रांचीः झारखंड बीजेपी प्रदेश की हेमंत सरकार पर लगातार हमलावर है. इसी कड़ी में पूर्व कृषि मंत्री रणधीर सिंह ने भी हेमंत सरकार को निशाने पर लिया है. सरकार के 2 वर्ष के कार्यकाल को फेल बताते हुए रणधीर सिंह ने लूटखसोट वाली सरकार बताया है. उन्होंने कहा कि भारत सरकार द्वारा जो भी योजनाओं की राशि दी जा रही है वह जमीन पर उतर नहीं पा रही है. सरकार ने सत्ता में आने के बाद किसानों की ऋण माफी की घोषणा की थी मगर ऐसा नहीं हुआ. पिछली रघुवर सरकार में किसानों के हित के लिए कई कदम उठाए गए थे.
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गुरुवार को भाजपा प्रदेश कार्यालय में आयोजित प्रेस कॉफ्रेंस को संबोधित करते हुए रणधीर सिंह ने कहा कि हेमंत सरकार लूटखसोट वाली सरकार है. उन्होंने कहा कि पिछले दो साल के कालखंड में राज्य के किसानों के लिए सरकार ने कुछ भी नहीं किया. उन्होंने कहा कि कृषि मंत्री को विभाग पर पकड़ नहीं है. हेमंत सरकार को किसान विरोधी सरकार बताते हुए रणधीर सिंह ने कहा कि आंकड़ों के अनुसार राज्य में 11 लाख किसान ऋण लिया हुआ है. बजट में पिछली बार सरकार ने 2000 करोड़ का प्रावधान किया था. इस बार 1200 करोड़ का प्रावधान किया है. हेमंत सरकार ने 2 लाख तक ऋण लेने वाले किसानों को 50 हजार ऋण माफी करने की बात की है जिससे 4 लाख किसानों को लाभ मिलेगा बाकी किसान आज भी एनपीए में है.
बजट की राशि भी खर्च नहीं कर पाई हेमंत सरकारः पूर्व कृषि मंत्री रणधीर सिंह ने हेमंत सरकार को ममता बनर्जी सरकार की राह पर चलने की बात कहते हुए भारत सरकार की योजना के पैसों को खर्च नहीं करने का आरोप लगाया है. हेमंत सरकार पर आरोप लगाते हुए रणधीर सिंह ने कहा कि किसानों को अनुदानित बीज देने के लिए बजट प्रावधान की राशि कम कर दी गई है. बंजर भूमि जीर्णोद्धार के प्रति सरकार उदासीन रही है. 210 करोड़ बजट प्रावधान के बाबजूद एक भी तालाब का जीर्णोद्धार नहीं हुआ है. किसानों से विभाग में बैठे अधिकारी पैसे की मांग कर रहे हैं. मछली पालन के नाम पर 150 करोड़ का बजट प्रावधान में एक भी पैसा खर्च नहीं हुआ है. जनवरी खत्म हो रहे है, सरकार कब पैसा खर्च करेगी. कृषि मेला की बात तो दूर किसानों को एक भी कृषि उपकरण नहीं मिल पा रहा है.
रघुवर सरकार के कार्यकाल का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि पिछली सरकार ने 2028 तक ऑर्गेनिक राज्य बनाने का फैसला लिया था. मगर हेमंत सरकार ने एक भी किसान को ना तो सिक्किम भेजा गया और ना ही इजरायल. बजट प्रावधान की राशि यूं ही पड़ा हुआ है. झारखंड में कृषि कॉलेज बदहाल पड़ा हुआ है. बिरसा कृषि कॉलेज और विश्वविद्यालय को एक भी पैसा अभी तक नहीं मिला है. बड़ी-बड़ी डींग हांकने वाले विभागीय मंत्री किसान समृद्धि योजना की शुरुआत की मगर बजट प्रावधान 45 करोड़ की एक भी पैसे अब तक खर्च नहीं किया है. केंद्रीय योजना के तहत 60 और 40 फीसदी केंद्र और राज्य की भागीदारी से कृषि विकास की योजना से चलाई जाती है. इसमें भी केंद्र के पैसे को सरकार खर्च नहीं कर पा रही है.
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बागवानी मिशन, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना का जिक्र करते हुए रणधीर सिंह ने कहा कि केंद्र से राज्य को 558 करोड़ मिला है मगर झारखंड सरकार पैसा खर्च नहीं कर पा रही है. धान क्रय के नाम पर किसानों को समर्थन मूल्य की राशि देने के नाम झामुमो कांग्रेस ने लंबी चौड़ी बात की थी मगर हकीकत यह है कि केंद्र का ही समर्थन मूल्य के पैसे भी नहीं मिल रहा है. लैम्प्स, पैक्स में धान सीमित रुप से किसानों से लिया जा रहा है. किसानों से धान नहीं खरीद किया जा रहा है.
उन्होंने आगे कहा कि मुख्यमंत्री पशुधन योजना जनता को धोखा देने जैसा है. अनुदान घटाने के कारण सरकार को लाभुक नहीं मिल रहा है. नीली क्रांति राज्य में फेल हो चुका है. मत्स्य मित्र को सरकार प्रशिक्षण देना बंद कर दिया है. इस वजह से नई हैचरी बनना बंद हो गया है. आंध्र प्रदेश की मछली राज्य में धड़ल्ले से बिक रही हैं. ऐनकेन पद्धति से मछली पालन योजना को सरकार ने बंद कर दिया है जिसके कारण मछली पालन में सरकार फिसड्डी साबित हुई है. श्वेत क्रांति में हेमंत सरकार फेल रही है. रघुवर शासन में 4 मिल्क प्लांट बने थे. पश्चिम बंगाल से दूध झारखंड में आना शुरू हो गया है. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को हेमंत सरकार ने बंद कर नई योजना चलाई. 50 करोड़ का बजट प्रावधान किया गया मगर योजना का क्रियान्वयन कैसे होगी इसकी नीति तक नहीं बन पाई है. किसानों को जो क्षति हुआ एक भी आपदा राहत कोष से इन्हें नहीं मिला.