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कोरोना ने तोड़ी बस व्यापारियों की कमर, छलका दर्द, लगाई गुहार

राजधानी रांची में कोरोना की वजह से बस व्यापारियों की आर्थिक स्थिति दयनीय हो गई है. जिसके कारण उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है और वे भूखमरी की कगार पर पहुंच गए हैं.

bad condition of bus workers due to corona in ranchi
bad condition of bus workers due to corona in ranchi
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Published : Aug 27, 2020, 10:54 PM IST

रांची: राजधानी रांची में कोरोना की वजह से कई लोगों के जीवन पर प्रभाव पड़ा है. खासकर परिवहन से जुड़े लोगों की जीवन शैली पर इसका असर देखने को साफ-साफ मिल रहा है. क्योंकि कोरोना की वजह से केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने एहतियात के तौर पर मार्च में लॉकडाउन की घोषणा कर दी थी. जिस वजह से हर चीज के पूरी तरह से लॉक हो चुका था लेकिन लॉकडाउन के दौरान लोगों की परेशानी को देखते हुए राज्य सरकार ने धीरे-धीरे अनलॉक की प्रक्रिया शुरू की. जिसमें शर्त के साथ कई व्यवसाय को तो अनुमति दे दी गई लेकिन परिवहन से जुड़े व्यवसाय अभी तक यूं ही लॉक पड़े हुए हैं.

देखें स्पेशल स्टोरी

कोई नहीं ले रहे है सुध

बस व्यापार से जुड़े लोगों की परेशानी को देखते हुए ईटीवी भारत की टीम ने खादगढ़ा बस स्टैंड पर बेबस पड़े कर्मचारियों से जब बात की, तो उन्होंने अपनी बेबसी और लाचारी की बताते हुए कहा कि पिछले 6 महीने से वे इसी इंतजार में हैं कि शायद सरकार उनकी परेशानी को देखते हुए कुछ निर्णय लेगी, लेकिन अभी तक सरकार की तरफ से न तो कोई निर्णय लिया गया है और न ही कोई उनकी सुध ले रहा.

क्या कहते हैं बस मालिक

बस मालिकों का कहना है कि वे बैंक से कर्ज लेकर गाड़ियां खरीदते हैं. जिसका उन्हें समय-समय पर किस्त भी भरना पड़ता है, लेकिन पिछले 6 महीने से स्टैंड पर यूं ही बस पड़े रहने की वजह से अब उन लोगों का किस्त भरना मुश्किल हो गया है और दूसरी ओर सरकार भी टैक्स वसूलने में भी कोई रियायत नहीं कर रही है. इन सभी कारणों से उनलोगों की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है

बस की किस्त देने में असमर्थ

बस स्टैंड पर काम करने वाले स्टैंड किरानी का कहना है कि पिछले 6 महीने से एक भी पैसा उन लोग नहीं कमा पा रहे हैं. जिस वजह से न तो बच्चों का फीस भरा पाया है. न ही उन लोगों को बेहतर तरीके से अपना जीवन यापन कर पा रहे हैं. खादगढ़ा बस स्टैंड पर काम करने वाले मैकेनिक बताते हैं कि स्थिति इतनी बदतर हो गई है कि अब हम लोग अपना घर छोड़कर गांव की तरफ रुख कर रहे हैं क्योंकि शहर में घर का किराया देने के लिए भी हमारे पास पैसा नहीं बचा है.

और पढ़ें - हजारीबाग में स्कूल में चोरी मामले में एफआईआर हुआ दर्ज, चोरों ने नगद समेत कई समानों को उड़ाया

पैदल चलने को विवश हुए गरीब

बसों का परिचालन नहीं होने की वजह से बस से जुड़े व्यापारी एवं कर्मचारी के साथ-साथ यात्रियों को भी खासा परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. गरीब और मध्यम वर्ग की यात्री बस नहीं चलने की वजह से पैदल चलने को विवश हो गए हैं, क्योंकि बस चलने के कारण वह कम से कम पैसे में एक जगह से दूसरी जगह जा सकते थे, लेकिन अब उन्हें एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए 10 गुना से भी ज्यादा अधिक भरा देना पड़ रहा है. जिस वजह से गरीब यात्री पैदल चलने को मजबूर हो गए हैं.

स्थानीय लोगों ने चुराए बसों के कीमती सामान

बस मालिकों का कहना है कि पिछले 6 महीने से बस पड़े रहने की वजह से बसों में भी कई तकनीकी खराबी आ गई है अब इस बस को फिर से चलाने के लिए लाखों रुपए खर्च करने पड़ेंगे वहीं उन्होंने कहा कि स्थानीय लोगों ने बस के अंदर लगाए गए कीमती सामान भी चुरा लिए गए हैं. जिससे बस मालिकों को काफी नुकसान हुआ है.

सरकार से लगाई गुहार

बस मालिकों एवं बस व्यापार से जुड़े लोगों ने भी राज्य सरकार और परिवहन मंत्री से गुहार लगाया है. कि कोविड-19 महामारी अधिनियम को ध्यान में रखते हुए बस परिचालन का अनुमति दें, क्योंकि अब पर्व त्यौहार का समय आ गया है. ऐसे में यात्रियों की संख्या भी बहुत होती है. इसीलिए अगर सरकार हम बस संचालकों को बस परिचालन करने की अनुमति देती है, तो हम लोग अपने जीवन की गति पर लगे ब्रेक को हटा पाएंगे. जिससे कि हम बस व्यापारियों भी जीवन धीरे धीरे चलता रहे.

बसों का परिचालन ठप

राज्य में लगभग 9 हजार से दस हजार बसों का परिचालन होता है, लेकिन सभी बसों के परिचालन बंद होने की वजह से प्रतिमा 40 से 50 करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान परिवहन विभाग को हो रहा है. अगर पिछले छह माह की बात करें, तो ढाई सौ से तीन सौ करोड़ रुपए का अब तक नुकसान परिवहन विभाग को हो चुका है. अब जरूरत है कि राज्य सरकार भी बस मालिकों की परेशानी को देखते हुए एहतियात के साथ बस परिचालन की अनुमति दें. ताकि यात्री और बस व्यापार से जुड़े लोगों का जीवन फिर से पटरी पर आ सके.

रांची: राजधानी रांची में कोरोना की वजह से कई लोगों के जीवन पर प्रभाव पड़ा है. खासकर परिवहन से जुड़े लोगों की जीवन शैली पर इसका असर देखने को साफ-साफ मिल रहा है. क्योंकि कोरोना की वजह से केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने एहतियात के तौर पर मार्च में लॉकडाउन की घोषणा कर दी थी. जिस वजह से हर चीज के पूरी तरह से लॉक हो चुका था लेकिन लॉकडाउन के दौरान लोगों की परेशानी को देखते हुए राज्य सरकार ने धीरे-धीरे अनलॉक की प्रक्रिया शुरू की. जिसमें शर्त के साथ कई व्यवसाय को तो अनुमति दे दी गई लेकिन परिवहन से जुड़े व्यवसाय अभी तक यूं ही लॉक पड़े हुए हैं.

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कोई नहीं ले रहे है सुध

बस व्यापार से जुड़े लोगों की परेशानी को देखते हुए ईटीवी भारत की टीम ने खादगढ़ा बस स्टैंड पर बेबस पड़े कर्मचारियों से जब बात की, तो उन्होंने अपनी बेबसी और लाचारी की बताते हुए कहा कि पिछले 6 महीने से वे इसी इंतजार में हैं कि शायद सरकार उनकी परेशानी को देखते हुए कुछ निर्णय लेगी, लेकिन अभी तक सरकार की तरफ से न तो कोई निर्णय लिया गया है और न ही कोई उनकी सुध ले रहा.

क्या कहते हैं बस मालिक

बस मालिकों का कहना है कि वे बैंक से कर्ज लेकर गाड़ियां खरीदते हैं. जिसका उन्हें समय-समय पर किस्त भी भरना पड़ता है, लेकिन पिछले 6 महीने से स्टैंड पर यूं ही बस पड़े रहने की वजह से अब उन लोगों का किस्त भरना मुश्किल हो गया है और दूसरी ओर सरकार भी टैक्स वसूलने में भी कोई रियायत नहीं कर रही है. इन सभी कारणों से उनलोगों की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है

बस की किस्त देने में असमर्थ

बस स्टैंड पर काम करने वाले स्टैंड किरानी का कहना है कि पिछले 6 महीने से एक भी पैसा उन लोग नहीं कमा पा रहे हैं. जिस वजह से न तो बच्चों का फीस भरा पाया है. न ही उन लोगों को बेहतर तरीके से अपना जीवन यापन कर पा रहे हैं. खादगढ़ा बस स्टैंड पर काम करने वाले मैकेनिक बताते हैं कि स्थिति इतनी बदतर हो गई है कि अब हम लोग अपना घर छोड़कर गांव की तरफ रुख कर रहे हैं क्योंकि शहर में घर का किराया देने के लिए भी हमारे पास पैसा नहीं बचा है.

और पढ़ें - हजारीबाग में स्कूल में चोरी मामले में एफआईआर हुआ दर्ज, चोरों ने नगद समेत कई समानों को उड़ाया

पैदल चलने को विवश हुए गरीब

बसों का परिचालन नहीं होने की वजह से बस से जुड़े व्यापारी एवं कर्मचारी के साथ-साथ यात्रियों को भी खासा परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. गरीब और मध्यम वर्ग की यात्री बस नहीं चलने की वजह से पैदल चलने को विवश हो गए हैं, क्योंकि बस चलने के कारण वह कम से कम पैसे में एक जगह से दूसरी जगह जा सकते थे, लेकिन अब उन्हें एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए 10 गुना से भी ज्यादा अधिक भरा देना पड़ रहा है. जिस वजह से गरीब यात्री पैदल चलने को मजबूर हो गए हैं.

स्थानीय लोगों ने चुराए बसों के कीमती सामान

बस मालिकों का कहना है कि पिछले 6 महीने से बस पड़े रहने की वजह से बसों में भी कई तकनीकी खराबी आ गई है अब इस बस को फिर से चलाने के लिए लाखों रुपए खर्च करने पड़ेंगे वहीं उन्होंने कहा कि स्थानीय लोगों ने बस के अंदर लगाए गए कीमती सामान भी चुरा लिए गए हैं. जिससे बस मालिकों को काफी नुकसान हुआ है.

सरकार से लगाई गुहार

बस मालिकों एवं बस व्यापार से जुड़े लोगों ने भी राज्य सरकार और परिवहन मंत्री से गुहार लगाया है. कि कोविड-19 महामारी अधिनियम को ध्यान में रखते हुए बस परिचालन का अनुमति दें, क्योंकि अब पर्व त्यौहार का समय आ गया है. ऐसे में यात्रियों की संख्या भी बहुत होती है. इसीलिए अगर सरकार हम बस संचालकों को बस परिचालन करने की अनुमति देती है, तो हम लोग अपने जीवन की गति पर लगे ब्रेक को हटा पाएंगे. जिससे कि हम बस व्यापारियों भी जीवन धीरे धीरे चलता रहे.

बसों का परिचालन ठप

राज्य में लगभग 9 हजार से दस हजार बसों का परिचालन होता है, लेकिन सभी बसों के परिचालन बंद होने की वजह से प्रतिमा 40 से 50 करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान परिवहन विभाग को हो रहा है. अगर पिछले छह माह की बात करें, तो ढाई सौ से तीन सौ करोड़ रुपए का अब तक नुकसान परिवहन विभाग को हो चुका है. अब जरूरत है कि राज्य सरकार भी बस मालिकों की परेशानी को देखते हुए एहतियात के साथ बस परिचालन की अनुमति दें. ताकि यात्री और बस व्यापार से जुड़े लोगों का जीवन फिर से पटरी पर आ सके.

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