रांची: स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता और भाजपा विधायक सह पूर्व मंत्री सीपी सिंह दो ऐसे नेता हैं जिनकी चर्चा इन दिनों हर गली, चौक-चौराहे पर हो रही है. जितनी मुंह उतनी बातें. वजह आप सभी जानते हैं. फर्क इतना भर है कि मंत्री बन्ना गुप्ता ने खुद से जुड़े तथाकथित अश्लील प्रेमालाप वाले वायरल वीडियो को एडिटेड बताकर चरित्र हनन की कोशिश का आरोप लगाया, तो दूसरी तरफ भाजपा विधायक सीपी सिंह खुद सामने आए और कहा कि उनके साथ एक महिला ने वीडियो कॉल कर अश्लील बात करने की कोशिश की. दोनों मामलों में कॉमन बात इतना भर है कि दोनों ने अपने स्तर से इसकी जानकारी पुलिस को दी है. प्राथमिकी भी दर्ज करवाई है. जांच की मांग की है. लेकिन मंत्री बन्ना गुप्ता, सीपी सिंह से एक कदम आगे निकल चुके हैं. उनके पक्ष में महिला का बयान आ गया है. दलील है कि वह अपने पति से बातें कर रहीं थी. वह मंत्री को जानती तक नहीं हैं. किसी ने उनके वीडियो को एडिट कर वायरल कर दिया है.
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लोग कर रहे सवाल: पब्लिक का सवाल है कि अगर दोनों नेता पाक साफ हैं तो राजनीति क्यों हो रही है. सरयू राय सरीखे नेता बार-बार क्यों कह रहे हैं कि पुलिस चाहेगी तो बन्ना प्रकरण का खुलासा हो सकता है. वह किस आधार पर दावा कर रहे हैं कि अभी तो कुछ सेकेंड का ही वीडियो वायरल हुआ है. उन्होंने जमशेदपुर के एसएसपी को पत्र लिखकर बन्ना गुप्ता मामले में स्वत: संज्ञान लेकर साइबर एक्ट के प्रावधानों के तहत प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की है. महिला की सफाई के बावजूद वह क्यों कह रहे हैं कि उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी पुलिस की है. उसके जान को खतरा हो सकता है. वह क्यों सुझाव दे रहे हैं कि महिला से गहन पूछताछ होनी चाहिए. दोनों का मोबाइल जब्त किया जाना चाहिए.
आखिर कौन है महिला: दूसरी तरफ आम लोगों के बीच चर्चा इस बात को लेकर भी है कि अभी तक यह कोई नहीं जान पाया था कि महिला आखिर कौन है. एक महिला का फोटो वायरल किया गया था. जिसके जवाब में कांग्रेस से जुड़ी रांची की एक महिला को प्रेस कांफ्रेंस कर बताना पड़ा कि उन्हें बदनाम किया जा रहा है. उनका इस वीडियो से कोई नाता नहीं है. बन्ना जी भाई समान हैं. दूसरे दिन एक महिला ने वीडियो जारी कर दावा किया कि तस्वीर उनकी है, लेकिन बात पति से हो रही थी ना कि मंत्री से.
महिला की पहचान क्यों की जाहिर: इस मसले पर आम लोग यही कह रहे हैं जब महिला को कोई पहचान नहीं पा रहा था तो विधायक सरयू राय ने उसका पता डिस्क्लोज क्यों किया. सवाल यह भी उठाया जा रहा है कि अश्लील प्रेमालाप का वीडियो भाजपा सांसद निशिकांत दूबे ने सोशल मीडिया पर कैसे डाल दिया. सरयू राय किस आधार पर कह रहे हैं कि यह तो बस एक झांकी है. पूरा पिक्चर बाकी है. दो महिलाओं की सफाई के बाद सांसद निशिकांत दूबे लिखते हैं कि बन्ना के दो आगे बन्ना, बन्ना के दो पीछे बन्नी, बोलो कितने बन्ना. लाख छिपाओ, छिप ना सकेगा राज इतना गहरा ?
सीपी सिंह को भी आया फोन: आम लोगों के बीच इस बात को लेकर भी चर्चा है कि मंत्री बन्ना गुप्ता से जुड़े वीडियो के 23 अप्रैल को वायरल होने के दो दिन बाद ही सीपी सिंह जैसे बुजुर्ग नेता को किस महिला ने देर रात वीडियो कॉल कर अश्लील बात करने की कोशिश की. सवाल उठ रहे हैं कि क्या जिस तरीके से भाजपा ने कांग्रेस को घेरने की कोशिश की थी, उस हमले को कुंद करने के लिए सीपी सिंह को तो टारगेट नहीं कर दिया गया. लोग यह भी चर्चा कर रहे हैं कि क्या आने वाले दिनों में कुछ और नेताओं के भी वीडियो वायरल होने वाले हैं .
दोनों नेताओं की अच्छी पकड़: सबसे खास बात है कि रांची के भाजपा विधायक सीपी सिंह और जमशेदपुर पश्चिम से कांग्रेस विधायक बन्ना गुप्ता की अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र में अच्छी पकड़ है. सीपी सिंह छठी बार विधायक बने हैं. बन्ना गुप्ता दूसरी बार विधायक बने हैं. दोनों बार मंत्री बने. दोनों बोलने में माहिर हैं. फर्क सिर्फ उम्र का है. लेकिन बात जब चरित्र तक आ जाती है तो उसे धोना आसान नहीं होता. मामले गंभीर हैं. देखना है कि दोनों मामलों को लेकर झारखंड की पुलिस नतीजे लेकर जल्द सामने आती है या इंतजार करवाती है. लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या इतने गंभीर आरोपों के बाद जांच पूरी होने तक बन्ना गुप्ता को मंत्री पद पर बने रहना चाहिए ?
पहले भी लगे हैं दाग: ऐसा नहीं है कि झारखंड के किसी नेता पर पहली बार इस तरह का आरोप लगा है. यह अलग बात है कि पहली बार वीडियो वायरल हुआ है. आपको याद होगा कि 2019 के झारखंड विधानसभा चुनाव से पहले पोड़ैयाहाट से जेवीएम के विधायक प्रदीप यादव पर उनकी ही पार्टी की नेत्री ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था. इस मामले में उनको सरेंडर करना पड़ा था. लंबे समय तक जेल में रहे थे. अभी भी यह मामला कोर्ट में चल रहा है.
कई सवालों में उलझ गया है झारखंड: झारखंड एक छोटा सा खूबसूरत प्रदेश है. जल, जंगल और जमीन की बुनियाद पर खड़ा है. फिर भी यहां के ग्रामीण इलाकों में पेयजल एक बड़ी समस्या है. जंगल की अवैध कटाई और इसपर अधिकार की लड़ाई चलती रहती है. जहां तक जमीन की बात है तो ईडी की हालिया कार्रवाई से साफ हो चुका है कि कैसे यहां के मूल रैयत बेदखल किए जा रहे हैं. राज्य बनने के बाद 14 वर्षों तक यहां की राजनीति उथल पुथल के दौर से गुजरी है. रघुवर सरकार के शासनकाल के बाद फिर से यहां की राजनीति सुर्खियों में है. मनरेगा और अवैध माइनिंग की आड़ में मनी लांड्रिंग ने इस राज्य को कलंकित कर दिया है. आए दिन अफसरों की ईडी दफ्तर में हाजरी लग रही है. कई लोग सलाखों के पीछे जा चुके हैं. बीच-बीच में सरकार को अस्थिर करने की बातें हिलोरे मारने लगती हैं. नियोजन, स्थानीयता और आरक्षण जैसे शब्द इस राज्य को मजबूत बना रहे हैं या कमजोर, इसका जवाब किसी के पास नहीं है. सभी राजनीति कर रहे हैं. परेशान सिर्फ वैसे लोग हैं जो इस राज्य की बेहतरी के सपने देखते हैं और कहते हैं कि पता नहीं हमारे झारखंड को किसकी नजर लग गयी है.