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देशद्रोह के मामले में बबीता कच्छप को गुजरात हाई कोर्ट से जमानत, जेल से बाहर निकलकर समर्थकों के साथ जमकर झूमी

देशद्रोह के मामले में जेल में बबीता कच्छप को गुजरात हाई कोर्ट ने जमानत दे दी है. जेल से निकलने के बाद बबीता ने कच्छप अपने समर्थकों के साथ जश्न मनाया.

Babita Kachhap got bail
समर्थकों के साथ बबीता कच्छप
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Published : Aug 6, 2021, 7:38 PM IST

सूरत: गुजरात उच्च न्यायालय ने पत्थलगड़ी आंदोलन की कार्यकर्ता और झारखंड की मूल निवासी बबीता कच्छप को जमानत दे दी है. बबीता कच्छप फेसबुक पेज पर सरकार विरोधी गतिविधियों के साथ एक पोस्ट करने के आरोप में एक साल से जेल में बंद थी. बबीता की जमानत मंजूर होने पर उन्होंने प्रशंसकों के साथ ढोल-नगाड़े बजाकर जश्न मनाया. इतना ही नहीं, सूरत की सब जेल के बाहर आने के बाद बबीता अपने साथियों के साथ पारंपरिक आदिवासी नृत्य करती नजर आईं.

ये भी पढ़ें- तीन पत्थलगड़ी समर्थक को गुजरात एटीएस ने किया गिरफ्तार

बबीता कच्छप पत्थलगड़ी आंदोलन से जुड़ी हैं. बबीता कच्छप गुजरात के तापी जिले की रहने वाली हैं. बबीता लंबे समय से पंचमहल, महिसागर और केवड़िया और नर्मदा जिले में सक्रिय है. पत्थलगड़ी से जुड़ी बबीता गुजरात के आदिवासी इलाकों में आंदोलन से जुड़ी गतिविधियों की अगुवाई कर रही हैं. लेकिन उन्हें एक साल पहले फेसबुक पर सरकार विरोधी टिप्पणी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. बबीता पर आरोप है कि उन्होंने केवड़िया, दाहोद, छोटा उदयपुर और व्यारा के आदिवासी इलाकों में रहने वाले आदिवासी समुदायों के लोगों को संविधान के प्रावधानों की गलत व्याख्या कर उन्हें भड़काया था. इस आंदोलन में देश के किसी भी कानून को नहीं मानते हुए सिर्फ आदिवासी ग्राम सभा को सर्वोच्च मानने की बात कही जा रही थी.

देखें पूरी खबर

इसके अलावा झारखंड में पत्थलगडी आंदोलन संबंधित जितने भी केस दर्ज हुये हैं, वे झारखंड सरकार द्वारा वापस ले लिये गए हैं. जांचकर्ताओं के पास इस बात का भी कोई सबूत नहीं है कि उसने साजिश रची थी. दोनों पक्षों को ध्यान में रखते हुये उच्च न्यायालय ने कहा कि आरोपी 24 जुलाई, 2020 से जेल में है और गुजरात में उसकी उपस्थिति के दौरान कोई गड़बड़ी नहीं हुई है. 20 हजार रुपए के बॉन्ड पर जामानत मिली है. बबीता की जमानत मंजूर होने पर सूरत सब जेल के बाहर उनके प्रशंसकों ने ढोल-नगाड़े बजाकर उत्सव की तरह जश्न मनाया. माला पहनाकर पारंपरिक नृत्य से उनका स्वागत किया गया.

क्या है पत्थलगड़ी आंदोलन

आदिवासियों ने पत्थलगड़ी आंदोलन 2017-18 में शुरू किया था. उन्होंने बड़े-बड़े पत्थर गांव के बाहर शिलापट्ट की तरह लगा दिए थे. जैसा कि नाम से स्पष्ट है-पत्थर गाड़ने का सिलसिला खूंटी जिले से शुरू हुआ और एक आंदोलन के रूप में व्यापक होता चला गया. लिहाजा इसे पत्थलगड़ी आंदोलन का नाम दिया गया. बबीता के उकसावे से खूंटी जिला में पत्थलगड़ी की आग तेजी से फैली थी. पुलिस ने बबीता और उसके करीबियों पर मामला दर्ज किया था.

सूरत: गुजरात उच्च न्यायालय ने पत्थलगड़ी आंदोलन की कार्यकर्ता और झारखंड की मूल निवासी बबीता कच्छप को जमानत दे दी है. बबीता कच्छप फेसबुक पेज पर सरकार विरोधी गतिविधियों के साथ एक पोस्ट करने के आरोप में एक साल से जेल में बंद थी. बबीता की जमानत मंजूर होने पर उन्होंने प्रशंसकों के साथ ढोल-नगाड़े बजाकर जश्न मनाया. इतना ही नहीं, सूरत की सब जेल के बाहर आने के बाद बबीता अपने साथियों के साथ पारंपरिक आदिवासी नृत्य करती नजर आईं.

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बबीता कच्छप पत्थलगड़ी आंदोलन से जुड़ी हैं. बबीता कच्छप गुजरात के तापी जिले की रहने वाली हैं. बबीता लंबे समय से पंचमहल, महिसागर और केवड़िया और नर्मदा जिले में सक्रिय है. पत्थलगड़ी से जुड़ी बबीता गुजरात के आदिवासी इलाकों में आंदोलन से जुड़ी गतिविधियों की अगुवाई कर रही हैं. लेकिन उन्हें एक साल पहले फेसबुक पर सरकार विरोधी टिप्पणी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. बबीता पर आरोप है कि उन्होंने केवड़िया, दाहोद, छोटा उदयपुर और व्यारा के आदिवासी इलाकों में रहने वाले आदिवासी समुदायों के लोगों को संविधान के प्रावधानों की गलत व्याख्या कर उन्हें भड़काया था. इस आंदोलन में देश के किसी भी कानून को नहीं मानते हुए सिर्फ आदिवासी ग्राम सभा को सर्वोच्च मानने की बात कही जा रही थी.

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इसके अलावा झारखंड में पत्थलगडी आंदोलन संबंधित जितने भी केस दर्ज हुये हैं, वे झारखंड सरकार द्वारा वापस ले लिये गए हैं. जांचकर्ताओं के पास इस बात का भी कोई सबूत नहीं है कि उसने साजिश रची थी. दोनों पक्षों को ध्यान में रखते हुये उच्च न्यायालय ने कहा कि आरोपी 24 जुलाई, 2020 से जेल में है और गुजरात में उसकी उपस्थिति के दौरान कोई गड़बड़ी नहीं हुई है. 20 हजार रुपए के बॉन्ड पर जामानत मिली है. बबीता की जमानत मंजूर होने पर सूरत सब जेल के बाहर उनके प्रशंसकों ने ढोल-नगाड़े बजाकर उत्सव की तरह जश्न मनाया. माला पहनाकर पारंपरिक नृत्य से उनका स्वागत किया गया.

क्या है पत्थलगड़ी आंदोलन

आदिवासियों ने पत्थलगड़ी आंदोलन 2017-18 में शुरू किया था. उन्होंने बड़े-बड़े पत्थर गांव के बाहर शिलापट्ट की तरह लगा दिए थे. जैसा कि नाम से स्पष्ट है-पत्थर गाड़ने का सिलसिला खूंटी जिले से शुरू हुआ और एक आंदोलन के रूप में व्यापक होता चला गया. लिहाजा इसे पत्थलगड़ी आंदोलन का नाम दिया गया. बबीता के उकसावे से खूंटी जिला में पत्थलगड़ी की आग तेजी से फैली थी. पुलिस ने बबीता और उसके करीबियों पर मामला दर्ज किया था.

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