रांची: व्यवसायियों के हड़ताल की वजह से झारखंड में खाद्यान्न,सब्जी और फलों के थोक व्यवसाय काफी प्रभावित हो गया है. हालत यह है कि सब्जी और फलों की बिक्री से हर दिन करीब 10 करोड़ का कारोबार करने वाला झारखंड में अन्य राज्यों से सेब, अंगूर, संतरा जैसे फल नहीं आ रहे हैं. इससे फल मंडी में सन्नाटा पसरा हुआ है.
रांची के हरमू स्थित फल मंडी में सामान्य दिनों में 40 से 50 ट्रक देश के विभिन्न राज्यों से आते थे. लेकिन हड़ताल के दूसरे दिन भी एक ट्रक नहीं पहुंचा. हड़ताल की यही स्थिति बनी रही तो आने वाले दिनों में खाद्यान्न के साथ-साथ सब्जी और फलों के किल्लत हो जाएगी और झारखंड के लोगों को काफी परेशानी झेलनी पड़ेगी. बता दें कि हरमू फल मंडी में जम्मू कश्मीर से सेब, नागपुर से संतरा, आंध्र प्रदेश और बिहार से केला आदि फल प्रतिदिन पहुंचता है. लेकिन हड़ताल की वजह से 2 दिनों में एक भी गाड़ियां नहीं पहुंची है. इससे मंडी में काम करने वाले मजदूर और ऑटो चालकों की परेशानी भी बढ़ गई है.
झारखंड राज्य कृषि उपज और पशुधन विपणन विधायक 2022 के विरोध में व्यवसायियों का जारी आंदोलन दूसरे दिन भी जारी रहा. हड़ताल की वजह से राजधानी रांची समेत झारखंड के कई शहरों में सेब पहुंचाने वाले कश्मीरी व्यवसायी खासे परेशान हैं. ईटीवी भारत से खास बातचीत में कश्मीरी व्यवसायी मो इकबाल डाल ने बताया कि पहले से ही फल का कारोबार मंदा चल रहा था. इस हड़ताल की वजह से फलों का व्यवसाय और चौपट हो रहा है. यही स्थिति रही तो फल मंडी में रखे सेव और अन्य फल सर जाएंगे, जिसका नुकसान हमारे जैसे कई व्यवसायियों को भुगतना पड़ेगा.
कारोबारी पप्पू भाई ने बताया कि प्रत्येक दिन हरमू फल मंडी में करीब 40 लाख का व्यवसाय होता है. लेकिन हड़ताल की वजह से कारोबार ठप है. उन्होंन कहा कि सरकार शीघ्र हड़ताल को समाप्त कराने की दिशा में कदम उठाए. हड़ताल की वजह से सब्जी और फल मंडी में टेंपो चालकों और मजदूरों की परेशानी बढ़ गई है. मानसिंह मनु कहते हैं कि फल मंडी में सुपरवाइजर का काम करते हैं. सरकार की ओर से बनाये गए काला कानून का खामियाजा आमलोगों के साथ साथ मजदूरों को उठाना पड़ रहा है.
चेंबर ऑफ कॉमर्स के आह्वान पर चल रहा अनिश्चितकालीन हड़ताल के दूसरे दिन भी राज्य भर में जारी रहा. खाद्यान्नों का आवक और जावक बंद है. सब्जी और फलों के थोक व्यवसाय ठप है. इससे राज्य में अब तक 200 करोड़ से ज्यादा का व्यवसाय प्रभावित हुआ है. इसके साथ ही राज्य सरकार को भी राजस्व की क्षति हुई है.