रांची: प्रदेश के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो की ओर से निजी स्कूलों की फीस माफी की घोषणा अब राजनीतिक रंग लेने लगी है. इस बाबत बीजेपी ने राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि इस मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को हस्तक्षेप करना चाहिए.
राज्य सरकार अपना स्टैंड करें क्लियर
इस मामले में बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता दीनदयाल बरनवाल ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. इस दौरान मंगलवार को उन्होंने कहा कि शिक्षा मंत्री की घोषणा हुए लंबा अरसा बीत गया है, लेकिन अभी तक राज्य सरकार ने इस बाबत कोई निर्णय नहीं लिया है. उन्होंने कहा कि जिन स्कूलों ने फीस ले ली है, उनसे सरकार कैसे डील करेगी, इसे बताना चाहिए. इसको लेकर राज्य सरकार को अपना स्टैंड क्लियर करना चाहिए. उन्होंने कहा कि हेमंत सरकार के सभी मंत्री काफी जल्दबाजी में रहते हैं. यही वजह है कि उनकी बातें महज घोषणाएं रह जाती हैं. उन्होंने कहा कि राज्य के लगभग 10 लाख अभिभावक असमंजस वाली स्थिति में हैं.
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स्कूल है बंद, लेकिन ली जा रही है ट्रांसपोर्टेशन और अन्य फीस
प्रदेश प्रवक्ता ने दावा किया कि निजी स्कूल न केवल ट्यूशन फीस ले रहे हैं, बल्कि अन्य मदों में भी फीस वसूलने का सिलसिला जारी है. हैरत की बात यह है कि लॉकडाउन में स्कूल के दरवाजे बंद हैं. बावजूद इसके ट्रांसपोर्ट के पैसे भी वसूले जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि मंत्री की घोषणा को ब्यूरोक्रेसी गंभीरता से नहीं ले रही है. यह भी एक कारण है जिस वजह से यह मामला अभी तक लटका हुआ है. उन्होंने कहा कि नायक बनकर मंत्री ने फैसला किया, लेकिन अभी तक नतीजा सिफर है.
हीरो की तरह नहीं, जनसेवक की तरह करें काम
बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता ने कहा कि सरकार को यह सोचना चाहिए कि फिल्मी हीरो की तरह निर्णय लेने से चीजें आसान नहीं होती हैं. उसके लिए कार्य योजना बनाई जाती है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री इस सरकार के मुखिया हैं और उन्हें आगे बढ़कर चीजें स्पष्ट करनी चाहिए, ताकि लोगों के मन में कोई कंफ्यूजन नहीं रहे. आंकड़ों के अनुसार राज्य में निजी स्कूलों की संख्या लगभग 18 हजार से अधिक है. वैसी हालत में उनमें पढ़ने वाले बच्चों की संख्या 10 लाख से अधिक होगी.