रांची: लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर सभी राजनीतिक दल अपने-अपने चुनावी फायदे के हिसाब से मोहरा तैयार करने में लगे हैं. इसी कड़ी में झारखंड में भारतीय जनता पार्टी की कमान बाबूलाल मरांडी को सौंपी गई है. भाजपा के इस फैसले के बाद काग्रेंस के अंदर से भी प्रदेश नेतृत्व की कमान किसी आदिवासी नेता को सौंपने की मांग उठने लगी है. राज्य के पूर्व मंत्री और कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की ने इसकी मांग की है.
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बंधु तिर्की ने अगला लोकसभा चुनाव किसी आदिवासी नेता के नेतृत्व में ही लड़ने की बात पर जोर देते हुए कहा कि पार्टी नेतृत्व को यह समझना होगा कि प्रदेश के लोगों की भावनाएं क्या है. उन्होंने कहा कि झारखंड को एक आदिवासी प्रदेश के रूप में जाना जाता है और प्रायः सभी बड़ी पार्टियां आदिवासी को केंद्र में रख कर ही कोई फैसला लेती हैं. इन तमाम चीजों को ध्यान में रखकर निश्चित रूप से किसी आदिवासी नेता के नेतृत्व में ही कांग्रेस को चुनाव में जाना चाहिए.
हमारे राष्ट्रीय नेताओं को लेना है निर्णय: झारखंड में आगामी लोकसभा चुनाव किसी आदिवासी नेता के नेतृत्व में ही लड़ने की बात कहने के बाद बंधु तिर्की ने कहा कि हमें यह भी ध्यान रखना होगा कि बदलाव पार्टी की बेहतरी के लिए हो. उन्होंने कहा कि अब हमारे केंद्रीय नेतृत्व को फैसला लेना है कि अगला लोकसभा चुनाव को देखते हुए वह क्या रुख अपनाते हैं.
अभी राजेश ठाकुर हैं प्रदेश अध्यक्ष: झारखंड प्रदेश कांग्रेस के वर्तमान में अध्यक्ष राजेश ठाकुर हैं. उनके 21-22 महीनों के कार्यकाल में झारखंड कांग्रेस ने भारत जोड़ो यात्रा के दौरान कई गतिविधियां राज्य में सफलतापूर्वक संचालित की है. सदस्यता अभियान को भी गति मिली है. इस बीच सरकार में 15 सूत्री, 20 सूत्री तथा बोर्ड निगम में कई कांग्रेसी जनों को जगह भी मिली है.
राजेश ठाकुर के कार्यकाल में ही कांग्रेस पार्टी का सांगठनिक स्वरूप आकार लिया है. इन सब के बावजूद एक खेमा शुरू से ही राजेश ठाकुर के खिलाफ आक्रामक रहा है. आलोक दुबे, लाल किशोरनाथ शाहदेव, राजेश गुप्ता, साधुशरण यादव सहित लंबी फेहरिस्त नाराज नेताओं की है, जिसके निशाने पर राजेश ठाकुर रहें हैं. राज्य के वित्तमंत्री और पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रामेश्वर उरांव भी गाहे-बगाहे यह कहते रहे हैं कि मजबूत नेतृत्व में ही कांग्रेस को चुनाव मैदान में जाना चाहिए.
झारखंड में 26% के करीब आदिवासियों की जनसंख्या: झारखंड में अनुसूचित जनजातियों की आबादी कुल आबादी के करीब 26% है. राज्य के 81 विधानसभा क्षेत्र में से 28 विधानसभा सीट अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित है. वहीं 05 लोकसभा सीट भी ST रिजर्व है. अनुसूचित जनजाति रिजर्व सीट के अलावा अन्य सामान्य लोकसभा और विधानसभा क्षेत्र में भी जनजातीय समाज की अच्छी खासी संख्या है.
राज्य की जनता का सेंटिमेंट भी आदिवासी नेतृत्व से जुड़ा हुआ है. ऐसे में भारतीय जनता पार्टी ने जब बाबूलाल मरांडी को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर राजनीतिक चाल चल दी है तो अब कांग्रेस में भी आदिवासी नेता के हाथ में नेतृत्व सौंपने की मांग उठने लगी है और इसकी शुरुआत बंधु तिर्की जैसे बड़े नेता ने कर दी है.