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Politics on Planning Policy: हेमंत सरकार पर जमकर बरसे बाबूलाल, कहा- चेहरे से उतर गई नकाब

नीयोजन नीति को लेकर झारखंड विधानसभा में सीएम हेमंत सोरेन के दिए बयान पर बीजेपी नेता बाबूलाल मरांडी ने पलटवार किया है. नियोजन नीति के मुद्दे पर सीएम हेमंत सोरेन के चेहरे पर से नकाब उतर गई है.

Seven people injured in collision between auto bike in Latehar
Seven people injured in collision between auto bike in Latehar
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Published : Mar 22, 2023, 5:02 PM IST

Updated : Mar 22, 2023, 5:16 PM IST

बीजेपी विधायक दल के नेता

रांची: झारखंड विधानसभा में बजट सत्र के दौरान सरकार द्वारा 60/40 नाय चलतो को खारिज कर इसे सही बताए जाने पर राजनीति शुरू हो गई है. पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने हेमंत सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि नियोजन नीति के मुद्दे पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के चेहरे पर लगी नकाब पूरी तरह से उतर गई है.

ये भी पढ़ें- Jharkhand News: 60-40 और 1932 पर सदन में खींचतान, बोले सीएम, हम सवालों में नहीं घिरने वाले, भाजपा विधायक पर हो कार्रवाई

विधानसभा परिसर में मीडियाकर्मियों से बात करते हुए बाबूलाल मरांडी ने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जो झारखंड के हितेषी होने का जो दंभ भरते थे वो पूरी तरह से साफ हो गया है. सरकार के इस निर्णय से झारखंड की जनता पूरी तरह से जान चुकी है कि राज्य का हितैषी कौन है. बाबूलाल मरांडी ने पूर्ववर्ती रघुवर सरकार के द्वारा 2016 में बनाई गई नियोजन नीति की सराहना करते हुए कहा कि अगले 10 वर्षों के लिए तृतीय और चतुर्थ वर्गों की नौकरी को स्थानीय लोगों के लिए रिजर्व कर दिया गया था. लेकिन हेमंत सोरेन की सरकार आते ही उसे खारिज कर दिया गया.

उन्होंने कहा कि अब तो झारखंड की जनता खुद ही उस पर विचार करेगी कि यहां के नौजवानों के हितों के लिए कौन सी सरकार हितेषी रही है. जो सरकार बार-बार दावा कर रही थी कि 1932 और इसके लिए यात्राएं निकाल रही थी और अब उनके पास कुछ भी कहने के लिए नहीं हैं. अब साफ हो गया है की रघुवर सरकार के फैसले राज्य की जनता के लिए ही उचित था. 1985 स्थानीयता का मापदंड बनाया गया था और झारखंड के नौजवानों के लिए सरकारी नौकरी के लिए 10 वर्षों के लिए आरक्षित किया गया था उसे यदि चाहते तो हेमंत सोरेन अगले 10 वर्षों के लिए आरक्षित कर सकते थे. लेकिन उसे पूरी तरह से समाप्त करके उन्होंने कुछ भी नहीं किया अब झारखंड की जनता देख रही है की वर्तमान सरकार ने क्या किया. वर्तमान सरकार नियोजन नीति के मुद्दे पर राजनीति खेल ही खेलने में लगी रही और राज्य के नौजवानों के साथ छल करने का काम करती रही.

ओबीसी विरोधी है हेमंत सरकार: बाबूलाल मरांडी ने हेमंत सरकार को ओबीसी विरोधी बताते हुए कहा कि यह सरकार चाहती नहीं है कि पिछड़ों को वाजिब हक मिले. गलत नियोजन नीति के कारण राज्य सरकार की नियोजन नीति हाई कोर्ट में खारिज होती रही. याद करिए जब हमारी सरकार थी और हमने आरक्षण का दायरा 73% करने का निर्णय लिया तो हाई कोर्ट में यह कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट में तमिलनाडु का एक मामला चल रहा है, वह फैसले आने के बाद सरकार इस पर निर्णय ले. रघुवर सरकार ने बाद में ओबीसी आरक्षण को लेकर सर्वे कराने का काम शुरू ही किया था और उनकी सरकार चली गई. कायदे से हेमंत सोरेन को एक आयोग गठित कर ट्रिपल टेस्ट के जरिए एक बार सर्वे करा कर उसके बाद ओबीसी की आबादी चुकी बड़ी तादाद में है उसको ध्यान में रखकर उसके बाद रिजर्वेशन की पॉलिसी बनाई जाती तो उन लोगों के हक को मारा नहीं जाता मगर ऐसा नहीं हुआ.

बीजेपी विधायक दल के नेता

रांची: झारखंड विधानसभा में बजट सत्र के दौरान सरकार द्वारा 60/40 नाय चलतो को खारिज कर इसे सही बताए जाने पर राजनीति शुरू हो गई है. पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने हेमंत सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि नियोजन नीति के मुद्दे पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के चेहरे पर लगी नकाब पूरी तरह से उतर गई है.

ये भी पढ़ें- Jharkhand News: 60-40 और 1932 पर सदन में खींचतान, बोले सीएम, हम सवालों में नहीं घिरने वाले, भाजपा विधायक पर हो कार्रवाई

विधानसभा परिसर में मीडियाकर्मियों से बात करते हुए बाबूलाल मरांडी ने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जो झारखंड के हितेषी होने का जो दंभ भरते थे वो पूरी तरह से साफ हो गया है. सरकार के इस निर्णय से झारखंड की जनता पूरी तरह से जान चुकी है कि राज्य का हितैषी कौन है. बाबूलाल मरांडी ने पूर्ववर्ती रघुवर सरकार के द्वारा 2016 में बनाई गई नियोजन नीति की सराहना करते हुए कहा कि अगले 10 वर्षों के लिए तृतीय और चतुर्थ वर्गों की नौकरी को स्थानीय लोगों के लिए रिजर्व कर दिया गया था. लेकिन हेमंत सोरेन की सरकार आते ही उसे खारिज कर दिया गया.

उन्होंने कहा कि अब तो झारखंड की जनता खुद ही उस पर विचार करेगी कि यहां के नौजवानों के हितों के लिए कौन सी सरकार हितेषी रही है. जो सरकार बार-बार दावा कर रही थी कि 1932 और इसके लिए यात्राएं निकाल रही थी और अब उनके पास कुछ भी कहने के लिए नहीं हैं. अब साफ हो गया है की रघुवर सरकार के फैसले राज्य की जनता के लिए ही उचित था. 1985 स्थानीयता का मापदंड बनाया गया था और झारखंड के नौजवानों के लिए सरकारी नौकरी के लिए 10 वर्षों के लिए आरक्षित किया गया था उसे यदि चाहते तो हेमंत सोरेन अगले 10 वर्षों के लिए आरक्षित कर सकते थे. लेकिन उसे पूरी तरह से समाप्त करके उन्होंने कुछ भी नहीं किया अब झारखंड की जनता देख रही है की वर्तमान सरकार ने क्या किया. वर्तमान सरकार नियोजन नीति के मुद्दे पर राजनीति खेल ही खेलने में लगी रही और राज्य के नौजवानों के साथ छल करने का काम करती रही.

ओबीसी विरोधी है हेमंत सरकार: बाबूलाल मरांडी ने हेमंत सरकार को ओबीसी विरोधी बताते हुए कहा कि यह सरकार चाहती नहीं है कि पिछड़ों को वाजिब हक मिले. गलत नियोजन नीति के कारण राज्य सरकार की नियोजन नीति हाई कोर्ट में खारिज होती रही. याद करिए जब हमारी सरकार थी और हमने आरक्षण का दायरा 73% करने का निर्णय लिया तो हाई कोर्ट में यह कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट में तमिलनाडु का एक मामला चल रहा है, वह फैसले आने के बाद सरकार इस पर निर्णय ले. रघुवर सरकार ने बाद में ओबीसी आरक्षण को लेकर सर्वे कराने का काम शुरू ही किया था और उनकी सरकार चली गई. कायदे से हेमंत सोरेन को एक आयोग गठित कर ट्रिपल टेस्ट के जरिए एक बार सर्वे करा कर उसके बाद ओबीसी की आबादी चुकी बड़ी तादाद में है उसको ध्यान में रखकर उसके बाद रिजर्वेशन की पॉलिसी बनाई जाती तो उन लोगों के हक को मारा नहीं जाता मगर ऐसा नहीं हुआ.

Last Updated : Mar 22, 2023, 5:16 PM IST
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