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वेतनमान में वृद्धि की मांग को लेकर घंटी आधारित शिक्षकों का आंदोलन, सरकार पर लगाया यूजीसी गाइडलाइन के उल्लंघन का आरोप

झारखंड के सरकारी विश्वविद्यालयों में काम कर रहे घंटी आधारित शिक्षक आंदोलन पर उतर आए हैं. शिक्षकों ने सरकार पर यूजीसी गाइडलाइन का उल्लंघन करने का आरोप लगाते हुए वेतनमान में वृद्धि करने की मांग (protest demanding increase in salary) की है.

Bell based teachers protest
Bell based teachers protest
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Published : Aug 6, 2022, 4:29 PM IST

रांची: शिक्षकों की कमी को दूर करने के उद्देश्य से झारखंड सरकार के उच्च शिक्षा विभाग और विश्वविद्यालयों ने सामंजस्य स्थापित कर राज्य भर के सरकारी विश्वविद्यालयों में 4 साल पहले घंटी आधारित शिक्षकों (Bell based teachers) की बहाली की थी. इस नियुक्ति से विश्वविद्यालयों में सुचारू रूप से पठन-पाठन हो रहा है. विश्वविद्यालय फायदे में है लेकिन, ये शिक्षक इन दिनों दयनीय हालत में हैं. लगातार मानदेय बढ़ाने की मांग को लेकर आंदोलन (protest demanding increase in salary) कर रहे हैं.

इसे भी पढ़ें: भारत सरकार के अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्था आयोग का निर्देश, अल्पसंख्यक स्कूलों में ना हो शिक्षकों की कमी

क्या है पूरा मामला: झारखंड के सरकारी विश्वविद्यालयों (Government universities of Jharkhand) में शिक्षकों की घोर कमी है. पिछले कई सालों से राज्य के तमाम सरकारी विश्वविद्यालय शिक्षकों की कमी की मार झेल रही है. इस परेशानी को दूर करने के उद्देश्य से 4 साल पहले सरकार की ओर से यूजीसी गाइडलाइन के तहत विभिन्न विश्वविद्यालयों में अनुबंध पर घंटी आधारित शिक्षकों की नियुक्ति की गई थी. शिक्षकों को एक घंटी के आधार पर उनका मानदेय तय किया जाता है. प्रत्येक घंटी (एक क्लास लेने पर) उन्हें 600 रुपये दिए जाते हैं. एक दिन में अधिकतम 4 घंटी क्लास लेने की अनुमति है लेकिन, इन शिक्षकों की घंटी निर्धारित क्लास के प्रत्येक दिन 4 घंटी पूरे नहीं होते हैं. ऐसे में इनके मानदेय में काफी असमानताएं हैं. किसी शिक्षक को महीने में 10,000 तो किसी शिक्षक को 35,000 हजार मानदेय प्राप्त होता है. यह शिक्षक बार-बार सरकार से समान काम के बदले समान वेतन निर्धारित करने की मांग कर रहे हैं. ताकि उनका भी घर परिवार सही तरीके से चल सके और उन्हें आर्थिक परेशानी का सामना न करना पड़े.

देखें पूरी खबर

देते हैं एक्स्ट्रा क्लास: नियमित शिक्षकों से अधिक समय यह शिक्षक कॉलेज और विभागों में बिताते हैं. शोधार्थियों को एक्स्ट्रा क्लास भी देते हैं. योग्यता धारी होने के कारण उन शिक्षकों की तुलना में इनके पठन-पाठन की गुणवत्ता ज्यादा अच्छी होती है. इसके बावजूद इन शिक्षकों के साथ अन्याय किया जा रहा है.

यूजीसी गाइडलाइन के उल्लंघन का आरोप: शिक्षकों का आरोप है कि राज्य सरकार के शिक्षा विभाग इन शिक्षकों के साथ दोहरी व्यवस्था अपना रही है. उन्होंने कहा यूजीसी गाइडलाइन (UGC Guidelines) के तहत पूरी तरह कहा गया है कि निर्धारित समय होने पर जेपीएससी के माध्यम से शिक्षकों को धीरे धीरे स्थायीकरण की ओर ले जाना है. वहीं समान काम के बदले समान वेतन भी देखना है. इसके बावजूद विभाग का इस ओर ध्यान ना देना, कहीं से भी विश्वविद्यालय और शिक्षक के हित में नहीं है.

रांची: शिक्षकों की कमी को दूर करने के उद्देश्य से झारखंड सरकार के उच्च शिक्षा विभाग और विश्वविद्यालयों ने सामंजस्य स्थापित कर राज्य भर के सरकारी विश्वविद्यालयों में 4 साल पहले घंटी आधारित शिक्षकों (Bell based teachers) की बहाली की थी. इस नियुक्ति से विश्वविद्यालयों में सुचारू रूप से पठन-पाठन हो रहा है. विश्वविद्यालय फायदे में है लेकिन, ये शिक्षक इन दिनों दयनीय हालत में हैं. लगातार मानदेय बढ़ाने की मांग को लेकर आंदोलन (protest demanding increase in salary) कर रहे हैं.

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क्या है पूरा मामला: झारखंड के सरकारी विश्वविद्यालयों (Government universities of Jharkhand) में शिक्षकों की घोर कमी है. पिछले कई सालों से राज्य के तमाम सरकारी विश्वविद्यालय शिक्षकों की कमी की मार झेल रही है. इस परेशानी को दूर करने के उद्देश्य से 4 साल पहले सरकार की ओर से यूजीसी गाइडलाइन के तहत विभिन्न विश्वविद्यालयों में अनुबंध पर घंटी आधारित शिक्षकों की नियुक्ति की गई थी. शिक्षकों को एक घंटी के आधार पर उनका मानदेय तय किया जाता है. प्रत्येक घंटी (एक क्लास लेने पर) उन्हें 600 रुपये दिए जाते हैं. एक दिन में अधिकतम 4 घंटी क्लास लेने की अनुमति है लेकिन, इन शिक्षकों की घंटी निर्धारित क्लास के प्रत्येक दिन 4 घंटी पूरे नहीं होते हैं. ऐसे में इनके मानदेय में काफी असमानताएं हैं. किसी शिक्षक को महीने में 10,000 तो किसी शिक्षक को 35,000 हजार मानदेय प्राप्त होता है. यह शिक्षक बार-बार सरकार से समान काम के बदले समान वेतन निर्धारित करने की मांग कर रहे हैं. ताकि उनका भी घर परिवार सही तरीके से चल सके और उन्हें आर्थिक परेशानी का सामना न करना पड़े.

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देते हैं एक्स्ट्रा क्लास: नियमित शिक्षकों से अधिक समय यह शिक्षक कॉलेज और विभागों में बिताते हैं. शोधार्थियों को एक्स्ट्रा क्लास भी देते हैं. योग्यता धारी होने के कारण उन शिक्षकों की तुलना में इनके पठन-पाठन की गुणवत्ता ज्यादा अच्छी होती है. इसके बावजूद इन शिक्षकों के साथ अन्याय किया जा रहा है.

यूजीसी गाइडलाइन के उल्लंघन का आरोप: शिक्षकों का आरोप है कि राज्य सरकार के शिक्षा विभाग इन शिक्षकों के साथ दोहरी व्यवस्था अपना रही है. उन्होंने कहा यूजीसी गाइडलाइन (UGC Guidelines) के तहत पूरी तरह कहा गया है कि निर्धारित समय होने पर जेपीएससी के माध्यम से शिक्षकों को धीरे धीरे स्थायीकरण की ओर ले जाना है. वहीं समान काम के बदले समान वेतन भी देखना है. इसके बावजूद विभाग का इस ओर ध्यान ना देना, कहीं से भी विश्वविद्यालय और शिक्षक के हित में नहीं है.

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