रांची: लंबे संघर्ष और त्याग की बदौलत बिहार का दक्षिणी हिस्सा झारखंड राज्य के रूप में अस्तित्व में आया. लेकिन राज्य बने 22 वर्ष बीत जाने के बाद भी आंदोलनकारियों के चिन्हितीकरण (Jharkhand agitator marking) का काम पूरा नहीं हो पाया है. इसको लेकर गाहे-बगाहे राजनीति होती रहती है. अब तो चिन्हितीकरण के नाम पर दलाली भी शुरू हो गई है. आयोग के कर्मियों ने ईटीवी भारत को बताया कि आंदोलनकारियों का तमगा पा चुके चंद लोग ऐसा काम कर रहे हैं. गलत लोगों को आंदोलनकारी की सूची (List of Jharkhand agitators) में डालने के लिए दबाव डाला जा रहा है. इसका खुलासा हुआ है एएसआई चौधरी राघवेंद्र राय पर लगे आरोपों की पड़ताल के बाद. इनपर आरोप लगा था कि वह आंदोलनकारी की सूची में नाम डालने के बदले पैसे मांगते हैं.
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आयोग (Jharkhand Agitator Marking Commission) के अध्यक्ष दुर्गा उरांव ने ईटीवी भारत को बताया कि उन्होंने शिकायतों की पड़ताल करवाई है. लेकिन राघवेंद्र के खिलाफ दोनों आरोपों की पुष्टि नहीं हो सकी. क्योंकि जिस पते से शिकायत की गई थी वहां भेजा गया पत्र वापस लौट आया जबकि गढ़वा के शिकायतकर्ता का पता सही नहीं निकला. अध्यक्ष दुर्गा उरांव ने कहा कि वह डीआईजी के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं. उन्हें पुलिस के कामकाज का लंबा अनुभव है. उन्होंने अपने अनुभव का हवाला देते हुए बताया कि दोनों शिकायत तो प्रमाणित नहीं हो पाए, फिर भी वह एएसआई के खिलाफ कार्रवाई करेंगे. क्योंकि बिना आग के धुआं नहीं उठता.
आपको जानकार हैरानी होगी कि आंदोलनकारी की मान्यता हासिल करने के लिए आयोग को अबतक करीब 65 हजार आवेदन मिले हैं. आंदोलनकारी चिन्हितीकरण की शुरूआत तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा के कार्यकाल में साल 2012 में हुई थी. जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद के नेतृत्व वाले आयोग ने फरवरी 2020 तक करीब 4,500 लोगों को आंदोलनकारी चिन्हित किया. लेकिन फरवरी 2020 से जून 2021 तक आयोग डिफंक रहा. इसी दौरान जून 2021 में सीएम हेमंत सोरेन ने आंदोलनकारियों की पहचान को प्राथमिकता देते हुए नये सीरे से चिन्हितीकरण की शुरूआत की. इसी आधार पर रिटायर्ड आईपीएस दुर्गा उरांव को आयोग का अध्यक्ष बनाया गया. उनको सपोर्ट करने के लिए सिंतबर 2021 में चक्रधरपुर के भुवनेश्वर महतो और देवघर से नरसिंह मुर्मू को सदस्य बनाया गया. लेकिन मैनपावर की कोई व्यवस्था नहीं की गई. बात जब सीएम तक पहुंचीं, जब जाकर रास्ता निकला.
फिलहाल, आयोग में दो प्रशाखा पदाधिकारी के रूप में विकास प्रसाद और रोहित टोप्पो पदस्थापित हैं. पुलिसकर्मी के रूप में रांची जिला बल के एएसआई चौधरी राघवेंद्र राय और धनबाद जिला बल की गुड्डन रजक पदस्थापित हैं. इसके अलावा जैप-01 के चार जवान, जैप-02 के तीन जवान और जैप-10 के चार जवान चिन्हितीकरण के काम में हाथ बंटा रहे हैं. दुर्गा उरांव की अध्यक्षता में आयोग ने दिसंबर 2021 से दिसंबर 2022 के बीच करीब 900 आंदोलनकारियों का चिन्हितीकरण कर लिया है.
अगले रिपोर्ट में आपको बताएंगे कि आयोग को आंदोलनकारियों के चिन्हितीकरण में किस-किस तरह की परेशानियां उठानी पड़ती है. पेंडिंग आवेदन का स्टेट्स क्या है. चिन्हितीकरण का क्या-क्या आधार है. क्यों राजनीति के ईर्द गिर्द घूमता रहता है आंदोलनकारियों के चिन्हितीकरण का मामला. चिन्हित होने पर आंदोलनकारी या उनके परिवारों को क्या-क्या लाभ मिलते हैं. पूर्व के आयोग और वर्तमान आयोग में क्या बेसिफ फर्क है.