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बच्चों की सलामती के लिए कठिन परिस्थितियों में भी महिला पुलिस कर्मियों ने रखा है निर्जला व्रत - झारखंड खबर

रांची के ऐतिहासिक मोरहाबादी मैदान में सहायक पुलिस कर्मियों का आंदोलन लगातार जारी है. आंदोलन में बड़ी संख्या में महिला सहायक पुलिस कर्मी भी शामिल हैं उनमें से अधिकांश शादीशुदा है और उनके बच्चे भी हैं. खराब मौसम और कठिन परिस्थितियों के बावजूद सहायक महिला पुलिसकर्मी अपने बच्चों के लिए यह कठिन जिउतिया व्रत कर रही हैं.

Assistant Policemen
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Published : Sep 29, 2021, 5:16 PM IST

रांची: झारखंड सहायक पुलिसकर्मी आरक्षी के पद पर सीधी नियुक्ति की मांगों को लेकर मोरहाबादी मैदान में आंदोलनरत हैं. आंदोलन में रहने के बावजूद महिला कर्मी अपने रीति रिवाज और संस्कृति को नहीं भूली हैं. कई सहायक पुलिस महिला कर्मी अपने बच्चों के साथ धरने पर हैं, तो कईयों ने अपने बच्चों को घर पर छोड़ रखा है. महिला पुलिसकर्मी आंदोलन के साथ-साथ जिउतिया पर्व को लेकर निर्जला व्रत भी कर रही हैं.

ये भी पढ़ें- सहायक पुलिसकर्मियों के आंदोलन से टकराएगा गुलाब तूफान

व्रत कर रही महिला कर्मियों का कहना है कि सरकार उनकी मांगों को पूरा नहीं कर रही है. बढ़ी महंगाई की वजह से कम वेतन में घर का खर्च उठाना मुश्किल हो गया है. ऐसे में इस जिउतिया पर्व में वह आंदोलन पर व्रत रखी हुई हैं. अगर उनकी मांगें पूरी हो जाएगी, तो वह अपने बच्चों के साथ अगले वर्ष इस पर्व को अपने परिवार के साथ मना पाएगी.

देखें पूरी खबर

बच्चों की याद, आंखों में आंसू

जितिया पर्व के मौके पर 12 जिलों से आए झारखंड सहायक पुलिस कर्मियों में शामिल महिला कर्मी अपने बच्चों के लिए निर्जला व्रत रखी हुई है. गिरिडीह की महिला सहायक पुलिसकर्मी आरती कुमारी का कहना है कि वह अपने बच्चों को छोड़कर सीधी नियुक्ति की मांग को लेकर धरने पर हैं. मोबाइल वीडियो कॉल के माध्यम से बच्चों को निराशा भरी निगाहों से देखते हुए व्रत कर रही हैं. उन्होंने कहा कि बच्चों से दूर हैं लेकिन वे रांची में ही निर्जला उपवास पर हैं और भगवान से प्रार्थना कर रही है कि सरकार उनकी सुने ताकि वह भी अपने परिवार के साथ व्रत मना सकें.

Assistant Policemen Protest
बच्चों के साथ सहायक महिला पुलिसकर्मी

वहीं पलामू की संजु कुमारी कहती है कि खर्च कम हो और बच्चों को परेशानी न हो. इसलिए वह अपने बच्चों को लेकर धरने पर नहीं आई हैं. लेकिन जिउतिया पर्व में अपने बच्चों को मिस कर रही हैं. उन्होंने कहा कि चाहे कोई भी परिस्थिति आये अपने रीति रिवाज को कभी नहीं भूलना चाहिए. इसलिए वह धरने में परेशानियों के बावजूद निर्जला व्रत रखकर भगवान से बच्चों की खुशी की दुआ मांग रही हैं. उन्होंने कहा कि सहायक पुलिसकर्मियों ने पिछले 4 वर्ष की अवधि में नक्सल क्षेत्र के अलावा चुनाव, ट्रैफिक, श्रावणी मेला, वीआईपी मूवमेंट, कार्यालय, विधि व्यवस्था और कोविड-19 जैसी वैश्विक महामारी में भी ड्यूटी की है. लेकिन फिर भी सरकार उनकी मांगों की ओर ध्यान नहीं दे रही है. 10,000 रुपये वेतन में इस महंगाई के दौर में अपना और अपने परिवार का भरण पोषण करना मुश्किल हो रहा है.

Assistant Policemen Protest
मोरहाबादी मैदान में सहायक पुलिसकर्मियों का आंदोलन
ये भी पढ़ें- सरकार से आर-पार की लड़ाई के मूड में सहायक पुलिसकर्मी, मोरहाबादी में जुटानतीन दिन से जारी है आंदोलन

झारखंड सहायक पुलिस कर्मी सोमवार से मोरहाबादी मैदान में अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं. उन्हें जिला प्रशासन की ओर से बुनियादी सुविधा भी नहीं मुहैया कराई गई है और मौसम की भी दोहरी मार झेलनी पड़ रही है. वर्ष 2017 में गृह कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग के अधिसूचना के आधार पर 12 अतिनक्सल प्रभावित जिलों के लिए कुल 2500 झारखंड सहायक पुलिस की नियुक्ति अनुबंध के आधार पर की गई थी. इसके एवज में 10,000 रुपये प्रतिमाह वेतन निर्धारित किया गया था. साथ ही नियुक्ति के समय कहा गया था कि 3 वर्ष पूरे होने के बाद झारखंड पुलिस के पद पर सीधी नियुक्ति की जाएगी. लेकिन अब तक इस दिशा में कदम नहीं बढ़ाया गया है. ऐसे में झारखंड सहायक पुलिस के लगभग 2200 कर्मी 12 जिलों से इस आंदोलन में शामिल हुए हैं. इन जिलों में गढ़वा, पलामू, लातेहार, चतरा, दुमका, लोहरदगा, गिरिडीह, चाईबासा, जमशेदपुर, खूंटी, सिमडेगा और गुमला के सहायक पुलिसकर्मी शामिल हैं.

अब तक सिर्फ मिला है आश्वासन

इससे पहले भी अपनी मांगों को लेकर सभी ने सितंबर 2020 में आंदोलन भी किया था. उस समय मंत्री मिथिलेश ठाकुर द्वारा आश्वासन दिया गया था कि 15 दिनों के अंदर उनकी मांगों पर विचार किया जाएगा. लेकिन 15 महीने बीतने के बाद भी उनकी मांगों की ओर सरकार ने कदम नहीं बढ़ाया है. ऐसे में वह फिर से आंदोलन के लिए मजबूर हो गए हैं.

रांची: झारखंड सहायक पुलिसकर्मी आरक्षी के पद पर सीधी नियुक्ति की मांगों को लेकर मोरहाबादी मैदान में आंदोलनरत हैं. आंदोलन में रहने के बावजूद महिला कर्मी अपने रीति रिवाज और संस्कृति को नहीं भूली हैं. कई सहायक पुलिस महिला कर्मी अपने बच्चों के साथ धरने पर हैं, तो कईयों ने अपने बच्चों को घर पर छोड़ रखा है. महिला पुलिसकर्मी आंदोलन के साथ-साथ जिउतिया पर्व को लेकर निर्जला व्रत भी कर रही हैं.

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व्रत कर रही महिला कर्मियों का कहना है कि सरकार उनकी मांगों को पूरा नहीं कर रही है. बढ़ी महंगाई की वजह से कम वेतन में घर का खर्च उठाना मुश्किल हो गया है. ऐसे में इस जिउतिया पर्व में वह आंदोलन पर व्रत रखी हुई हैं. अगर उनकी मांगें पूरी हो जाएगी, तो वह अपने बच्चों के साथ अगले वर्ष इस पर्व को अपने परिवार के साथ मना पाएगी.

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बच्चों की याद, आंखों में आंसू

जितिया पर्व के मौके पर 12 जिलों से आए झारखंड सहायक पुलिस कर्मियों में शामिल महिला कर्मी अपने बच्चों के लिए निर्जला व्रत रखी हुई है. गिरिडीह की महिला सहायक पुलिसकर्मी आरती कुमारी का कहना है कि वह अपने बच्चों को छोड़कर सीधी नियुक्ति की मांग को लेकर धरने पर हैं. मोबाइल वीडियो कॉल के माध्यम से बच्चों को निराशा भरी निगाहों से देखते हुए व्रत कर रही हैं. उन्होंने कहा कि बच्चों से दूर हैं लेकिन वे रांची में ही निर्जला उपवास पर हैं और भगवान से प्रार्थना कर रही है कि सरकार उनकी सुने ताकि वह भी अपने परिवार के साथ व्रत मना सकें.

Assistant Policemen Protest
बच्चों के साथ सहायक महिला पुलिसकर्मी

वहीं पलामू की संजु कुमारी कहती है कि खर्च कम हो और बच्चों को परेशानी न हो. इसलिए वह अपने बच्चों को लेकर धरने पर नहीं आई हैं. लेकिन जिउतिया पर्व में अपने बच्चों को मिस कर रही हैं. उन्होंने कहा कि चाहे कोई भी परिस्थिति आये अपने रीति रिवाज को कभी नहीं भूलना चाहिए. इसलिए वह धरने में परेशानियों के बावजूद निर्जला व्रत रखकर भगवान से बच्चों की खुशी की दुआ मांग रही हैं. उन्होंने कहा कि सहायक पुलिसकर्मियों ने पिछले 4 वर्ष की अवधि में नक्सल क्षेत्र के अलावा चुनाव, ट्रैफिक, श्रावणी मेला, वीआईपी मूवमेंट, कार्यालय, विधि व्यवस्था और कोविड-19 जैसी वैश्विक महामारी में भी ड्यूटी की है. लेकिन फिर भी सरकार उनकी मांगों की ओर ध्यान नहीं दे रही है. 10,000 रुपये वेतन में इस महंगाई के दौर में अपना और अपने परिवार का भरण पोषण करना मुश्किल हो रहा है.

Assistant Policemen Protest
मोरहाबादी मैदान में सहायक पुलिसकर्मियों का आंदोलन
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झारखंड सहायक पुलिस कर्मी सोमवार से मोरहाबादी मैदान में अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं. उन्हें जिला प्रशासन की ओर से बुनियादी सुविधा भी नहीं मुहैया कराई गई है और मौसम की भी दोहरी मार झेलनी पड़ रही है. वर्ष 2017 में गृह कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग के अधिसूचना के आधार पर 12 अतिनक्सल प्रभावित जिलों के लिए कुल 2500 झारखंड सहायक पुलिस की नियुक्ति अनुबंध के आधार पर की गई थी. इसके एवज में 10,000 रुपये प्रतिमाह वेतन निर्धारित किया गया था. साथ ही नियुक्ति के समय कहा गया था कि 3 वर्ष पूरे होने के बाद झारखंड पुलिस के पद पर सीधी नियुक्ति की जाएगी. लेकिन अब तक इस दिशा में कदम नहीं बढ़ाया गया है. ऐसे में झारखंड सहायक पुलिस के लगभग 2200 कर्मी 12 जिलों से इस आंदोलन में शामिल हुए हैं. इन जिलों में गढ़वा, पलामू, लातेहार, चतरा, दुमका, लोहरदगा, गिरिडीह, चाईबासा, जमशेदपुर, खूंटी, सिमडेगा और गुमला के सहायक पुलिसकर्मी शामिल हैं.

अब तक सिर्फ मिला है आश्वासन

इससे पहले भी अपनी मांगों को लेकर सभी ने सितंबर 2020 में आंदोलन भी किया था. उस समय मंत्री मिथिलेश ठाकुर द्वारा आश्वासन दिया गया था कि 15 दिनों के अंदर उनकी मांगों पर विचार किया जाएगा. लेकिन 15 महीने बीतने के बाद भी उनकी मांगों की ओर सरकार ने कदम नहीं बढ़ाया है. ऐसे में वह फिर से आंदोलन के लिए मजबूर हो गए हैं.

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