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झारखंड विधानसभा चुनाव 2019 : OBC समुदाय को लुभाने की जुगत में राजनीतिक दल, जानें क्या है वजह

झारखंड में विधानसभा चुनाव का आगाज हो गया है. सभी दलों ने अपने-अपने मेनिफेस्टो में अन्य पिछड़े वर्गों के विकास को प्राथमिकता दे रहे हैं, लेकिन चुनाव के रिजल्ट आने के बाद ही यह पता चल पाएगा कि कौन सी पार्टी इसे तरजीह देती है.

All parties gave priority to OBC in manifesto in jharkhand
ओबीसी समुदाय को लुभाने की जुगत में राजनीतिक दल
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Published : Dec 1, 2019, 2:04 PM IST

रांची: चुनाव आते ही राजनीतिक दलों और नेताओं के 'आश्वासन के राशन' का पिटारा खुलने लगता है. हर राजनीतिक दल अपने-अपने हिसाब से घोषणा पत्र तैयार करता है. ऐसा ही कुछ इस बार झारखंड विधानसभा चुनाव में भी देखने को मिल रहा है.

जानकारी देते आजसू के केंद्रीय प्रवक्ता

विधानसभा चुनाव 2019 में सभी दलों के मेनिफेस्टो में अन्य पिछड़े वर्गों को बेशुमार प्राथमिकता दी गई है. सत्तारूढ़ बीजेपी की बात करें या प्रमुख विपक्षी दल जेएमएम कि या आजसू सभी दलों ने ओबीसी को पर्याप्त आरक्षण देना अपनी प्राथमिकता बताया है.

All parties gave priority to OBC in manifesto in jharkhand
बीजेपी का मेनिफेस्टो

इसे भी पढ़ें:- बीजेपी ने लिखा चुनाव आयोग को पत्र, कांग्रेस प्रत्याशी केएन त्रिपाठी के खिलाफ स्पीड ट्रायल की मांग

पीछे पलट कर देखें तो झारखंड में ओबीसी के लिए आरक्षण की मांग दोहराते रहने वाले आजसू पार्टी ने आबादी के हिसाब से आरक्षण देने की मांग की है. आजसू ने साफ तौर पर कहा कि राज्य में निवास करने वाली अन्य पिछड़ा वर्ग की आबादी को 27 से 32% तक का आरक्षण मिलना चाहिए. आजसू के केंद्रीय प्रवक्ता देवशरण भगत ने कहा कि यह महज कोरा आश्वासन नहीं है, बल्कि इस मांग को लेकर पार्टी लगातार सरकार में शामिल रहने के बावजूद आवाज उठाती रही है. उन्होंने कहा कि अन्य दलों के लिए यह इलेक्शन मेनिफेस्टो का एक पॉइंट हो सकता है, लेकिन आजसू पार्टी के लिए यह प्रतिबद्धता है.

All parties gave priority to OBC in manifesto in jharkhand
जेएमएम का मेनिफेस्टो


वहीं, प्रदेश में सत्तारूढ़ बीजेपी ने भी अन्य पिछड़ा वर्ग को संविधान सम्मत आरक्षण देने की वकालत की है. पार्टी ने साफ तौर पर कहा कि यदि राज्य में दोबारा सरकार बनती है तो अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति के साथ अन्य पिछड़ा वर्ग को भी पर्याप्त आरक्षण देने के लिए हर संभव कोशिश की जाएगी, जबकि प्रमुख विपक्षी दल जेएमएम ने भी अपने इलेक्शन मेनिफेस्टो में अन्य पिछड़ा वर्ग को 27% आरक्षण देने की वकालत की है, हालांकि इस दौड़ में विपक्षी दल जेवीएम भी शामिल है, वहीं कांग्रेस ने भी अन्य मुद्दों के साथ इसे भी अपनी प्राथमिकता बताया है.

All parties gave priority to OBC in manifesto in jharkhand
जेवीएम का मेनिफेस्टो

इसे भी पढ़ें:- बीजेपी ने लिखा चुनाव आयोग को पत्र, कांग्रेस प्रत्याशी केएन त्रिपाठी के खिलाफ स्पीड ट्रायल की मांग

आखिर क्या है ओबीसी पॉलिटिक्स की वजह
सामाजिक, आर्थिक जाति जनगणना, 2011 की रिपोर्ट पर नजर डालें तो झारखंड में अन्य पिछड़ा वर्ग या ओबीसी के लगभग 1.33 करोड़ लोग रहते हैं, जबकि राज्य की आबादी 3.29 करोड़ है. उस हिसाब से देखें तो राज्य में एक तिहाई से भी अधिक आबादी अन्य पिछड़ा वर्ग की है.

मौजूदा आंकड़ों के अनुसार गिरिडीह राज्य का वह जिला है, जहां ओबीसी की सबसे ज्यादा आबादी है.यहां 15.42 लाख ओबीसी रहते हैं, जो जिले की कुल आबादी का 60% से अधिक है. वहीं जनसंख्या के लिहाज से देखें तो धनबाद में यह आबादी 11. 54 लाख है, जबकि बोकारो में इनकी आबादी 7.66 लाख है.

रांची: चुनाव आते ही राजनीतिक दलों और नेताओं के 'आश्वासन के राशन' का पिटारा खुलने लगता है. हर राजनीतिक दल अपने-अपने हिसाब से घोषणा पत्र तैयार करता है. ऐसा ही कुछ इस बार झारखंड विधानसभा चुनाव में भी देखने को मिल रहा है.

जानकारी देते आजसू के केंद्रीय प्रवक्ता

विधानसभा चुनाव 2019 में सभी दलों के मेनिफेस्टो में अन्य पिछड़े वर्गों को बेशुमार प्राथमिकता दी गई है. सत्तारूढ़ बीजेपी की बात करें या प्रमुख विपक्षी दल जेएमएम कि या आजसू सभी दलों ने ओबीसी को पर्याप्त आरक्षण देना अपनी प्राथमिकता बताया है.

All parties gave priority to OBC in manifesto in jharkhand
बीजेपी का मेनिफेस्टो

इसे भी पढ़ें:- बीजेपी ने लिखा चुनाव आयोग को पत्र, कांग्रेस प्रत्याशी केएन त्रिपाठी के खिलाफ स्पीड ट्रायल की मांग

पीछे पलट कर देखें तो झारखंड में ओबीसी के लिए आरक्षण की मांग दोहराते रहने वाले आजसू पार्टी ने आबादी के हिसाब से आरक्षण देने की मांग की है. आजसू ने साफ तौर पर कहा कि राज्य में निवास करने वाली अन्य पिछड़ा वर्ग की आबादी को 27 से 32% तक का आरक्षण मिलना चाहिए. आजसू के केंद्रीय प्रवक्ता देवशरण भगत ने कहा कि यह महज कोरा आश्वासन नहीं है, बल्कि इस मांग को लेकर पार्टी लगातार सरकार में शामिल रहने के बावजूद आवाज उठाती रही है. उन्होंने कहा कि अन्य दलों के लिए यह इलेक्शन मेनिफेस्टो का एक पॉइंट हो सकता है, लेकिन आजसू पार्टी के लिए यह प्रतिबद्धता है.

All parties gave priority to OBC in manifesto in jharkhand
जेएमएम का मेनिफेस्टो


वहीं, प्रदेश में सत्तारूढ़ बीजेपी ने भी अन्य पिछड़ा वर्ग को संविधान सम्मत आरक्षण देने की वकालत की है. पार्टी ने साफ तौर पर कहा कि यदि राज्य में दोबारा सरकार बनती है तो अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति के साथ अन्य पिछड़ा वर्ग को भी पर्याप्त आरक्षण देने के लिए हर संभव कोशिश की जाएगी, जबकि प्रमुख विपक्षी दल जेएमएम ने भी अपने इलेक्शन मेनिफेस्टो में अन्य पिछड़ा वर्ग को 27% आरक्षण देने की वकालत की है, हालांकि इस दौड़ में विपक्षी दल जेवीएम भी शामिल है, वहीं कांग्रेस ने भी अन्य मुद्दों के साथ इसे भी अपनी प्राथमिकता बताया है.

All parties gave priority to OBC in manifesto in jharkhand
जेवीएम का मेनिफेस्टो

इसे भी पढ़ें:- बीजेपी ने लिखा चुनाव आयोग को पत्र, कांग्रेस प्रत्याशी केएन त्रिपाठी के खिलाफ स्पीड ट्रायल की मांग

आखिर क्या है ओबीसी पॉलिटिक्स की वजह
सामाजिक, आर्थिक जाति जनगणना, 2011 की रिपोर्ट पर नजर डालें तो झारखंड में अन्य पिछड़ा वर्ग या ओबीसी के लगभग 1.33 करोड़ लोग रहते हैं, जबकि राज्य की आबादी 3.29 करोड़ है. उस हिसाब से देखें तो राज्य में एक तिहाई से भी अधिक आबादी अन्य पिछड़ा वर्ग की है.

मौजूदा आंकड़ों के अनुसार गिरिडीह राज्य का वह जिला है, जहां ओबीसी की सबसे ज्यादा आबादी है.यहां 15.42 लाख ओबीसी रहते हैं, जो जिले की कुल आबादी का 60% से अधिक है. वहीं जनसंख्या के लिहाज से देखें तो धनबाद में यह आबादी 11. 54 लाख है, जबकि बोकारो में इनकी आबादी 7.66 लाख है.

Intro:बीजेपी, झामुमो, कांग्रेस झाविमो के मैनिफेस्टो की फोटो
बाइट देवशरण भगत केंद्रीय प्रवक्ता आजसू पार्टी

रांची। चुनावों के मौसम आते हैं राजनीतिक दलों और नेताओं के 'आश्वासन के राशन' का पिटारा खुलने लगता है। हर राजनीतिक दल अपने अपने हिसाब से बकायदा घोषणा पत्र तैयार करता है। ऐसा ही कुछ इस बार झारखंड विधानसभा चुनाव में भी देखने को मिल रहा है। हैरत की बात यह है कि 2019 के विधानसभा चुनाव में जारी किए गए घोषणापत्र में अन्य पिछड़ा वर्ग सभी दलों के प्राथमिकता में शुमार है। सत्तारूढ़ बीजेपी की बात करें या प्रमुख विपक्षी दल झारखंड मुक्ति मोर्चा कि या आजसू पार्टी हो सभी दलों ने ओबीसी को पर्याप्त आरक्षण देना अपनी प्राथमिकता बताया है।

पीछे पलट कर देखें तो राज्य में ओबीसी के लिए आरक्षण की मांग दोहराते रहने वाले आजसू पार्टी ने आबादी के हिसाब से आरक्षण देने की मांग की है। पार्टी ने साफ तौर पर कहा कि राज्य में निवास करने वाली अन्य पिछड़ा वर्ग की आबादी को 27 से 32% तक का आरक्षण मिलना चाहिए। इस बाबत आजसू के केंद्रीय प्रवक्ता देवशरण भगत ने कहा कि यह महज कोरा आश्वासन नहीं है बल्कि इस मांग को लेकर पार्टी लगातार सरकार में शामिल रहने के बावजूद आवाज उठाती रही है। उन्होंने कहा कि अन्य दलों के लिए यह इलेक्शन मेनिफेस्टो का एक पॉइंट हो सकता है लेकिन आजसू पार्टी के लिए यह प्रतिबद्धता है।



Body:वहीं प्रदेश में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने भी अन्य पिछड़ा वर्ग को संविधान सम्मत आरक्षण देने की वकालत की है। पार्टी ने साफ तौर पर कहा कि यदि राज्य में दोबारा सरकार बनती है तो अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति के साथ अन्य पिछड़ा वर्ग को भी पर्याप्त आरक्षण देने के लिए हर संभव कोशिश की जाएगी। जबकि प्रमुख विपक्षी दल झारखंड मुक्ति मोर्चा ने भी अपने इलेक्शन मेनिफेस्टो में अन्य पिछड़ा वर्ग को 27% आरक्षण देने की वकालत की है। हालांकि इस दौड़ में विपक्षी दल झारखंड विकास मोर्चा में शामिल है। वहीं कांग्रेस ने भी अन्य मुद्दों के साथ इसे भी अपनी प्राथमिकता बताया है।


Conclusion:आखिर क्या है ओबीसी पॉलिटिक्स की वजह
सामाजिक, आर्थिक जाति जनगणना, 2011 की रिपोर्ट पर नजर डालें तो झारखंड में अन्य पिछड़ा वर्ग या ओबीसी के करीब 1.33 करोड़ लोग रहते हैं। जबकि राज्य की आबादी 3.29 करोड़ की है। उस हिसाब से देखें तो राज्य में एक तिहाई से भी अधिक आबादी अन्य पिछड़ा वर्ग की है ।
मौजूदा आंकड़ों के अनुसार गिरिडीह राज्य का वह जिला है जहां ओबीसी की सबसे ज्यादा आबादी है। यहाँ 15.4 2 लाख ओबीसी रहते हैं जो जिले की कुल आबादी का 60% से अधिक है। वहीं जनसंख्या के लिहाज से देखें तो धनबाद में यह आबादी 11. 54 लाख है। जबकि बोकारो में इनकी आबादी 7.66 लाख है।
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