रांची: भाजपा प्रदेश महामंत्री आदित्य साहू ने बुधवार को झामुमो महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य के बयान पर पलटवार किया है. उन्होंने कहा है कि जिस प्रकार से छठ व्रत को लेकर राज्य सरकार ने जनविरोधी तुगलकी फरमान जारी किए थे. उसका आम जन मानस में विरोध हुआ. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने जन आस्था के सवाल पर मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इस आदेश को वापस लेने की अपील की थी, लेकिन अगर झामुमो को यह सब तुष्टीकरण लगता है, तो भाजपा ऐसे तुष्टिकरण के लिए हमेशा तैयार है.
उन्होंने कहा कि कोविड के नियम कंहा थे. जब बसों में भरकर लोगों को भेजा जा रहा था. जनाजे की भीड़ में कोविड के नियम का अनुपालन क्यों नहीं हुआ. मजार की चादर पोशी में नियमों की धज्जियां क्यों उड़ाई गई. बार बालाओं के डांस में सरकार के लोग कहां सोए रहे? उन्होंने कहा कि अपनी पराजय से बौखलाए झामुमो नेता भाजपा पर खीझ उतार रहे. उन्होंने कहा कि झामुमो के नेता अब छठ व्रत धारियों को थूकना, मुहं धोना और नहाना भी सिखला रहे हैं.
उन्होंने कहा कि शर्म आनी चाहिए ऐसी बातों को बोलते हुए, लेकिन ये मानसिक दिवालियेपन के शिकार लोगों के हैं, जो सत्ता मद में अनाप शनाप बोल रहे हैं. यह छठ पूजा को अन्य पूजा से जोड़कर इसका निरादर कर रहे हैं. इस पूजा का संबंध प्रकृति, नदी, घाट, तालाब से है. झामुमो नेता को पता होना चाहिये कि भले ही बड़ा जुलूस नहीं निकाला गया हो, लेकिन लॉक डाउन की स्थिति में भी सरहुल, करम त्योहार प्रकृति की गोद मे सरना स्थल पर ही मनाए गए.
उन्होंने कहा कि झामुमो का विरोधाभाषी बयान समझ से परे है. एक तरफ छठ को सामाजिक समरसता, वाला अमीर गरीब सबका पर्व बता रहे है और फिर छोटे घर वाले गरीब को घर पर ही पूजा करने का आदेश कर रहे. ऐसा गरीब हित समझ से परे है. उन्होंने कहा कि भाजपा के कार्यकर्ता सभी जगह पर घाटों में रहेंगे. साथ ही उन्होंने चुनौती दी कि झामुमो अपने सरकार की पुलिस को भाजपा नेताओं पर केस दर्ज करने का निर्देश जारी करे. भाजपा केस से नहीं डरने वाली.