रांची: सीएम हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में हुई बैठक में मंत्रिमंडल ने मनरेगाकर्मियों को तोहफा दिया है. कैबिनेट ने मनरेगाकर्मियों का मानदेय बढ़ाने के प्रस्ताव को शुक्रवार को बैठक में स्वीकृति दे दी. कैबिनेट ने मनरेगाकर्मियों के मानदेय में 2500 रुपये से 4500 रुपये तक की वृद्धि कर दी है. ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम ने कहा है कि जल्द ही बीमा और ईपीएफ का भी लाभ मनरेगाकर्मियों को मिलेगा. सरकार के इस फैसले से राज्य के पांच हजार मनरेगाकर्मियों को फायदा मिलेगा.
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राज्य सरकार ने संविदा पर लंबे समय से कार्यरत मनरेगाकर्मियों को बड़ी सौगात दी है. इसके तहत अब मनरेगाकर्मियों को 2500 रुपये से 4500 रुपये तक मानदेय में वृद्धि की है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में हुई कैबिनेट की बैठक में लिए गए इस फैसले के बाद राज्य के करीब 5000 मनरेगाकर्मियों को लाभ मिलेगा. सरकार के फैसले के बाद अब इस तरह से मनरेगाकर्मियों के मानदेय में वृद्धि हुई है.
पद पांच वर्ष से कम अनुभव वाले वर्तमान मानदेय वृद्धि पश्चात मानदेय ब्लॉक प्रोग्राम ऑफिसर 19500.00. 23,140रु.टेक्निकल असिस्टेंट(सहायक इंजीनियर) 19234.00. 22000रुग्राम रोजगार सेवक 7500 .00 11000रुअकाउंट असिस्टेंट 10000.00. 14300रु.कंप्यूटर असिस्टेंट 10000.00 14300रुटेक्निकल असिस्टेंट. 17520.00 19000रु(जूनियर इंजीनियर)पद 5 वर्ष से उपर अनुभव वाले वर्तमान मानदेय वृद्धि पश्चात मानदेय ब्लॉक प्रोग्राम ऑफिसर 20000.00. 23,700रु.टेक्निकल असिस्टेंट(सहायक इंजीनियर) 19734.00. 22500रुग्राम रोजगार सेवक 9500 .00 12000रुअकाउंट असिस्टेंट 10500.00. 14800रु.कंप्यूटर असिस्टेंट 10500.00 14800रुटेक्निकल असिस्टेंट 18020.00 19500रु(जूनियर इंजीनियर)
बीमा और ईपीएफ का भी मिलेगा शीघ्र लाभः आलमगीर आलम
ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम ने सरकार के फैसले पर खुशी जताते हुए कहा कि ये मनरेगाकर्मी लंबे समय से आंदोलन कर रहे थे. सरकार ने इनकी मांगों पर विचार करते हुए मानदेय वृद्धि का फैसला किया है, जल्द ही बीमा और ईपीएफ का भी लाभ इन्हें दिया जाएगा. सरकार को मनरेगाकर्मियों के बीमा पर करीब 09 करोड़ और ईपीएफ पर सात करोड़ सालाना खर्च करना होगा. इसे भी जल्द ही मनरेगाकर्मियों को दिया जाएगा.
मनरेगाकर्मियों का लंबे समय से चल रहा था आंदोलन राज्य मेंं करीब 5 हजार मनरेगाकर्मी हैं जो संविदा पर कार्यरत हैं. लंबे समय से ये अपनी सेवा को स्थायी करने की मांग करते रहे हैं. पिछले वर्ष राज्य भर के मनरेगाकर्मी 27 जुलाई से 10 सितंबर तक अनिश्चितकालीन हड़ताल पर रहे थे. सरकार के प्रतिनिधियों और महासंघ के बीच वार्ता के बाद हड़ताल वापस लिया गया था. बाद में ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम के साथ वार्ता हुई जिसमें मानदेय बढ़ाने के अलावे कई सुविधाओं को देने का आश्वासन दिया गया था.
इसके बाद आंदोलन तेज होता देख विभाग ने सजगता दिखाई और 27 अगस्त को ग्रामीण विकास सचिव और मनरेगा आयुक्त के नेतृत्व में मनरेगाकर्मियों के साथ बैठक हुई. इसके बावजूद कोई फलाफल नहीं निकलता देख हाल ही में फिर मनरेगाकर्मियों ने सरकार को अल्टीमेटम दिया था.इधर सरकार के फैसले पर खुशी जताते हुए संघ के नेता महेश सोरेन ने कहा है कि आखिरकार सरकार ने मनरेगाकर्मी की मांगों को मानने का काम किया है.