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रांची की 'बुलेट रानी' का अलग है अंदाज, रॉयल एनफील्ड की हर मर्ज का है इनके पास इलाज - बुलेट रानी के नाम से मशहूर बेबी

राजधानी में बेबी 'बुलेट रानी' के नाम से भी जानी जाती हैं. क्योंकि बुलेट बनाने के साथ-साथ सड़कों पर सरपट बुलेट दौड़ाने में भी बेबी को महारत हासिल है. लेकिन सही प्लेटफार्म नहीं मिलने की वजह से बेबी को आर्थिक तंगी से भी गुजरना पड़ता है.

baby jha, बेबी झा
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Published : Mar 8, 2020, 7:10 AM IST

रांची: जिस प्रोफेशन में पुरुषों का वर्चस्व बरकरार है, उस प्रोफेशन में रांची की बेबी झा ने अपने हुनर का लोहा मनवाया है. इस प्रोफेशन में आने के बाद उसे कई बार ताने भी सुनने पड़े, बावजूद इसके बेबी ने इस काम में अपनी अलग पहचान बनाई है. राजधानी में बेबी 'बुलेट रानी' के नाम से भी जानी जाती हैं. क्योंकि बुलेट बनाने के साथ-साथ सड़कों पर सरपट बुलेट दौड़ाने में भी बेबी को महारत हासिल है. लेकिन सही प्लेटफार्म नहीं मिलने की वजह से बेबी को आर्थिक तंगी से भी गुजरना पड़ता है. क्योंकि पिता ऑटो चलाते हैं तो बेबी बुलेट गैरेज में काम कर घर चलाने में अपना योगदान देती है.

देखें स्पेशल स्टोरी

बुलेट गैरेज में करती है मकैनिक का काम

राजधानी की बेबी झा युवाओं के लिए एक प्रेरणास्त्रोत हैं, जो पिछले 7 सालों से बुलेट मैकेनिक का काम कर रही है और बुलेट बनाने में माहिर हो चुकी है. बेबी प्रदेश की इकलौती बुलेट बनाने वाली महिला मैकेनिक भी है. जो इस काम के जरिये साबित कर रही है कि महिलाएं भी पुरुषों से कम नहीं है. वैसे तो बेबी एक छोटे से बुलेट गैरेज में मैकेनिक का काम करती है लेकिन तकनीकी सर्टिफिकेट नहीं होने की वजह से बेहतर प्लेटफार्म से महरूम है. बेबी बताती हैं कि उनके पिता ऑटो चलाते हैं और वह बुलेट मकैनिक का काम कर घर चलाने में अपना योगदान देती है. बेबी ने हेमंत सरकार से उम्मीद जताई है कि महिलाओं और युवाओं के लिए युवा मुख्यमंत्री बेहतर काम करेंगे. इसके साथ ही बेबी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से अपील की है कि उनके इस हुनर को सही प्लेटफार्म मुहैया कराएं. ताकि उन जैसी कई बेबी को आगे बढ़ने की प्रेरणा मिल सके और वह पुरुषों के प्रोफेशन में भी बेहतर योगदान दे सकें.

ये भी पढ़ें- एक ही मंडप में मां-बेटी ने लिए सात फेरे, अनोखी शादी के गवाह बने लोग

कभी-कभी करना पड़ता है परेशानियों का सामना

बुलेट गैरेज के मुख्य संचालक फुरकान अंसारी बताते हैं कि महिला होने की वजह से बेबी को काम करने में कभी-कभी परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है. क्योंकि लोग ताने भी मारते हैं कि एक लड़की से काम करवाया जा रहा है लेकिन वर्तमान समय में तो सभी लोग काम करते हैं और बेबी का बुलेट बनाने में हाथ पूरी तरह से साफ हो गया है. ऐसे में इसे एक अच्छे प्लेटफार्म की जरूरत है. वहीं पिछले 3 सालों से उस गैरेज में अपने बुलेट की सर्विसिंग कराने वाले स्थानीय अंकित बताते हैं कि खुशी मिलती है, जब एक महिला को ऐसे प्रोफेशन में भी बेहतर काम करते हुए देखने को मिलता है. उन्होंने कहा कि समाज में आज सभी एक बराबर है, ऐसे में बेबी को बेहतर काम करने के लिए सरकार की ओर से प्रोत्साहन मिलना चाहिए.

रांची: जिस प्रोफेशन में पुरुषों का वर्चस्व बरकरार है, उस प्रोफेशन में रांची की बेबी झा ने अपने हुनर का लोहा मनवाया है. इस प्रोफेशन में आने के बाद उसे कई बार ताने भी सुनने पड़े, बावजूद इसके बेबी ने इस काम में अपनी अलग पहचान बनाई है. राजधानी में बेबी 'बुलेट रानी' के नाम से भी जानी जाती हैं. क्योंकि बुलेट बनाने के साथ-साथ सड़कों पर सरपट बुलेट दौड़ाने में भी बेबी को महारत हासिल है. लेकिन सही प्लेटफार्म नहीं मिलने की वजह से बेबी को आर्थिक तंगी से भी गुजरना पड़ता है. क्योंकि पिता ऑटो चलाते हैं तो बेबी बुलेट गैरेज में काम कर घर चलाने में अपना योगदान देती है.

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बुलेट गैरेज में करती है मकैनिक का काम

राजधानी की बेबी झा युवाओं के लिए एक प्रेरणास्त्रोत हैं, जो पिछले 7 सालों से बुलेट मैकेनिक का काम कर रही है और बुलेट बनाने में माहिर हो चुकी है. बेबी प्रदेश की इकलौती बुलेट बनाने वाली महिला मैकेनिक भी है. जो इस काम के जरिये साबित कर रही है कि महिलाएं भी पुरुषों से कम नहीं है. वैसे तो बेबी एक छोटे से बुलेट गैरेज में मैकेनिक का काम करती है लेकिन तकनीकी सर्टिफिकेट नहीं होने की वजह से बेहतर प्लेटफार्म से महरूम है. बेबी बताती हैं कि उनके पिता ऑटो चलाते हैं और वह बुलेट मकैनिक का काम कर घर चलाने में अपना योगदान देती है. बेबी ने हेमंत सरकार से उम्मीद जताई है कि महिलाओं और युवाओं के लिए युवा मुख्यमंत्री बेहतर काम करेंगे. इसके साथ ही बेबी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से अपील की है कि उनके इस हुनर को सही प्लेटफार्म मुहैया कराएं. ताकि उन जैसी कई बेबी को आगे बढ़ने की प्रेरणा मिल सके और वह पुरुषों के प्रोफेशन में भी बेहतर योगदान दे सकें.

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कभी-कभी करना पड़ता है परेशानियों का सामना

बुलेट गैरेज के मुख्य संचालक फुरकान अंसारी बताते हैं कि महिला होने की वजह से बेबी को काम करने में कभी-कभी परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है. क्योंकि लोग ताने भी मारते हैं कि एक लड़की से काम करवाया जा रहा है लेकिन वर्तमान समय में तो सभी लोग काम करते हैं और बेबी का बुलेट बनाने में हाथ पूरी तरह से साफ हो गया है. ऐसे में इसे एक अच्छे प्लेटफार्म की जरूरत है. वहीं पिछले 3 सालों से उस गैरेज में अपने बुलेट की सर्विसिंग कराने वाले स्थानीय अंकित बताते हैं कि खुशी मिलती है, जब एक महिला को ऐसे प्रोफेशन में भी बेहतर काम करते हुए देखने को मिलता है. उन्होंने कहा कि समाज में आज सभी एक बराबर है, ऐसे में बेबी को बेहतर काम करने के लिए सरकार की ओर से प्रोत्साहन मिलना चाहिए.

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