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टाइम टेबल में बदलाव का भी सरकारी स्कूलों में खास असर नहीं, जानें वजह

गर्मी को देखते हुए स्कूलों के टाइम टेबल में बदलाव किया गया, लेकिन सरकारी स्कूलों में इसका कुछ खास असर नहीं हुआ है. इसके पीछे की वजह जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने रांची के सरकारी स्कूलों (Government schools of Ranchi) में पड़ताल की है.

time table of schools in Ranchi
time table of schools in Ranchi
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Published : Apr 18, 2022, 10:56 AM IST

Updated : Apr 18, 2022, 11:11 AM IST

रांची: झारखंड सरकार ने राज्य में बढ़ती गर्मी को देखते हुए सरकारी स्कूलों के टाइम टेबल में बदलाव किया है. सोमवार से राज्य के सभी निजी और सरकारी स्कूल सुबह 6:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक संचालित करने का निर्देश जारी हुआ है. सरकारी स्कूलों में इस समय सारणी के बदलाव को लेकर व्यवस्था में क्या प्रभाव पड़ा है. इसकी पड़ताल ईटीवी भारत की टीम ने की है.

इसे भी पढ़ें: शिक्षा के मंदिर में बना दिया पूर्वजों का स्मारक, शिक्षकों ने करवा लिया तबादला


दरअसल, झारखंड में स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग (Department of School Education and Literacy Jharkhand) ने पहले गर्मी में सरकारी स्कूलों को सुबह 7:00 बजे से दोपहर 1:00 बजे तक संचालित करने का आदेश दिया था. विभिन्न शिक्षक संघ की ओर से इसका विरोध किया जा रहा था. पहले की तरह गर्मी तक सुबह 6:30 से 11:30 तक स्कूलों के संचालन की मांग की जा रही थी. रांची समेत कई जिलों में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस के पार हो चुका है. ऐसे में गर्मी के कारण स्कूली बच्चों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था. इन तमाम मामलों को देखते हुए शिक्षा विभाग ने सोमवार से सुबह 6:00 से 12:00 तक स्कूल संचालित करने का निर्देश दिया है. इसी कड़ी में बदले हुए समय सारणी में स्कूलों में उपस्थिति की क्या हालत है. इसका जायजा लेने हमारी टीम राजधानी रांची के सरकारी स्कूलों में पहुंची. जहां पाया गया कि समय सारणी में बदलाव का पहला दिन होने के कारण बच्चे समय पर स्कूल पहुंचे ही नहीं. जिस स्कूल में 400 से अधिक बच्चे पढ़ते हैं. वहां पहले दिन असेंबली (प्रार्थना) तक मात्र 120 बच्चे ही पहुंचे थे.

देखें पूरी खबर

इसके पीछे के कारण: लेटलतीफी का कारण जब स्कूल प्रबंधकों से जानने की कोशिश की गई. तो उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के माता-पिता उतने जागरूक नहीं हैं, जितने निजी स्कूलों के अभिभावक होते हैं. ऐसे में उन्हें तैयार कर स्कूल सुबह-सुबह भेजना परेशानी होती है. सरकारी स्कूल में पढ़ाने वाले अभिभावक अपने काम में भी सुबह से निकलते हैं और इसी वजह से स्कूलों तक बच्चे निर्धारित समय पर नहीं पहुंच पा रहे हैं. वहीं, लेट स्कूल आने वाले बच्चों से जब हमारी टीम ने बातचीत की तो पता चला कि दूरदराज से बच्चे पैदल ही स्कूल आते हैं. जिस वजह से वह समय पर स्कूल नहीं पहुंच पाते हैं. आने जाने का कोई साधन नहीं है और तो और ऐसे कई बच्चे हैं जो अपने घर का कामकाज निपटा कर फिर स्कूल पहुंचते हैं और इसी वजह से स्कूल आने में उन्हें देरी होती है.

सरकारी स्कूलों का हाल: कुल मिलाकर देखा जाए तो सरकारी स्कूलों में समय सारणी बदलाव करने के बावजूद कोई खास असर देखने को नहीं मिला. बच्चे ना ही समय पर स्कूल पहुंच पाए और ना ही समय पर प्रार्थना हुई. यहां तक कि अटेंडेंस और क्लासेस भी समय पर नहीं लिया जा सका. सरकारी स्कूलों के मैनेजमेंट में सुधार की जरूरत है.

रांची: झारखंड सरकार ने राज्य में बढ़ती गर्मी को देखते हुए सरकारी स्कूलों के टाइम टेबल में बदलाव किया है. सोमवार से राज्य के सभी निजी और सरकारी स्कूल सुबह 6:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक संचालित करने का निर्देश जारी हुआ है. सरकारी स्कूलों में इस समय सारणी के बदलाव को लेकर व्यवस्था में क्या प्रभाव पड़ा है. इसकी पड़ताल ईटीवी भारत की टीम ने की है.

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दरअसल, झारखंड में स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग (Department of School Education and Literacy Jharkhand) ने पहले गर्मी में सरकारी स्कूलों को सुबह 7:00 बजे से दोपहर 1:00 बजे तक संचालित करने का आदेश दिया था. विभिन्न शिक्षक संघ की ओर से इसका विरोध किया जा रहा था. पहले की तरह गर्मी तक सुबह 6:30 से 11:30 तक स्कूलों के संचालन की मांग की जा रही थी. रांची समेत कई जिलों में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस के पार हो चुका है. ऐसे में गर्मी के कारण स्कूली बच्चों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था. इन तमाम मामलों को देखते हुए शिक्षा विभाग ने सोमवार से सुबह 6:00 से 12:00 तक स्कूल संचालित करने का निर्देश दिया है. इसी कड़ी में बदले हुए समय सारणी में स्कूलों में उपस्थिति की क्या हालत है. इसका जायजा लेने हमारी टीम राजधानी रांची के सरकारी स्कूलों में पहुंची. जहां पाया गया कि समय सारणी में बदलाव का पहला दिन होने के कारण बच्चे समय पर स्कूल पहुंचे ही नहीं. जिस स्कूल में 400 से अधिक बच्चे पढ़ते हैं. वहां पहले दिन असेंबली (प्रार्थना) तक मात्र 120 बच्चे ही पहुंचे थे.

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इसके पीछे के कारण: लेटलतीफी का कारण जब स्कूल प्रबंधकों से जानने की कोशिश की गई. तो उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के माता-पिता उतने जागरूक नहीं हैं, जितने निजी स्कूलों के अभिभावक होते हैं. ऐसे में उन्हें तैयार कर स्कूल सुबह-सुबह भेजना परेशानी होती है. सरकारी स्कूल में पढ़ाने वाले अभिभावक अपने काम में भी सुबह से निकलते हैं और इसी वजह से स्कूलों तक बच्चे निर्धारित समय पर नहीं पहुंच पा रहे हैं. वहीं, लेट स्कूल आने वाले बच्चों से जब हमारी टीम ने बातचीत की तो पता चला कि दूरदराज से बच्चे पैदल ही स्कूल आते हैं. जिस वजह से वह समय पर स्कूल नहीं पहुंच पाते हैं. आने जाने का कोई साधन नहीं है और तो और ऐसे कई बच्चे हैं जो अपने घर का कामकाज निपटा कर फिर स्कूल पहुंचते हैं और इसी वजह से स्कूल आने में उन्हें देरी होती है.

सरकारी स्कूलों का हाल: कुल मिलाकर देखा जाए तो सरकारी स्कूलों में समय सारणी बदलाव करने के बावजूद कोई खास असर देखने को नहीं मिला. बच्चे ना ही समय पर स्कूल पहुंच पाए और ना ही समय पर प्रार्थना हुई. यहां तक कि अटेंडेंस और क्लासेस भी समय पर नहीं लिया जा सका. सरकारी स्कूलों के मैनेजमेंट में सुधार की जरूरत है.

Last Updated : Apr 18, 2022, 11:11 AM IST
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