रांची: बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने विवादों में घिरे मंत्री मिथिलेश ठाकुर की पत्नी के टेंडर प्रकरण की उच्च न्यायालय के सिटिंग जज से जांच कराने की मांग की है. उन्होंने सवाल किया कि मंत्री मिथिलेश ठाकुर बताएं कि उनकी पत्नी की फर्म को किस आधार पर 8.75 करोड़ रुपये का ठेका मिला.
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भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने आरोप लगाया कि हेमंत सोरेन सरकार अपने कार्यकाल के पहले 2 वर्ष तक सिर्फ कोरोना का बहाना करके जनहित के कामों पर बहाने बनाती रही, जबकि वास्तविकता यह रही कि इसी दौरान मुख्यमंत्री, उनके सगे संबंधी और मंत्रियों के रिश्तेदारों को सरकार ने उपकृत किया. प्रतुल शाहदेव ने कहा कि मुख्यमंत्री का माइनिंग लीज तो जगजाहिर है लेकिन पेयजल और स्वच्छता मंत्री मिथिलेश ठाकुर की पत्नी की फर्म सत्यम बिल्डर्स को झारखंड भवन निर्माण निर्माण निगम ने जून 2021 में 8.75 करोड़ रुपये का काम आवंटित किया. प्रतुल शाहदेव ने कहा कि यह सीधा भ्रष्टाचार का मामला प्रतीत होता है. मंत्रीजी को स्पष्ट करना चाहिए की उनकी पत्नी के फर्म को ही यह टेंडर कैसे मिला ?
बीजेपी प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि स्थानीय लोगों को टेंडर देने की मुख्यमंत्री की घोषणा का अर्थ सिर्फ उनके अपने कैबिनेट मंत्री और उनके सगे संबंधियों के लिए था. प्रतुल शाहदेव ने कहा मिथिलेश ठाकुर बार-बार कहते हैं कि उन्होंने फर्म से इस्तीफा दे दिया था. अब तक उन्होंने यह नहीं बताया कि यह इस्तीफा उन्होंने निबंधन कार्यालय और जो जिन विभागों में उनका फर्म काम करता था उसमें कब भेजा. प्रतुल शाहदेव ने कहा कि आदिवासी मूल वासियों को हक दिलाने के नाम पर झारखंड में बनी इस सरकार ने इन्हीं वर्गों के हितों की अनदेखी की.
न्यायिक जांच की उठी मांगः बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा कि आदिवासी को दिए जाने वाले उद्योग के लिए जमीन और खनन पट्टों पर भी सिर्फ सोरेन परिवार का एकाधिकार रहा है. स्थानीय लोगों को 25 करोड़ रुपये तक के टेंडर देने का आदेश पारित हुआ पर ऐसे टेंडर मंत्री के रिश्तेदारों को मिलते रहे. उन्होंने कहा कि यह सरकार आकंठ भ्रष्टाचार में डूबी है और इसने भ्रष्टाचार के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. भ्रष्टाचार पर रोकथाम और पारदर्शी शासन के लिए लोकायुक्त और सूचना आयोग जैसी संस्थाएं हैं जिन्हें सरकार ने पंगु बना दिया है. उन्होंने कहा कि मिथिलेश ठाकुर की पत्नी को मिले टेंडर प्रकरण के पूरे मामले की जांच उच्च न्यायालय के सिटिंग जज से सरकार को करानी चाहिए.