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अजीत पवार गुट में शामिल कमलेश सिंह के खिलाफ दलबदल का मामला, स्पीकर के ट्रिब्यूनल में हुई सुनवाई

Anti defection hearing against NCP MLA Kamlesh Singh. अजीत पवार गुट में शामिल होने वाले एनसीपी विधायक कमलेश सिंह के खिलाफ दलबदल मामले को लेकर झारखंड विधानसभा स्पीकर के ट्रिब्यूनल में सुनवाई हुई. जिसमें दोनों पक्षों की ओर से अपना पक्ष रखा गया. इस मामले में शरद पवार गुट की ओर से स्पीकर से शिकायत की गई है.

NCP MLA Kamlesh Singh
NCP MLA Kamlesh Singh
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jan 5, 2024, 11:02 PM IST

रांची: झारखंड से एनसीपी के इकलौते विधायक कमलेश सिंह के अजीत पवार गुट में शामिल होने के विरोध में शरद पवार गुट की शिकायत पर स्पीकर के ट्रिब्यूनल में दलबदल का मामला चल रहा है. 5 जनवरी को सुनवाई के दौरान विधायक कमलेश सिंह के अधिवक्ता ने कहा कि राज्य में पार्टी के सिंगल विधायक होने के नाते उनपर संविधान की 10वीं अनुसूची के तहत दलबदल का मामला नहीं चलाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि एनसीपी पर दावेदारी का मामला चुनाव आयोग में लंबित है. कमलेश सिंह किसी दूसरी पार्टी में शामिल नहीं हुए हैं. इस पर शरद पवार गुट के अधिवक्ता ने सवाल खड़े किए. बहस के दौरान कमलेश सिंह के अधिवक्ता ने तथ्य रखने के लिए समय की मांग की. इसके बाद सुनवाई स्थगित हो गई. विधायक कमलेश सिंह से संपर्क करने पर बताया गया कि उन्हें अभी इस बात की जानकारी नहीं मिली है कि अगली सुनवाई कब होगी.

क्यों चल रहा है दलबदल का मामला: दरअसल, महाराष्ट्र में चाचा और भतीजा के बीच एनसीपी पर कब्जे को लेकर जंग छिड़ी हुई है. यह मामला चुनाव आयोग में है. इस बीच पिछले साल सितंबर में कमलेश सिंह ने घोषित कर दिया कि वह अजीत पवार गुट के साथ हैं. इसके विरोध में शरद पवार गुट के विधायक सह प्रवक्ता जितेंद्र अह्वाड ने स्पीकर से शिकायत की थी कि कमलेश सिंह पार्टी विरोधी काम कर रहे हैं. इसलिए उनपर दलबदल का मामला चलना चाहिए. इसी आधार पर स्पीकर रबींद्र नाथ महतो ने कमलेश सिंह को पक्ष रखने के लिए कहा था. इस मामले की पहली सुनवाई 12 अक्टूबर 2023 को तय की गई थी लेकिन दोनों पक्षों की स्वीकृति से सुनवाई की अगली तारीख मांगी गई थी.

हालांकि शरद पवार गुट की तरफ से शिकायत आने पर अजीत पवार गुट की तरफ से स्पीकर को बताया गया था कि पार्टी पर अधिकार का मामला चुनाव आयोग में है. इसलिए किसी की तरफ से एनसीपी होने का दावा करना या किसी की सदस्यता को चुनौती देना उचित नहीं है. इस बीच कमलेश सिंह ने 31 अक्टूबर को प्रेस कांफ्रेंस बुलाकर सरकार से मांग रख दी कि हुसैनाबाद को जिला बनाया जाए. अगर ऐसा नहीं होता है तो वह सरकार से समर्थन वापस ले लेंगे. इस घोषणा के अगले ही दिन 1 नवंबर को उन्होंने समर्थन वापसी की घोषणा कर दी थी.

रांची: झारखंड से एनसीपी के इकलौते विधायक कमलेश सिंह के अजीत पवार गुट में शामिल होने के विरोध में शरद पवार गुट की शिकायत पर स्पीकर के ट्रिब्यूनल में दलबदल का मामला चल रहा है. 5 जनवरी को सुनवाई के दौरान विधायक कमलेश सिंह के अधिवक्ता ने कहा कि राज्य में पार्टी के सिंगल विधायक होने के नाते उनपर संविधान की 10वीं अनुसूची के तहत दलबदल का मामला नहीं चलाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि एनसीपी पर दावेदारी का मामला चुनाव आयोग में लंबित है. कमलेश सिंह किसी दूसरी पार्टी में शामिल नहीं हुए हैं. इस पर शरद पवार गुट के अधिवक्ता ने सवाल खड़े किए. बहस के दौरान कमलेश सिंह के अधिवक्ता ने तथ्य रखने के लिए समय की मांग की. इसके बाद सुनवाई स्थगित हो गई. विधायक कमलेश सिंह से संपर्क करने पर बताया गया कि उन्हें अभी इस बात की जानकारी नहीं मिली है कि अगली सुनवाई कब होगी.

क्यों चल रहा है दलबदल का मामला: दरअसल, महाराष्ट्र में चाचा और भतीजा के बीच एनसीपी पर कब्जे को लेकर जंग छिड़ी हुई है. यह मामला चुनाव आयोग में है. इस बीच पिछले साल सितंबर में कमलेश सिंह ने घोषित कर दिया कि वह अजीत पवार गुट के साथ हैं. इसके विरोध में शरद पवार गुट के विधायक सह प्रवक्ता जितेंद्र अह्वाड ने स्पीकर से शिकायत की थी कि कमलेश सिंह पार्टी विरोधी काम कर रहे हैं. इसलिए उनपर दलबदल का मामला चलना चाहिए. इसी आधार पर स्पीकर रबींद्र नाथ महतो ने कमलेश सिंह को पक्ष रखने के लिए कहा था. इस मामले की पहली सुनवाई 12 अक्टूबर 2023 को तय की गई थी लेकिन दोनों पक्षों की स्वीकृति से सुनवाई की अगली तारीख मांगी गई थी.

हालांकि शरद पवार गुट की तरफ से शिकायत आने पर अजीत पवार गुट की तरफ से स्पीकर को बताया गया था कि पार्टी पर अधिकार का मामला चुनाव आयोग में है. इसलिए किसी की तरफ से एनसीपी होने का दावा करना या किसी की सदस्यता को चुनौती देना उचित नहीं है. इस बीच कमलेश सिंह ने 31 अक्टूबर को प्रेस कांफ्रेंस बुलाकर सरकार से मांग रख दी कि हुसैनाबाद को जिला बनाया जाए. अगर ऐसा नहीं होता है तो वह सरकार से समर्थन वापस ले लेंगे. इस घोषणा के अगले ही दिन 1 नवंबर को उन्होंने समर्थन वापसी की घोषणा कर दी थी.

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