रांचीः झारखंड की हेमंत सरकार ने जांच के लिए सीबीआई को दी गई आम सहमति को वापस ले लिया है. अब झारखंड में हर केस की जांच से पहले केंद्रीय जांच एजेंसी को राज्य सरकार से इजाजत लेनी होगी. इस संबंध में गुरुवार को आदेश जारी कर दिया गया.
झारखंड सरकार ने दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान के सदस्यों को एक कानून के तहत राज्य में शक्तियों और न्यायक्षेत्र के इस्तेमाल की सहमति को वापस लेने संबंधी आदेश गुरुवार को जारी किया. इसके बाद सीबीआई को अब राज्य में शक्तियों और न्यायाक्षेत्र के इस्तेमाल के लिए आम सहमति नहीं होगी,लिहाजा अब उसे किसी भी मामले की जांच के लिए राज्य सरकार की अनुमति लेनी होगी.
क्या है आदेश
गृह, कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग, झारखण्ड सरकार द्वारा (पत्रांक- 10/सी.बी.आई.-408/2020-4278) दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान के सदस्यों को एक कानून ( दिल्ली स्पेशल पुलिस इस्टेबलिशमेंट एक्ट 1946 ( 25 ऑफ 1946) के तहत राज्य में शक्तियों और न्यायक्षेत्र के इस्तेमाल की सहमति को वापस लेने संबंधी आदेश जारी कर दिया गया है. इसके बाद सीबीआई को अब झारखण्ड में शक्तियों और न्यायक्षेत्र के इस्तेमाल के लिए आम सहमति नहीं होगी, जो झारखण्ड सरकार (तत्कालीन बिहार) द्वारा 19 फरवरी 1996 को जारी एक आदेश के तहत दी गई थी. अब सीबीआई को किसी भी मामले की जांच के लिए राज्य सरकार की अनुमति लेनी होगी.
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गौरतलब है कि केंद्रीय जांच ब्यूरो का गठन दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान अधिनियम-1946 के अंतर्गत हुआ था. इस अधिनियम की धारा-5 के तहत सीबीआई को जांच के मामले में देश के किसी भी क्षेत्र में कार्रवाई करने का अधिकार है लेकिन इसके साथ ही इस अधिनियम की धारा-6 में ये कहा गया है कि किसी भी राज्य में प्रवेश के पहले सीबीआई को उस राज्य की सरकार से अनुमति लेनी होगी, बिना राज्य सरकार की अनुमति के सीबीआई की उस राज्य के अधिकार क्षेत्र में एंट्री निषेध है.
राजस्थान-पश्चिम बंगाल ने भी वापस ले ली है आम सहमति
बता दें कि सीबीआई के राज्य में प्रवेश को लेकर महाराष्ट्र से पहले राजस्थान और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों ने सीबीआई के लिए सामान्य सहमति वापस ले ली थी. दोनों ही राज्यों में गैर-बीजेपी पार्टियां शासन में हैं। राजस्थान की गहलोत सरकार के गृह विभाग ने इसी साल जुलाई में इस संबंध में अधिसूचना जारी की थी.