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Jharkhand News: सरकार की जटिल प्रक्रिया बनी बालू घाटों की नीलामी में बाधक, उधर बालू का अवैध उठाव कर माफिया काट रहे चांदी

राज्य के विभिन्न जिलों में बालू घाटों का सर्वे का काम पूरा होने के बाद एक अप्रैल को होने वाली बैठक पर सभी की नजर है. बैठक में कुछ जिलों के बालू घटों की नीलामी के संबंध में निर्णय होने वाला है.

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Auction Of Sand Ghats Not Yet Done In Jharkhand
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Published : Mar 31, 2023, 5:11 PM IST

रांची: झारखंड में बालू का अवैध कारोबार जारी है. इसे रोकने के लिए सरकार द्वारा भले ही कदम उठाने की बात कही जा रही हो, लेकिन हकीकत यह है कि अब तक ना तो नए सिरे से बालू घाटों की नीलामी हुई है और ना ही चिन्हितिकरण. ऐसे में राज्य के नौ जिलों में पूर्व से 21 बालू घाटों के भरोसे जेएसएमडीसी यानी झारखंड राज्य खनिज विकास निगम को रहना पड़ रहा है. यहां से बालू उठाव का आवंटन प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा मिलने के बाद जेएसएमडीसी इसे क्रियान्वित करती है.

ये भी पढे़ं-एनजीटी की रोक के बाद भी बालू का अवैध उठाव जारी, मामले की होगी जांच

राज्य की विभिन्न नदियों से हो रहा बालू का अवैध उठावः इधर राज्य की विभिन्न नदियों के घाटों से अवैध ढंग से बालू का उठाव कर ऊंची कीमत पर बिक्री की जा रही है. झारखंड हाईकोर्ट ने भी इसे गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार को पिछले दिनों जमकर फटकार लगाई थी.
बालू घाटों को लेकर एसईएसी की बैठक एक अप्रैल कोः राज्य के विभिन्न जिलों में हो रहे बालू के अवैध खनन के बीच जिला स्तर पर कराए गए सर्वे के बाद एसईएसी यानी स्टेट एक्सपर्ट एपराइजल कमेटी की महत्वपूर्ण बैठक एक अप्रैल को बुलायी गई है. जिसमें राज्य के 12 जिलों धनबाद, गिरिडीह, पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम, पाकुड़, गोड्डा, रामगढ़, सिमडेगा, लोहरदगा, लातेहार, गुमला और सरायकेला-खरसावां में बालू खनन को लेकर निर्णय लिया जाएगा.

12 जिलों के घाटों को सर्वे कर सौंपी गई थी रिपोर्टः राज्य के 12 जिलों में बालू घाटों का सर्वे कराने के लिए सरकार ने निजी एजेंसी को नियुक्त किया था. निजी एजेंसी ने संबंधित जिलों के उपायुक्त को रिपोर्ट सौंपी थी. जिला सर्वे रिपोर्ट यानी डीएसआर को संबंधित जिलों द्वारा एसईएसी को भेजी गई है. जिसमें राज्य के 12 जिलों का चयन किया गया है.

एसईआईएए की स्वीकृति के बाद शुरू होगी प्रक्रियाः सेवानिवृत्त आईएफएस के नेतृत्व में गठित यह एक्सपर्ट कमेटी बालू खनन के विभिन्न मापदंडों का आकलन कर अपनी अनुशंसा एसईआईएए यानी स्टेट एनवायरमेंट इंपैक्ट एसेसमेंट अथॉरिटी को भेजेगी. एसईआईएए इस पर निर्णय करने के पश्चात बालू घाटों से खनन पर मुहर लगाकर राज्य प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड को प्रस्ताव भेजेगा. जहां से झारखंड राज्य खनिज विकास निगम को प्रतिवर्ष बालू उठाव का आवंटन प्राप्त होगा.

प्रक्रिया पूरी होने में लगेगा वक्तः इस संबंध में झारखंड राज्य खनिज विकास निगम के बालू प्रभारी धर्मेंद्र कुमार मेहता ने कहा कि यह तमाम प्रक्रिया पूरी होने के बाद जितने दिनों का एनवायरमेंट क्लीयरेंस मिलेगा, उतने ही दिन का टेंडर का काम होगा. झारखंड राज्य खनिज विकास निगम इन प्रक्रियाओं को पूरा होने के बाद प्रदूषण बोर्ड से मिलने वाले आवंटन के अनुसार बालू उठाव की देखरेख का काम करता है. यह तमाम प्रक्रिया पूरी होने में अभी वक्त लगेगा. यही वजह है कि राज्य सरकार के पास अभी के समय में एक भी बालू घाट नहीं हैं.

प्रक्रिया पूरी होने के बाद कुछ जिलों में होगी घाटों की नीलामीः नए सिरे से प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही राज्य के कुछ जिलों में बालू घाटों की नीलामी हो सकेगी. बहरहाल, राज्य सरकार की इन जटिल प्रक्रियाओं के कारण राज्य के अंदर बालू माफिया मालामाल हैं और बालू घाटों से जमकर अवैध खनन का काम हो रहा है. जिसमें सरकारी अधिकारी, पुलिस और बिचौलिए शामिल हैं.

रांची: झारखंड में बालू का अवैध कारोबार जारी है. इसे रोकने के लिए सरकार द्वारा भले ही कदम उठाने की बात कही जा रही हो, लेकिन हकीकत यह है कि अब तक ना तो नए सिरे से बालू घाटों की नीलामी हुई है और ना ही चिन्हितिकरण. ऐसे में राज्य के नौ जिलों में पूर्व से 21 बालू घाटों के भरोसे जेएसएमडीसी यानी झारखंड राज्य खनिज विकास निगम को रहना पड़ रहा है. यहां से बालू उठाव का आवंटन प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा मिलने के बाद जेएसएमडीसी इसे क्रियान्वित करती है.

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राज्य की विभिन्न नदियों से हो रहा बालू का अवैध उठावः इधर राज्य की विभिन्न नदियों के घाटों से अवैध ढंग से बालू का उठाव कर ऊंची कीमत पर बिक्री की जा रही है. झारखंड हाईकोर्ट ने भी इसे गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार को पिछले दिनों जमकर फटकार लगाई थी.
बालू घाटों को लेकर एसईएसी की बैठक एक अप्रैल कोः राज्य के विभिन्न जिलों में हो रहे बालू के अवैध खनन के बीच जिला स्तर पर कराए गए सर्वे के बाद एसईएसी यानी स्टेट एक्सपर्ट एपराइजल कमेटी की महत्वपूर्ण बैठक एक अप्रैल को बुलायी गई है. जिसमें राज्य के 12 जिलों धनबाद, गिरिडीह, पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम, पाकुड़, गोड्डा, रामगढ़, सिमडेगा, लोहरदगा, लातेहार, गुमला और सरायकेला-खरसावां में बालू खनन को लेकर निर्णय लिया जाएगा.

12 जिलों के घाटों को सर्वे कर सौंपी गई थी रिपोर्टः राज्य के 12 जिलों में बालू घाटों का सर्वे कराने के लिए सरकार ने निजी एजेंसी को नियुक्त किया था. निजी एजेंसी ने संबंधित जिलों के उपायुक्त को रिपोर्ट सौंपी थी. जिला सर्वे रिपोर्ट यानी डीएसआर को संबंधित जिलों द्वारा एसईएसी को भेजी गई है. जिसमें राज्य के 12 जिलों का चयन किया गया है.

एसईआईएए की स्वीकृति के बाद शुरू होगी प्रक्रियाः सेवानिवृत्त आईएफएस के नेतृत्व में गठित यह एक्सपर्ट कमेटी बालू खनन के विभिन्न मापदंडों का आकलन कर अपनी अनुशंसा एसईआईएए यानी स्टेट एनवायरमेंट इंपैक्ट एसेसमेंट अथॉरिटी को भेजेगी. एसईआईएए इस पर निर्णय करने के पश्चात बालू घाटों से खनन पर मुहर लगाकर राज्य प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड को प्रस्ताव भेजेगा. जहां से झारखंड राज्य खनिज विकास निगम को प्रतिवर्ष बालू उठाव का आवंटन प्राप्त होगा.

प्रक्रिया पूरी होने में लगेगा वक्तः इस संबंध में झारखंड राज्य खनिज विकास निगम के बालू प्रभारी धर्मेंद्र कुमार मेहता ने कहा कि यह तमाम प्रक्रिया पूरी होने के बाद जितने दिनों का एनवायरमेंट क्लीयरेंस मिलेगा, उतने ही दिन का टेंडर का काम होगा. झारखंड राज्य खनिज विकास निगम इन प्रक्रियाओं को पूरा होने के बाद प्रदूषण बोर्ड से मिलने वाले आवंटन के अनुसार बालू उठाव की देखरेख का काम करता है. यह तमाम प्रक्रिया पूरी होने में अभी वक्त लगेगा. यही वजह है कि राज्य सरकार के पास अभी के समय में एक भी बालू घाट नहीं हैं.

प्रक्रिया पूरी होने के बाद कुछ जिलों में होगी घाटों की नीलामीः नए सिरे से प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही राज्य के कुछ जिलों में बालू घाटों की नीलामी हो सकेगी. बहरहाल, राज्य सरकार की इन जटिल प्रक्रियाओं के कारण राज्य के अंदर बालू माफिया मालामाल हैं और बालू घाटों से जमकर अवैध खनन का काम हो रहा है. जिसमें सरकारी अधिकारी, पुलिस और बिचौलिए शामिल हैं.

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