रांची/जमशेदपुर: हेमंत सोरेन पिछले कुछ महीनों से अपनों की नाराजगी झेल रहे हैं. चाहे वो अपनी पार्टी के विधायक हों या फिर सहयोगी दल कांग्रेस के विधायक. सभी समय-समय पर सरकार की मुखालफत करते देखे गए हैं. बात यहीं तक रूक जाती तो कुछ न था, नाराजगी की बात यहां तक आ पहुंची है कि बयानबाजी के बाद गैरों से मिलने-मिलाने का भी सिलसिला शुरू हो गया है. हेमंत सरकार के मंत्री बन्ना गुप्ता की भी चाल-ढाल पिछले कुछ दिनों से बदले-बदले से नजर आ रहे हैं.
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शुक्रवार को बन्ना गुप्ता ने कुछ तस्वीर अपने ट्विटर हैंडल पर डाली. इन तस्वीरों में वे बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास से मुलाकात करते दिख रहे हैं. त्रेता की बताई जाने वाली तस्वीरों को याद करें तो यह किसी राम-भरत मिलाप से थोड़ी ही पीछे जैसी कहानी कहती नजर आएगी. रघुवर नेता भी उस पार्टी के हैं जिसकी बात बिना राम और भगवा के पूरी नहीं होती. दरअसल, झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने शुक्रवार को जमशेदपुर दौरे के दौरान रघुवर दास से भी मुलाकात की. स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने रघुवर दास की पोती को उसके पहले जन्मदिन पर आशीर्वाद भी दिया है. इस खास मौके पर जिस अंदाज में वे रघुवर दास से गले मिले, उससे बीजेपी और कांग्रेस के नेताओं में चर्चा का दौर शुरू हो गया है.
इतना ही नहीं शुक्रवार को ही बन्ना गुप्ता हिन्दू नव वर्ष में हिन्दू उत्सव समिति द्वारा निकाली गई शोभा यात्रा में भी शामिल हुए. इस दौरान स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता हाथ में भगवा झंडा लिए, सिर पर भगवा पगड़ी पहने और भगवा रंग से सराबोर नजर आए. बन्ना के बोल भी ऐसे थे कि राजनीतिक गलियारे में सुगबुगाहट तो होनी ही थी. बन्ना बोले- राम हमारे आस्था के प्रतीक हैं, राम का नाम मात्र लेने से शरीर में नई ऊर्जा का संचार होता है. मर्यादा पुरुषोत्तम राम पुरुषार्थ के प्रतीक हैं, हमारे गौरव हैं, हम सबके हैं. सभी राज्यवासियों को हिन्दू नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं. इससे पहले बन्ना गुप्ता इस तरह के कार्यक्रम में शामिल होने से परहेज करते थे, लेकिन संभवत: यह पहला मौका था जब बन्ना गुप्ता हिन्दू नव वर्ष शोभा यात्रा में शामिल हुए हैं.
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इन सबसे पिछले कुछ दिनों से जमशेदपुर में इस बात की चर्चा जोर पकड़ने लगी है कि बन्ना गुप्ता का भगवा प्रेम बढ़ने लगा है. क्योंकि पिछले दिनों जमशेदपुर में कांग्रेस कार्यकर्ता सम्मेलन का आयोजन किया गया था. उस सम्मेलन में भी भगवा रंग का बोलबाला था. यहां तक कि टेबल के पर्दे का रंग भी भगवा ही था. सम्मेलन के मुख्य आयोजनकर्ता बन्ना गुप्ता ही माने जाते हैं.
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राम हमारे आस्था के प्रतिक है, राम हमारे धर्म के केंद्र बिंदु है, प्रभु श्रीराम का नाम मात्र लेने से शरीर में नए ऊर्जा का संचार होता है।
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मर्यादा पुरुषोत्तम राम पुरुषार्थ के प्रतिक है, हमारे गौरव है हम सबके है.
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मर्यादा पुरुषोत्तम राम पुरुषार्थ के प्रतिक है, हमारे गौरव है हम सबके है.
सभी राज्यवासियों को हिन्दू नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें। pic.twitter.com/3NUphP6FwNराम हमारे आस्था के प्रतिक है, राम हमारे धर्म के केंद्र बिंदु है, प्रभु श्रीराम का नाम मात्र लेने से शरीर में नए ऊर्जा का संचार होता है।
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मर्यादा पुरुषोत्तम राम पुरुषार्थ के प्रतिक है, हमारे गौरव है हम सबके है.
सभी राज्यवासियों को हिन्दू नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें। pic.twitter.com/3NUphP6FwN
इसलिए लोग कहने लगे हैं कि बन्ना गुप्ता के चाल ढाल बदलने लगे हैं. दरअसल, जब से बन्ना गुप्ता ने कांग्रेस चिंतन शिविर में मुख्यमंत्री के खिलाफ बयान दिया है. उसके बाद से ही उनके व्यवहार में परिवर्तन दिख रहा है. मुख्यमंत्री के खिलाफ बयान देने से इस बात की चर्चा थी कि सीएम हेमंत काफी नाराज हो गए हैं और उनके इस्तीफे तक की बात उड़ने लगी है. कांग्रेस आलाकमान ने भी बन्ना गुप्ता को दिल्ली बुलाया था. इन सब परिस्थियों को देखें और उनके गतिविधियों की कड़ी को जोड़ें तो कुछ संकेत तो जरूर निकल कर सामने आ रहा है.
कांग्रेस के विधायक हेमंत सरकार पर लगातार हमलावर तो हो ही रहे हैं. अब उनकी अपनी ही पार्टी के विधायक भी विपक्ष की सी भूमिका में नजर आने लगे हैं. इन विधायकों में लोबिन हेंब्रम और सीता सोरेन का नाम सबसे ऊपर है. लोबिन सरकार के शराब बेचने के मामले से लेकर स्थानीय नीति जैसे कई मुद्दों पर सरकार के रवैये से नाराज हैं और सार्वजनिक तौर सदन से सड़क तक इस पर अपना विरोध दर्ज करवा चुके हैं.
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इधर सीएम हेमंत की भाभी सीता सोरेन भी कुछ दिनों से देवर से कुछ अधिक ही नाराज दिख रही हैं. कभी अपनी बात को लेकर सीएम हेमंत से मिलती हैं तो कभी गुरुजी शिबू सोरेन से. अब अपनी सरकार की शिकायत लेकर सीता सोरेन राज्यपाल तक पहुंच गईं. जब वो वहां से निकलीं तो कहा कि मेरे खिलाफ साजिश हो रही, मेरी आवाज को दबाने की कोशिश की जा रही है. उन्होंने कहा कि अब इस सरकार से कोई उम्मीद नहीं बची है. इससे झारखंड की सियासत में अटकलों को हवा मिल रही है.
चाहे वो बन्ना गुप्ता हों या लोबिन हेंब्रम या सीता सोरेन या फिर कोई और विधायक कोई भी हेमंत से साथ स्थायी तौर पर हमेशा के लिए जुड़े रहेंगे या नहीं..इसका गुणा भाग होने लगा है. फिलहाल शायद ही कोई इसकी गारंटी राजनीति में दे सके. क्यों कि कहते हैं न कि राजनीति में कुछ भी स्थायी नहीं होता है.