रांची: झारखंड भाजपा के नवमनोनीत प्रदेश अध्यक्ष सह झारखंड के प्रथम मुख्यमंत्री रहे बाबूलाल मरांडी के राजनीतिक सलाहकार सुनील तिवारी को बड़ी राहत मिली है. हाईकोर्ट ने उनके खिलाफ पीड़क कार्रवाई पर रोक बरकरार रखी है. यह मामला चाइल्ड लेबर केस से जुड़ा हुआ है. उनपर नाबालिग आदिवासी युवती के साथ यौन शोषण का आरोप है. उनके खिलाफ अरगोड़ा थाने में मामला दर्ज हुआ था.
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इस मामले में साल 2021 में झारखंड पुलिस ने उन्हें उत्तर प्रदेश से गिरफ्तार किया था. उसके बाद उन्हें रांची जेल भेज दिया गया था. बाद में उन्हें हाईकोर्ट से सशर्त जमानत मिली थी. शुक्रवार को हाईकोर्ट के जस्टिस नवनीत कुमार की अदालत में मामले की आंशिक सुनवाई हुई. प्रार्थी के अधिवक्ता प्रशांत पल्लव के आग्रह पर अदालत ने पूर्व में दिए गए अंतरिम राहत को अगले आदेश तक के लिए बढ़ा दिया है. सुनील तिवारी ने ईटीवी भारत को बताया कि उनको एक साजिश के तहत फंसाया गया है. उन्होंने कहा कि पूरे मामले की सीबीआई जांच होनी चाहिए.
पीड़क कार्रवाई पर रोक बरकरार: इस मामले में 28 जून को रांची पुलिस ने चार्जशीट दाखिल किया था. इस केस में बच्ची को रेस्क्यू कराने के बाद सीडब्ल्यूली में उसका बयान भी दर्ज हुआ था. बाद में सशर्त जमानत के बाद हाईकोर्ट ने सुनील तिवारी के खिलाफ पीड़क कार्रवाई पर रोक लगा दी थी. आज की सुनवाई के बाद कोर्ट ने राहत को बरकरार रखने का आदेश जारी किया है.
नाबालिग के भाई ने आरोपों को बताया झूठा: खास बात है कि नाबालिग के भाई ने पुलिस के आरोपों को झूठा बताते हुए हाईकोर्ट में आईए दायर कर रखा है. उसका आरोप है कि 15 अगस्त 2021 को पुलिस जबरन उसके घर से उसकी बहन और परिवार के सदस्यों को उठाकर ले गई थी. उसकी दलील है कि सुनील तिवारी ने उसके और उसकी बहन की पढ़ाई को पूरा खर्चा उठा रखा था. उनके खिलाफ राजनीतिक षडयंत्र के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है.
कौन हैं सुनील तिवारी: सुनील तिवारी पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के बेहद करीबी माने जाते हैं. उनके जीवन का लंबा समय उपराजधानी दुमका में गुजरा है. जानकारी के मुताबिक उनके पिताजी दुमका में आयुर्वेद चिकित्सक के रूप में पदस्थापित थे. सुनील तिवारी दुमका के रसिकपुर इलाके में रहते थे. वह बतौर पत्रकार कई अखबारों से भी जुड़े रहे हैं. उन्होंने दुमका के मेन रोड में बैग-अटैची का व्यवसाय भी किया है. राज्य बनने के बाद वह रांची में शिफ्ट हो गए.