रांची: पूर्वर्ती रघुवर सरकार में सीएम के प्रधान सचिव रहे सुनील बर्णवाल की पत्नी रिचा संचिता की योग्यता का मामला सदन में उठा. विधायक बंधु तिर्की ने अल्प सूचित प्रश्न के तहत सरकार से पूछा कि क्या यह बात सही है कि कोर्ट में लगभग 150 गवर्नमेंट आटोनोमस बॉडी है. उसमें से 80 निकायों का जिम्मा दो वकीलों को ही है. एक वकील का नाम अशोक कुमार सिंह जो भूत पूर्व मुख्य सचिव रहे हैं और दूसरे वकील का नाम रिचा संचिता है, जो आईएस सुनील कुमार बर्णवाल की पत्नी हैं.
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संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने जवाब में कहा कि विधि विभाग द्वारा सभी विभागों और अधिवक्ता से संबंधित मामले में वस्तुस्थिति उपलब्ध करने का अनुरोध किया गया और विभागों से प्राप्त सूचना के आधार पर संबंधित बोर्ड/ निगम और प्राधिकार से संबंधित मामलों के लिए झारखंड हाई कोर्ट में अशोक कुमार सिंह और रिचा संचिता की बतौर अधिवक्ता सेवा ली जा रही है. बंधु तिर्की ने सरकार से पूछा कि सरकारी वकील बनाने में कौन सा नियम और गाइडलाइन फॉलो किया जाता है. कोर्ट में सरकार की तरफ से यह भी बताया गया कि अनुसूचित जनजाति के कितने वकील सरकार के पैनल में आते हैं.
अशोक कुमार सिंह 16 विभागों का काम देख रहे हैं
संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि अशोक कुमार सिंह 16 विभागों का काम बतौर वकील देख रहे हैं. जबकि रिचा संचिता सिर्फ दो विभागों का काम देख रही हैं. उन्होंने कहा कि पूरे मामले की जांच कराई जाएगी और विधि सम्मत फैसला लिया जाएगा. सरकार की तरफ से यह भी बताया गया कि हाई कोर्ट में पैरवी के लिए गठित अधिवक्ताओं के पैनल में जयंत फ्रैंकलिन टोप्पो, स्थायी सलाहकार, लक्ष्मी मुर्मू, स्थायी सलाहकार अनुसूचित जनजाति के दो अधिवक्ता के रूप में नियुक्त हैं.