रांचीः भारतीय रीति रिवाज में मेहमान, गुरु और बड़ों के पांव धोकर स्वागत करने की परंपरा सदियों से चलती आ रही है. इसकी एक झलक रांची के ऐतिहासिक मोरहाबादी मैदान के दीक्षांत मंडप में आयोजित सोहराय महोत्सव के दौरान दिखी. मुख्य अतिथि थे राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री और भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी. महोत्सव में पहुंचने पर उनका पारंपरिक तरीके से स्वागत किया गया.
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पारंपरिक संथाली नृत्य करते हुए बाबूलाल मरांडी को मंच पर ले जाया गया. मंच पर संथाल समाज की एक बेटी ने कांसे की थाली में बाबूलाल मरांडी का पांव पखारा. इस दौरान कुछ ऐसा हुआ कि पूरे कार्यक्रम में मुस्कुराहट की मिठास घुल गई. पांव धोने के बाद युवती ने बाबूलाल मरांडी को कांसे की थाली से पैर उठाने नहीं दिया. इस स्वागत के बदले वह आशीर्वाद चाह रही थी. इसको समझने में बाबूलाल मरांडी को थोड़ा भी वक्त नहीं लगा. मुस्कुराते हुए बाबूलाल मरांडी अपनी जेब टटोलने लगे और आशीर्वाद स्वरुप कुछ पैसे देकर इस परंपरा को निभाया.
दरअसल, सावंता समिति की ओर से मोरहाबादी में सोहराय महोत्सव का आयोजन किया गया था. आयोजक ने बताया कि आमतौर पर इस पर्व की छटा गांव देहात में दिखती है. फिर भागदौड़ भरी जिंदगी में शहरों में आकर बसे लोग गांव नहीं जा पाते. वैसे लोग अपनी संस्कृति से जुड़े रहें, इस मकसद से सावंता समिति हर साल सोहराय महोत्सव का आयोजन करती है. कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुई. इसके बाद संताली समाज की महिलाओं ने पारंपरिक वेशभूषा के साथ नृत्य और संगीत पेश किया.
आपको बता दें कि संताल आदिवासियों में प्रचलित सोहराय एक ऐसा पर्व है जो पालतू पशुओं और इंसान के बीच प्रेम स्थापित करता है. इस पर्व के दौरान गाय, बैल और भैंसों को सजाया जाता है. आज इसी पर्व के नाम से जुड़ी सोहराय पेंटिंग पूरी दुनिया में झारखंड के आदिवासी संस्कृति को एक अलग पहचान दिला रही है.