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राजधानी में सड़क हादसों में कमी लेकिन मौत में इजाफा, जानिए क्या है वजह - झारखंड में रोड एक्सीडेंट

राजधानी रांची की सड़कें खून से लाल (accidents in Ranchi city) है. शहर की ऐसी कोई भी सड़क नहीं है जहां रोड एक्सीडेंट के खून के छींटे ना पड़े हों. आंकड़ों के मुताबिक हर महीने औसतन 40-45 लोग ऐसे हादसों में अपनी जान गंवा देते हैं. इसमें जान गंवाने वालों में सबसे ज्यादा संख्या युवाओं की है. लेकिन हालिया दिनों मे सड़क हादसों में कमी हुई है लेकिन मौत में इजाफा हुआ है. ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट से जानिए, इसके पीछे क्या है वजह.

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रांची
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Published : Jul 9, 2022, 12:15 PM IST

Updated : Jul 9, 2022, 1:09 PM IST

रांचीः राजधानी में सड़क हादसों में कमी लेकिन मौत के आंकड़ों में इजाफा हुआ है. इसके पीछे इयर बड्स का इस्तेमाल और शराब (major reason for road accidents) सबसे बड़ी वजह बनकर सामने आई है. रोड सेफ्टी की अनदेखी और छोटी सी लापरवाही से वो मौत के आगोश में समा रहे हैं.

इसे भी पढ़ें- शराब और रफ्तार की वजह से राजधानी में बढ़े सड़क हादसे, मृतकों में सबसे ज्यादा युवा

राजधानी रांची में हर महीने औसतन 40 से 45 लोग अपनी जान सड़क हादसों में गवां देते हैं. मरने वालों में सबसे ज्यादा संख्या युवाओं की है. अब सड़क हादसों के पीछे सबसे बड़ी वजह ड्रंक एंड ड्राइव (alcohol and use of ear buds) को माना जाता रहा है. लेकिन अब सड़क हादसों की एक और बड़ी वजह सामने आई है जो युवाओं के मौत का कारण बन रही है. रोड सेफ्टी विभाग के आंकड़ों के अनुसार कानों इयर बड्स या हेडफोन लगाकर ड्राइव करने वाले युवा सड़क हादसों का ज्यादा शिकार हो रहे हैं.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

सड़क हादसे घटे पर मौत के आंकड़े बढ़ेः राजधानी में सड़क हादसों का ग्राफ गिरा है लेकिन सबसे हैरानी की बात यह है कि मौत के आंकड़ों में कोई कमी नहीं आई है. आमतौर पर हर बार साल के तीन महीने नवंबर, दिसंबर और जनवरी में सड़क हादसों में बढ़ोतरी दर्ज की जाती है. इसके पीछे कई वजहें जैसे कुहासा और नए साल का जश्न होता है. लेकिन इस वर्ष जनवरी महीने के बाद के अगले 6 महीने में भी सड़क हादसों में होनी वाली मौत का औसत जनवरी जैसे ही बना हुआ है.

जानकार बताते हैं कि इसके पीछे सबसे बड़ी वजह ड्रिंक एंड ड्राइव है. लेकिन सड़क हादसों के पीछे एक और बड़ी वजह सामने आई है वह हेडफोन और इयर बड्स का इस्तेमाल. हाल के दिनों में हेडफोन और इयर बड्स लगाकर वाहन चलाने का चलन काफी बढ़ा है. यही वजह है कि पिछले 6 महीने में सड़क हादसों में जान गंवाने वाले अधिकांश लोग या तो नशे में ड्राइव कर रहे थे या फिर उन्होंने कानों में हेडफोन लगा रखा था.

क्या है आंकड़ेः साल 2021 में रांची में ही केवल 448 लोगों ने अपनी जान गंवा दी और 339 लोग बेहद गंभीर रूप से घायल हुए. करीब 100 से ज्यादा लोगों को सड़क हादसों में घायल होने की वजह से अपंग होना पड़ा. वहीं साल 2022 के आंकड़ों की बात करें तो जनवरी महीने में कुल 61 सड़क हादसों में 51 लोगों की मौत हुई जबकि 26 लोग घायल हुए. फरवरी महीने में 46 सड़क हादसे हुए जिनमें 32 लोगों की मौत हुई और 17 घायल हुए. मार्च महीने में 54 सड़क हादसे हुए जिनमें से 30 लोगों की मौत हुई और 36 घायल हुए. अप्रैल महीने में 51 सड़क हादसे हुए जिनमें 36 लोगों की मौत हुई और 29 जख्मी हुए. वहीं मई महीने में 57 सड़क हादसे हुए जिनमें 45 लोगों की मौत हो गई वहीं 38 लोग घायल हो गए. यानी जनवरी 2022 से लेकर मई 2022 तक कुल 269 सड़क हादसे हुए जिनमें 201 लोग अपनी जान गंवा बैठे वहीं 146 जख्मी हुए.

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जानिए आंकड़े

18 से 35 उम्र के हुए सबसे ज्यादा शिकारः रांची के सड़क सुरक्षा कार्यालय से मिली सूचना के अनुसार सड़क हादसों में मरने वाले सबसे ज्यादा युवा हैं. इनकी उम्र 18 से 35 के बीच है. तेज रफ्तार, शराब और इयर बड्स, हेडफोन का इस्तेमाल हादसों की प्रमुख वजह है.

इसे भी पढ़ें- पलामू की सड़कें खून से हो रहीं लाल, हर हफ्ते तीन लोगों की दुर्घटना में जा रही जान

एनएच और रिंग रोड में सबसे ज्यादा हादसेः पूर्व के सालों में रांची के शहरी इलाकों में भी सड़क हादसे ज्यादा हुआ करते थे लेकिन उनमें काफी कमी आई है. लेकिन सबसे दुखद बात यह है कि अब सड़क हादसे बेहतर सड़कों पर हो रहे हैं. रांची के सड़क सुरक्षा प्रबंधक जमाल अशरफ खान के अनुसार सबसे अधिक सड़क हादसे बेहतरीन सड़कों पर हुए हैं. जिनमें रांची के रिंग रोड, रांची टाटा रोड शामिल हैं. हाल के दिनों में इन सड़कों को बेहतर किया गया है. जिसके बाद यहां चलने वाले वाहनों की रफ्तार काफी तेज हो गई है. खासकर युवा हाई स्पीड बाइक चलाते हैं. ऐसी बाइक 200 सीसी इंजन से शुरू होती है. हाई स्पीड इंजन वाली बाइक को चलाना जितना आसान है, उतना ही मुश्किल इसे आपात स्थिति में संभालना होता है. बाइक में लगे ट्विन डिस्क ब्रेक के कारण अक्सर युवा दुर्घटना के शिकार हो रहे हैं. आज के युवा भी किसी भी कीमत पर हेलमेट नहीं पहना चाहते हैं. जितने भी सड़क हादसों में युवाओं की जान गई है, उनमें से अधिकांश ने हेलमेट नहीं पहना था. सड़क हादसे में बगैर हेलमेट और सीट बेल्ट नहीं बांधने के कारण सर्वाधिक जानें गई हैं.

ब्लैक स्पॉट अब मात्र चारः सड़क हादसों को रोकने के लिए राजधानी के वैसे ब्लैक स्पॉट जहां सड़क हादसे ज्यादा होते थे उन्हें चिन्हित किया गया था. कुल 22 ब्लैक स्पॉट चिन्हित किए गए थे जिनमें से 18 को हादसों से मुक्त कर दिया गया है. लेकिन अभी भी शहर में 4 ब्लैक स्पॉट पर काम करना बाकी है जहां हाथ से बहुत ज्यादा होते हैं.

जागरूकता अभियान जारीः राजधानी में सड़क हादसों को रोकने के लिए जागरूकता अभियान भी जोर शोर से चलाया जा रहा है. बकायदा टीम के द्वारा एक महीने की प्लानिंग की जा रही है और फिर हाट बाजार, एनएच और स्कूल, कॉलेज जाकर सड़क सुरक्षा के नियमों की जानकारी दी जा रही है. ट्रैफिक पुलिस को भी कड़ाई करने का निर्देश दिया गया है खासकर वैसे लोग जो बिना हेलमेट बिना सीट बेल्ट के ड्राइविंग करते हैं उन पर कड़ी निगरानी रखने का निर्देश दिया गया है. वैसे बच्चे जो बिना ड्राइविंग लाइसेंस और बिना हेलमेट पकड़े जाते हैं उनकी काउंसलिंग भी करने का आदेश जारी किया गया है.

रांचीः राजधानी में सड़क हादसों में कमी लेकिन मौत के आंकड़ों में इजाफा हुआ है. इसके पीछे इयर बड्स का इस्तेमाल और शराब (major reason for road accidents) सबसे बड़ी वजह बनकर सामने आई है. रोड सेफ्टी की अनदेखी और छोटी सी लापरवाही से वो मौत के आगोश में समा रहे हैं.

इसे भी पढ़ें- शराब और रफ्तार की वजह से राजधानी में बढ़े सड़क हादसे, मृतकों में सबसे ज्यादा युवा

राजधानी रांची में हर महीने औसतन 40 से 45 लोग अपनी जान सड़क हादसों में गवां देते हैं. मरने वालों में सबसे ज्यादा संख्या युवाओं की है. अब सड़क हादसों के पीछे सबसे बड़ी वजह ड्रंक एंड ड्राइव (alcohol and use of ear buds) को माना जाता रहा है. लेकिन अब सड़क हादसों की एक और बड़ी वजह सामने आई है जो युवाओं के मौत का कारण बन रही है. रोड सेफ्टी विभाग के आंकड़ों के अनुसार कानों इयर बड्स या हेडफोन लगाकर ड्राइव करने वाले युवा सड़क हादसों का ज्यादा शिकार हो रहे हैं.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

सड़क हादसे घटे पर मौत के आंकड़े बढ़ेः राजधानी में सड़क हादसों का ग्राफ गिरा है लेकिन सबसे हैरानी की बात यह है कि मौत के आंकड़ों में कोई कमी नहीं आई है. आमतौर पर हर बार साल के तीन महीने नवंबर, दिसंबर और जनवरी में सड़क हादसों में बढ़ोतरी दर्ज की जाती है. इसके पीछे कई वजहें जैसे कुहासा और नए साल का जश्न होता है. लेकिन इस वर्ष जनवरी महीने के बाद के अगले 6 महीने में भी सड़क हादसों में होनी वाली मौत का औसत जनवरी जैसे ही बना हुआ है.

जानकार बताते हैं कि इसके पीछे सबसे बड़ी वजह ड्रिंक एंड ड्राइव है. लेकिन सड़क हादसों के पीछे एक और बड़ी वजह सामने आई है वह हेडफोन और इयर बड्स का इस्तेमाल. हाल के दिनों में हेडफोन और इयर बड्स लगाकर वाहन चलाने का चलन काफी बढ़ा है. यही वजह है कि पिछले 6 महीने में सड़क हादसों में जान गंवाने वाले अधिकांश लोग या तो नशे में ड्राइव कर रहे थे या फिर उन्होंने कानों में हेडफोन लगा रखा था.

क्या है आंकड़ेः साल 2021 में रांची में ही केवल 448 लोगों ने अपनी जान गंवा दी और 339 लोग बेहद गंभीर रूप से घायल हुए. करीब 100 से ज्यादा लोगों को सड़क हादसों में घायल होने की वजह से अपंग होना पड़ा. वहीं साल 2022 के आंकड़ों की बात करें तो जनवरी महीने में कुल 61 सड़क हादसों में 51 लोगों की मौत हुई जबकि 26 लोग घायल हुए. फरवरी महीने में 46 सड़क हादसे हुए जिनमें 32 लोगों की मौत हुई और 17 घायल हुए. मार्च महीने में 54 सड़क हादसे हुए जिनमें से 30 लोगों की मौत हुई और 36 घायल हुए. अप्रैल महीने में 51 सड़क हादसे हुए जिनमें 36 लोगों की मौत हुई और 29 जख्मी हुए. वहीं मई महीने में 57 सड़क हादसे हुए जिनमें 45 लोगों की मौत हो गई वहीं 38 लोग घायल हो गए. यानी जनवरी 2022 से लेकर मई 2022 तक कुल 269 सड़क हादसे हुए जिनमें 201 लोग अपनी जान गंवा बैठे वहीं 146 जख्मी हुए.

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जानिए आंकड़े

18 से 35 उम्र के हुए सबसे ज्यादा शिकारः रांची के सड़क सुरक्षा कार्यालय से मिली सूचना के अनुसार सड़क हादसों में मरने वाले सबसे ज्यादा युवा हैं. इनकी उम्र 18 से 35 के बीच है. तेज रफ्तार, शराब और इयर बड्स, हेडफोन का इस्तेमाल हादसों की प्रमुख वजह है.

इसे भी पढ़ें- पलामू की सड़कें खून से हो रहीं लाल, हर हफ्ते तीन लोगों की दुर्घटना में जा रही जान

एनएच और रिंग रोड में सबसे ज्यादा हादसेः पूर्व के सालों में रांची के शहरी इलाकों में भी सड़क हादसे ज्यादा हुआ करते थे लेकिन उनमें काफी कमी आई है. लेकिन सबसे दुखद बात यह है कि अब सड़क हादसे बेहतर सड़कों पर हो रहे हैं. रांची के सड़क सुरक्षा प्रबंधक जमाल अशरफ खान के अनुसार सबसे अधिक सड़क हादसे बेहतरीन सड़कों पर हुए हैं. जिनमें रांची के रिंग रोड, रांची टाटा रोड शामिल हैं. हाल के दिनों में इन सड़कों को बेहतर किया गया है. जिसके बाद यहां चलने वाले वाहनों की रफ्तार काफी तेज हो गई है. खासकर युवा हाई स्पीड बाइक चलाते हैं. ऐसी बाइक 200 सीसी इंजन से शुरू होती है. हाई स्पीड इंजन वाली बाइक को चलाना जितना आसान है, उतना ही मुश्किल इसे आपात स्थिति में संभालना होता है. बाइक में लगे ट्विन डिस्क ब्रेक के कारण अक्सर युवा दुर्घटना के शिकार हो रहे हैं. आज के युवा भी किसी भी कीमत पर हेलमेट नहीं पहना चाहते हैं. जितने भी सड़क हादसों में युवाओं की जान गई है, उनमें से अधिकांश ने हेलमेट नहीं पहना था. सड़क हादसे में बगैर हेलमेट और सीट बेल्ट नहीं बांधने के कारण सर्वाधिक जानें गई हैं.

ब्लैक स्पॉट अब मात्र चारः सड़क हादसों को रोकने के लिए राजधानी के वैसे ब्लैक स्पॉट जहां सड़क हादसे ज्यादा होते थे उन्हें चिन्हित किया गया था. कुल 22 ब्लैक स्पॉट चिन्हित किए गए थे जिनमें से 18 को हादसों से मुक्त कर दिया गया है. लेकिन अभी भी शहर में 4 ब्लैक स्पॉट पर काम करना बाकी है जहां हाथ से बहुत ज्यादा होते हैं.

जागरूकता अभियान जारीः राजधानी में सड़क हादसों को रोकने के लिए जागरूकता अभियान भी जोर शोर से चलाया जा रहा है. बकायदा टीम के द्वारा एक महीने की प्लानिंग की जा रही है और फिर हाट बाजार, एनएच और स्कूल, कॉलेज जाकर सड़क सुरक्षा के नियमों की जानकारी दी जा रही है. ट्रैफिक पुलिस को भी कड़ाई करने का निर्देश दिया गया है खासकर वैसे लोग जो बिना हेलमेट बिना सीट बेल्ट के ड्राइविंग करते हैं उन पर कड़ी निगरानी रखने का निर्देश दिया गया है. वैसे बच्चे जो बिना ड्राइविंग लाइसेंस और बिना हेलमेट पकड़े जाते हैं उनकी काउंसलिंग भी करने का आदेश जारी किया गया है.

Last Updated : Jul 9, 2022, 1:09 PM IST
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