रांची: भाजपा विधायक शशिभूषण मेहता की नाराजगी शांत होती नहीं दिख रही है. शुक्रवार को बजट सत्र के दौरान सदन में अपने क्षेत्र की समस्या को लेकर सवाल उठाए जाने के लिए समुचित समय नहीं मिलने से नाराज भाजपा विधायक ने इसकी शिकायत पार्टी के अंदर भी की है. लेकिन कार्यवाही के दौरान स्पीकर रबींद्र नाथ महतो ने विधायक इरफान अंसारी को सदन के बाहर धरने पर बैठे बीजेपी विधायक शशिभूषण मेहता को सदन की कार्यवाही में शामिल होने के लिए अंदर लाने के लिए भेजा.
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शनिवार को झारखंड विधानसभा पहुंचे पांकी के भाजपा विधायक शशिभूषण मेहता ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि जब हम अपने क्षेत्र की बात सदन में नहीं उठाएंगे तो क्या बरगद के पेड़ के नीचे अपनी बातों को रखेंगे. जनता ने हमें अपने क्षेत्र की समस्या का समाधान के लिए ही चुन कर भेजा है लेकिन जिस तरह से सीनियर विधायक के द्वारा जूनियर विधायक के साथ बर्ताव किया जाता है तो उसके बाद नाराजगी होना स्वभाविक कारण है.
उन्होंने कहा कि एक आंख में काजल एक आंख में सुरमा वाली बात सदन में हो रही है. विधानसभा अध्यक्ष को भी सभी विधायकों को संरक्षित करने का दायित्व है लेकिन जिस तरह से हमें बोलने का समुचित समय नहीं दिया गया, उससे यही लगता है कि कहीं ना कहीं मेरे साथ भेदभाव किया गया है.
आपकी काबिलियत है कि विधानसभा में कितना समय बोलने के लिए ले पाते हैं- नीरा यादवः शशिभूषण मेहता के द्वारा नाराज होकर सदन में पेपर फाड़े जाने का मामला शांत होता नहीं दिख रहा है. भाजपा विधायक शशिभूषण मेहता के द्वारा सदन में इस तरह से किए गए बर्ताव पर पार्टी के अंदर भी गंभीरता से लिया जा रहा है. पार्टी विधायक नीरा यादव पर सदन में ज्यादा समय तक बोलने का लगे आरोप और शशिभूषण मेहता की नाराजगी के बाद मिली शिकायत पर पार्टी के अंदर मंथन किया जा रहा है.
इन सबके बीच अपने ऊपर लगे आरोपों को खारिज करते हुए भाजपा विधायक नीरा यादव ने कहा कि पार्टी ने जो जिम्मेदारी दी है उसी के अनुसार मैंने सदन में बोला है, सदन में विधायक की काबिलियत पर निर्भर करता है कि कितना समय हुए बोलने के लिए विधानसभा अध्यक्ष से ले पाते हैं. नीरा यादव के इस बयान से स्पष्ट होता है कि शशि भूषण मेहता के द्वारा उनके ऊपर लगाए जा रहे आरोप पर वह झुकने वाली नहीं हैं.
ईटीवी भारत से बात करते हुए नीरा यादव ने कहा है कि सदन में भाजपा को 26 मिनट का समय दिया गया था, जिसमें वो जैसे ही बोलने लगी उस दौरान तीन बार सत्ता पक्ष के द्वारा टोका-टोकी की गई, जिस वजह से अपनी बातों को वह पूरा नहीं कर पाई थी. ऐसे में स्पीकर के अनुमति से ही उन्होंने सदन में अपनी बातों को रखीं. ऐसे में नाराज विधायक को जब समय दी गई तो वह किसी को सुनने के बजाय नाराज होकर निकल गए. बहरहाल शशिभूषण मेहता के द्वारा सदन में पेपर फाड़े जाने का मामला सदन में भले ही शांत हो गया हो मगर पार्टी के अंदर शांत होता नहीं दिख रहा है.