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घर खाली करने का नोटिस पर भड़के बीजेपी विधायक, कहा- बिना हायरार्की के हुआ आवास आवंटन - बीजेपी विधायकों को सरकारी आवास खाली करने के दिए गए निर्देश

राज्य सरकार ने भारतीय जनता पार्टी के विधायकों का पता बदलने को लेकर कवायद शुरू कर दी है. हालांकि यह कवायद पहले ही शुरू की गई थी, जिसके तहत बीजेपी विधायकों को अपना मौजूदा सरकारी आवास खाली करने को कहा गया.

bjp mla erupted over notice to vacate house in ranchi
घर खाली करने की नोटिस पर भड़के बीजेपी विधायक
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Published : Jul 6, 2020, 7:32 PM IST

रांची: प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद अब विधायकों के 'एड्रेस' परिवर्तन का दौर शुरू हो गया है. इस बाबत राज्य सरकार ने विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी के विधायकों का पता बदलने को लेकर कवायद शुरू कर दी है. हालांकि यह कवायद पहले ही शुरू की गई थी, जिसके तहत बीजेपी विधायकों को अपना मौजूदा सरकारी आवास खाली करने को कहा गया. सरकार के आदेश को देखते हुए बीजेपी के लगभग एक दर्जन से अधिक विधायक सामने आए. इनमें से ज्यादातर वैसे विधायक हैं जो कथित तौर पर अपनी 'राजनीतिक हैसियत' से बड़े सरकारी बंगले में रह रहे थे. हालांकि इसको लेकर बीजेपी विधायकों में खासी नाराजगी है.

देखें पूरी खबर


बीजेपी के बोकारो से विधायक विरंची नारायण में आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा कि रांची के अनुमंडल अधिकारी की ओर से जारी की गई नोटिस की भाषा स्वीकार्य नहीं है. उन्होंने राज्य सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन यह साबित करना चाहते हैं कि बीजेपी विधायक सरकारी आवास पर कब्जा करने को आतुर है. बोकारो विधायक ने कहा कि पहले उन्हें आवंटित आवास ठीक करा कर दिया जाए उसके बाद वह उसमें शिफ्ट कर जाएंगे. साथ ही उन्होंने कहा कि जिस भाषा का प्रयोग उनके लिए किया गया है वह आपत्तिजनक है. उन्होंने कहा कि रांची के एसडीओ लेवल के अधिकारी ने नोटिस भेजकर कहा है कि 72 घंटे में अगर आवास खाली नहीं हुआ तो बलपूर्वक खाली कराया जाएगा. साथ ही उन्होंने कहा कि अधिकारी को यह भी जानकारी नहीं है कि वह वर्तमान में विधायक हैं जबकि पूर्व विधायक कहकर नोटिस भेजी गई है. उन्होंने कहा कि इस बाबत वह झारखंड हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने जा रहे हैं.


72 घंटे में आवास खाली करने के दिए गए है निर्देश

हटिया से विधायक नवीन जायसवाल ने कहा कि सत्ता परिवर्तन पहली बार नहीं हुआ है. वह तीसरी बार हटिया विधानसभा के विधायक बने हैं और उन्होंने अपनी बात रखी थी कि वह जिस आवास में रह रहे हैं उसे ही कंटीन्यू किया जाए. हैरत की बात यह है कि उन्हें भी 72 घंटे में आवास खाली करने को कहा गया है. उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण के इस दौर में इस तरह का निर्देश कितना व्यवहारिक होगा यह समझा जा सकता है. उन्होंने साफ तौर पर कहा कि विधायकों के आवास आवंटन में विधायकों की वरिष्ठता को भी नजरअंदाज किया जा रहा है. नए विधायकों को बड़ा तो वरिष्ठ विधायकों को छोटा आवास कथित तौर पर आवंटित किया जा रहा है जो अपने आप में सवालों के घेरे में है.

दूसरे राज्यों में वरिष्ठता का रखा जाता है ध्यान
नवीन जायसवाल ने कहा कि दूसरे राज्यों की व्यवस्था देखी जाए तो साफ होता है कि वरिष्ठ विधायकों को उनकी वरीयता के हिसाब से आवास आवंटित किए जाते हैं. जायसवाल ने कहा कि पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और यहां तक कि गुजरात में भी विधायकों को उनकी वरिष्ठता के आधार पर आवास का आवंटन होता है, लेकिन झारखंड में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है. यहां जो मुख्यमंत्री कहते हैं वही सही माना जाता है.

बता दें, नारायण राजधानी के डोरंडा स्थित सरकारी आवास में रहते हैं, जो पहले झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक और पूर्व कृषि मंत्री मथुरा महतो को अलॉट था. वहीं दूसरी ओर जायसवाल डोरंडा में वन भवन के पास बने सरकारी आवास में रहते हैं, जिसकी चौहद्दी मंत्रियों को आवंटित आवास से कम नहीं है.

रांची: प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद अब विधायकों के 'एड्रेस' परिवर्तन का दौर शुरू हो गया है. इस बाबत राज्य सरकार ने विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी के विधायकों का पता बदलने को लेकर कवायद शुरू कर दी है. हालांकि यह कवायद पहले ही शुरू की गई थी, जिसके तहत बीजेपी विधायकों को अपना मौजूदा सरकारी आवास खाली करने को कहा गया. सरकार के आदेश को देखते हुए बीजेपी के लगभग एक दर्जन से अधिक विधायक सामने आए. इनमें से ज्यादातर वैसे विधायक हैं जो कथित तौर पर अपनी 'राजनीतिक हैसियत' से बड़े सरकारी बंगले में रह रहे थे. हालांकि इसको लेकर बीजेपी विधायकों में खासी नाराजगी है.

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बीजेपी के बोकारो से विधायक विरंची नारायण में आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा कि रांची के अनुमंडल अधिकारी की ओर से जारी की गई नोटिस की भाषा स्वीकार्य नहीं है. उन्होंने राज्य सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन यह साबित करना चाहते हैं कि बीजेपी विधायक सरकारी आवास पर कब्जा करने को आतुर है. बोकारो विधायक ने कहा कि पहले उन्हें आवंटित आवास ठीक करा कर दिया जाए उसके बाद वह उसमें शिफ्ट कर जाएंगे. साथ ही उन्होंने कहा कि जिस भाषा का प्रयोग उनके लिए किया गया है वह आपत्तिजनक है. उन्होंने कहा कि रांची के एसडीओ लेवल के अधिकारी ने नोटिस भेजकर कहा है कि 72 घंटे में अगर आवास खाली नहीं हुआ तो बलपूर्वक खाली कराया जाएगा. साथ ही उन्होंने कहा कि अधिकारी को यह भी जानकारी नहीं है कि वह वर्तमान में विधायक हैं जबकि पूर्व विधायक कहकर नोटिस भेजी गई है. उन्होंने कहा कि इस बाबत वह झारखंड हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने जा रहे हैं.


72 घंटे में आवास खाली करने के दिए गए है निर्देश

हटिया से विधायक नवीन जायसवाल ने कहा कि सत्ता परिवर्तन पहली बार नहीं हुआ है. वह तीसरी बार हटिया विधानसभा के विधायक बने हैं और उन्होंने अपनी बात रखी थी कि वह जिस आवास में रह रहे हैं उसे ही कंटीन्यू किया जाए. हैरत की बात यह है कि उन्हें भी 72 घंटे में आवास खाली करने को कहा गया है. उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण के इस दौर में इस तरह का निर्देश कितना व्यवहारिक होगा यह समझा जा सकता है. उन्होंने साफ तौर पर कहा कि विधायकों के आवास आवंटन में विधायकों की वरिष्ठता को भी नजरअंदाज किया जा रहा है. नए विधायकों को बड़ा तो वरिष्ठ विधायकों को छोटा आवास कथित तौर पर आवंटित किया जा रहा है जो अपने आप में सवालों के घेरे में है.

दूसरे राज्यों में वरिष्ठता का रखा जाता है ध्यान
नवीन जायसवाल ने कहा कि दूसरे राज्यों की व्यवस्था देखी जाए तो साफ होता है कि वरिष्ठ विधायकों को उनकी वरीयता के हिसाब से आवास आवंटित किए जाते हैं. जायसवाल ने कहा कि पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और यहां तक कि गुजरात में भी विधायकों को उनकी वरिष्ठता के आधार पर आवास का आवंटन होता है, लेकिन झारखंड में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है. यहां जो मुख्यमंत्री कहते हैं वही सही माना जाता है.

बता दें, नारायण राजधानी के डोरंडा स्थित सरकारी आवास में रहते हैं, जो पहले झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक और पूर्व कृषि मंत्री मथुरा महतो को अलॉट था. वहीं दूसरी ओर जायसवाल डोरंडा में वन भवन के पास बने सरकारी आवास में रहते हैं, जिसकी चौहद्दी मंत्रियों को आवंटित आवास से कम नहीं है.

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