रांची: झारखंड पुलिस में तीन साल से जमे अफसरों के तबादले में गड़बड़ी की बात सामने आई है. सीआईडी, स्पेशल ब्रांच, एसीबी समेत अन्य ईकाइयों में तीन साल और उससे अधिक समय से तैनात अफसरों को उन्हीं ईकाईयों में छोड़ दिए जाने के बाद विवाद हो गया है.
डीजीपी से मुलाकात कर जताई आपत्ति
राज्य पुलिस के जूनियर अफसरों के झारखंड पुलिस एसोसिएशन ने पूरे विवाद को लेकर डीजीपी कमल नयन चौबे से मुलाकात कर शिकायत दर्ज करने की बात कही है. झारखंड पुलिस एसोसिएशन के अध्यक्ष योगेंद्र सिंह ने कहा कि पूर्व में भी डीजीपी कमलनयन चौबे और डीजी मुख्यालय पीआरके नायडू से एसोसिएशन के प्रतिनिधिमंडल मिला था.
प्रतिनिधिमंडल ने आला अफसरों को जानकारी दी थी कि पूर्व में भी चुनाव आयोग के निर्देश पर हुए तबादलों में जिलों के साथ-साथ ईकाईयों में तैनात दरोगा इंस्पेक्टरों का तबादला किया जाता था. ऐसे में जब तबादले हो तो सारे जिलों और ईकाईयों से हों, लेकिन बावजूद इसके ईकाईयों में लंबे समय से काम कर रहे जूनियर पुलिस अफसरों को छोड़ दिया गया.
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सोमवार के बाद आंदोलन का फैसला
एसोसिएशन के पदाधिकारियों के मुताबिक एसोसिएशन का प्रतिनिधिमंडल सोमवार को डीजीपी और डीजी मुख्यालय से मिलेगा. डीजीपी और डीजी मुख्यालय इस मामले में क्या फैसला लेते हैं, इसके आधार पर आगे आंदोलन की रणनीति तैयार की जाएगी. एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने कहा कि पुलिस मुख्यालय ने तबादला कर दिया, ऐसे में लंबे समय से सीआईडी, एसीबी समेत दूसरे विंग में काम कर रहे पुलिसकर्मियों के मनोबल पर प्रभाव पड़ा है.
तबादला नीति के आधार पर तबादला नहीं
राज्य पुलिस में तबादले के लिए साल 2015 में तबादला नीति बनी थी. इस नीति के तहत ए, बी और सी कटैगरी में राज्य के 24 जिलों को बांटा गया था. ए कैटगरी में शहरी क्षेत्र वाले जिलों को रखा गया था, जबकि बी और सी केटैगरी में उग्रवाद और अतिउग्रवाद प्रभावित जिलों और ईकाइयों को रखा गया था. समान केटैगरी में तीन साल ये उससे अधिक समय तक रहे अफसरों को उसी केटैगरी के जिलों में लगातार पोस्टिंग नहीं दिए जाने की नीति बनी थी.