर किया जाएगा. इसके लिए मंत्रालय ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं.

कोल माइंस की ऑपरेशनल समस्याओं का जल्द होगा समाधानःवहीं झारखंड सरकार के खान सचिव अबू बकर सिद्दीकी ने कहा कि कोल माइंस को लेकर जो ऑपरेशनल समस्याएं आ रही हैं, उसे दूर करने के लिए भारत सरकार और राज्य सरकार तत्पर है. इससे कहीं ना कहीं राज्य सरकार को भी फायदा होगा. क्योंकि रॉयल्टी की राशि राज्य को प्राप्त होती है. उन्होंने कहा कि जो भी प्रशासनिक अड़चनें इसमें आ रही हैं उसे दूर करने के लिए समयबद्ध निर्देश दिए गए हैं. उन्होंने कहा कि आज की बैठक में बकाया रॉयल्टी पर चर्चा नहीं हुई है.

बैठक में छाया रहा जमीन समस्‍या और फॉरेस्ट क्लीयरेंस का मुद्दाः मुख्य सचिव के साथ हुई इस बैठक में सीसीएल की राजमहल, चित्रा एसपी माइंस, मुगमा क्षेत्र आदि पर विस्तार से चर्चा हुई. इसके अलावे बीसीसीएल की बरोरा क्षेत्र के बरवाबेहरा मौजा की 37.26 एकड़ सरकारी जमीन जो गणेशपुर, आकाशकोटी, बरमसिया में है उसकी भी चर्चा की गई. वहीं केशरगढ़ा मौजा की 112.61 एकड़ के साथ-साथ 116 घर को हटाने का मामला छाया है. बताया गया कि एबीओसीपी खदान के पास सरकारी जमीन में जंगल, झाड़ी उग आई हैं. तेतुलमारी 0.39 एकड़ जमीन, कांटी पहाड़ी ओसीपी 3.58 एकड़, एजीकेसीसी के 3.58 एकड़ सीएनटी जमीन, बस्ताकोला 4 एकड़ जमीन, झरिया भूमिगत आग के दायरे में बसे गोपालीचक क्षेत्र की 400 अवैध कब्जे धारी के कारण लंबित परियोजना आदि शामिल हैं.

रांचीः जमीन विवाद की वजह से झारखंड के कई कोल ब्लॉक शुरू नहीं हो पा रहे हैं. ऐसे में झारखंड दौरे पर आए भारत सरकार के कोयला सचिव अमृत लाल मीणा ने बुधवार को झारखंड मंत्रालय में मुख्य सचिव सुखदेव सिंह के साथ बैठक की. करीब ढाई घंटे तक चली इस बैठक में खान सचिव के अलावे सीसीएल और बीसीसीएल के अधिकारी मौजूद थे. बैठक में कोल इंडिया की बीसीसीएल (भारत कोकिंग कोल लिमिटेड), ईसीएल (ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड), सीसीएल (सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड) के प्रोजेक्ट में जमीन विवाद और जिस वजह से कोल ब्लॉक शुरू नहीं हो पा रहा है उसका मुद्दा उठा.

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जमीन विवाद के अलावे फॉरेस्ट क्लीयरेंस पर चर्चाः बैठक के बाद केन्द्रीय कोयला सचिव अमृत लाल मीणा ने कहा कि बैठक में जमीन विवाद के अलावे फॉरेस्ट क्लीयरेंस सहित कई मुद्दों पर चर्चा की गई. इस बैठक में सभी जिलों के उपायुक्त भी ऑनलाइन जुड़े हुए थे. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का कोल उत्पादन में पूरा सहयोग मिल रहा है. बैठक में सीसीएल, बीसीसीएल और ईसीएल के जितने भी नए और पुराने प्रोजेक्ट के एक्सटेंशन के साथ जहां काम शुरू हो रहे हैं उनकी समय सीमा फिक्स कर दी गई है.

झरिया पुनर्वास को लेकर बनायी गई कमेटीः झरिया पुनर्वास को लेकर केन्द्रीय कोयला सचिव ने कहा कि इस संबंध में एक कमेटी बनायी गई है. जिसकी रिपोर्ट जल्द ही आएगी. उसके बाद उस पर कार्य शुरू होगा. उन्होंने कहा कि कोल माइंस में खनन शुरू होने के बाद साइंटिफिक रूप से गाइडलाइन जारी किए गए हैं, उसी अनुसार क्लोजर किया जाएगा. इसके लिए मंत्रालय ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं.

कोल माइंस की ऑपरेशनल समस्याओं का जल्द होगा समाधानःवहीं झारखंड सरकार के खान सचिव अबू बकर सिद्दीकी ने कहा कि कोल माइंस को लेकर जो ऑपरेशनल समस्याएं आ रही हैं, उसे दूर करने के लिए भारत सरकार और राज्य सरकार तत्पर है. इससे कहीं ना कहीं राज्य सरकार को भी फायदा होगा. क्योंकि रॉयल्टी की राशि राज्य को प्राप्त होती है. उन्होंने कहा कि जो भी प्रशासनिक अड़चनें इसमें आ रही हैं उसे दूर करने के लिए समयबद्ध निर्देश दिए गए हैं. उन्होंने कहा कि आज की बैठक में बकाया रॉयल्टी पर चर्चा नहीं हुई है.

बैठक में छाया रहा जमीन समस्‍या और फॉरेस्ट क्लीयरेंस का मुद्दाः मुख्य सचिव के साथ हुई इस बैठक में सीसीएल की राजमहल, चित्रा एसपी माइंस, मुगमा क्षेत्र आदि पर विस्तार से चर्चा हुई. इसके अलावे बीसीसीएल की बरोरा क्षेत्र के बरवाबेहरा मौजा की 37.26 एकड़ सरकारी जमीन जो गणेशपुर, आकाशकोटी, बरमसिया में है उसकी भी चर्चा की गई. वहीं केशरगढ़ा मौजा की 112.61 एकड़ के साथ-साथ 116 घर को हटाने का मामला छाया है. बताया गया कि एबीओसीपी खदान के पास सरकारी जमीन में जंगल, झाड़ी उग आई हैं. तेतुलमारी 0.39 एकड़ जमीन, कांटी पहाड़ी ओसीपी 3.58 एकड़, एजीकेसीसी के 3.58 एकड़ सीएनटी जमीन, बस्ताकोला 4 एकड़ जमीन, झरिया भूमिगत आग के दायरे में बसे गोपालीचक क्षेत्र की 400 अवैध कब्जे धारी के कारण लंबित परियोजना आदि शामिल हैं.

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