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बिहार के मुंगेर में राजकीय सम्मान के साथ वली रहमानी सुपुर्द-ए-खाक, 10 में से 4 राइफलों से ही दी गई सलामी

इमारत-ए-शरिया के अमीर-ए-शरियत सह सज्जादा नशिं खानकाह रहमानी हजरत मौलाना वली रहमानी के जनाजे की नमाज में 10 हजार से अधिक लोग आए. नीतीश कुमार ने राजकीय सम्मान से सुपुर्द-ए-खाक करने की घोषणा की थी. लेकिन मुंगेर में जवानों की राइफलें ही नहीं चलीं. 10 में से बस 4 राइफलों से सलामी दी गई.

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रहमानी सुपुर्द-ए-खाक
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Published : Apr 4, 2021, 11:29 PM IST

मुंगेर: राजकीय सम्मान के साथ सुपुर्दे खाक हुए इमारत-ए-शरिया के अमीर-ए-शरियत सह सज्जादा नशिं खानकाह रहमानी हजरत मौलाना वली रहमानी के जनाजे की नमाज में लगभग 10 हजार लोग शामिल हुए. उन्हें खानकाह परिसर में ही उनके दादा और उनके पिता के मजार के पास दफनाया गया. इस दौरान एक अजीब वाकया पेश आया. राजकीय सम्मान दिये जाने के दौरान जवानों की राइफलों से गोलियां चलायी ना जा सकीं. अधिकारियों ने एक-एक कर जवानों की राइफलें ठीक की. तब जाकर गोलियां चलीं. इस दौरान मुंगेर DM, DIG, SP सारा तमाशा देख रहे थे.

देखें पूरी रिपोर्ट

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इंसानियत और भाईचारा के थे मिसाल
बिहार ने आज एक बार फिर एक बड़ी शख्सियत को खो दिया. हजरत मौलाना सैयद वली रहमानी इंसानियत और भाईचारे की बेशकीमती मिसाल थे. वे भारत के मुसलमानों के ही नेता नहीं थे, बल्कि भारत के सभी धर्म व जाती के लोगों के रहनुमा भी थे. वली रहमानी साहब मुंगेर खानकाह रहमानी के सज्जादा नशिं सह बिहार, झारखंड एवं उड़ीसा के इमारत-ए-शरिया के अमीर-ए-शरियत थे. 3 मार्च को पटना के एक निजी नर्सिंग होम में उनकी मृत्यु हो गई.

सीएम ने की थी राजकीय सम्मान की घोषणा
उनकी मौत के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजकीय सम्मान के साथ उनके अंतिम संस्कार किए जाने की घोषणा की थी. जिसके बाद मुंगेर जिला प्रशासन राजकीय सम्मान की तैयारी में जुट गया था. देर रात उनका पार्थिव शरीर मुंगेर खानकाह रहमानी पहुंचा. उनका जनाजा मुंगेर पहुंचने के बाद उनकी आखरी जियारत (अंतिम दर्शन) करने के लिए लोगो की भीड़ उमड़ पड़ी.

यह भी पढ़ें- झूठी निकली लखटकिया सब्जी की खेती, जांच करने गए कृषि वैज्ञानिकों को नहीं मिला एक भी पौधा

तिरंगा को ओढ़ाया गया
हजरत वली रहमानी के जनाजे की नमाज खानकाह परिसर में अदा की गई. हजरत वली रहमानी के जनाजे की नमाज उनके बड़े बेटे मौलाना मो. फैसल रहमानी सज्जादा नशिं खानकाह रहमानी की इजाजत पर मौलाना मो. उमरैन महफूज रहमानी खालिफा हजरत साहब अमीर-ए-शरियत सह ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सचिव माले गांव महाराष्ट्र ने पढ़ाई. जनाजे की नमाज के पहले मुंगेर SP व DM ने पहले उनके जनाजे पर तिरंगा ओढ़ाया. उसके बाद फूल माला चढ़ाया. उसके बाद उन्हें राजकीय सम्मान दिया गया.

10 में से चलीं 4 राइफलें
हजरत साहब को राजकीय सम्मान दिये जाने के क्रम में जवानों का राइफल फंस गया. फिर बाद में राइफल ठीक करके किसी तरह से 10 में से मात्र 4 राइफलों से सलामी दी गई. इस दौरान मुंगेर के DM रचना पाटिल और SP मानव जीत सिंह ढिल्लो मूक दर्शक बन तमाशा देख रहे थे. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए युवा राजद के राष्ट्रीय महासचिव अविनाश कुमार विद्यार्थी उर्फ मुकेश यादव ने कहा कि जहां एक ओर बिहार सरकार राज्य की सुरक्षा व्यवस्था पर विशेष खर्चा करती है. वही दूसरी ओर मौके पर जवानों की नाकाम राइफलें बिहार सरकार के सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोल कर रख चुकी है.

मुंगेर: राजकीय सम्मान के साथ सुपुर्दे खाक हुए इमारत-ए-शरिया के अमीर-ए-शरियत सह सज्जादा नशिं खानकाह रहमानी हजरत मौलाना वली रहमानी के जनाजे की नमाज में लगभग 10 हजार लोग शामिल हुए. उन्हें खानकाह परिसर में ही उनके दादा और उनके पिता के मजार के पास दफनाया गया. इस दौरान एक अजीब वाकया पेश आया. राजकीय सम्मान दिये जाने के दौरान जवानों की राइफलों से गोलियां चलायी ना जा सकीं. अधिकारियों ने एक-एक कर जवानों की राइफलें ठीक की. तब जाकर गोलियां चलीं. इस दौरान मुंगेर DM, DIG, SP सारा तमाशा देख रहे थे.

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इंसानियत और भाईचारा के थे मिसाल
बिहार ने आज एक बार फिर एक बड़ी शख्सियत को खो दिया. हजरत मौलाना सैयद वली रहमानी इंसानियत और भाईचारे की बेशकीमती मिसाल थे. वे भारत के मुसलमानों के ही नेता नहीं थे, बल्कि भारत के सभी धर्म व जाती के लोगों के रहनुमा भी थे. वली रहमानी साहब मुंगेर खानकाह रहमानी के सज्जादा नशिं सह बिहार, झारखंड एवं उड़ीसा के इमारत-ए-शरिया के अमीर-ए-शरियत थे. 3 मार्च को पटना के एक निजी नर्सिंग होम में उनकी मृत्यु हो गई.

सीएम ने की थी राजकीय सम्मान की घोषणा
उनकी मौत के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजकीय सम्मान के साथ उनके अंतिम संस्कार किए जाने की घोषणा की थी. जिसके बाद मुंगेर जिला प्रशासन राजकीय सम्मान की तैयारी में जुट गया था. देर रात उनका पार्थिव शरीर मुंगेर खानकाह रहमानी पहुंचा. उनका जनाजा मुंगेर पहुंचने के बाद उनकी आखरी जियारत (अंतिम दर्शन) करने के लिए लोगो की भीड़ उमड़ पड़ी.

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तिरंगा को ओढ़ाया गया
हजरत वली रहमानी के जनाजे की नमाज खानकाह परिसर में अदा की गई. हजरत वली रहमानी के जनाजे की नमाज उनके बड़े बेटे मौलाना मो. फैसल रहमानी सज्जादा नशिं खानकाह रहमानी की इजाजत पर मौलाना मो. उमरैन महफूज रहमानी खालिफा हजरत साहब अमीर-ए-शरियत सह ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सचिव माले गांव महाराष्ट्र ने पढ़ाई. जनाजे की नमाज के पहले मुंगेर SP व DM ने पहले उनके जनाजे पर तिरंगा ओढ़ाया. उसके बाद फूल माला चढ़ाया. उसके बाद उन्हें राजकीय सम्मान दिया गया.

10 में से चलीं 4 राइफलें
हजरत साहब को राजकीय सम्मान दिये जाने के क्रम में जवानों का राइफल फंस गया. फिर बाद में राइफल ठीक करके किसी तरह से 10 में से मात्र 4 राइफलों से सलामी दी गई. इस दौरान मुंगेर के DM रचना पाटिल और SP मानव जीत सिंह ढिल्लो मूक दर्शक बन तमाशा देख रहे थे. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए युवा राजद के राष्ट्रीय महासचिव अविनाश कुमार विद्यार्थी उर्फ मुकेश यादव ने कहा कि जहां एक ओर बिहार सरकार राज्य की सुरक्षा व्यवस्था पर विशेष खर्चा करती है. वही दूसरी ओर मौके पर जवानों की नाकाम राइफलें बिहार सरकार के सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोल कर रख चुकी है.

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