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West Bengal Cash Scandal: जमानत मिलने के बाद जेल से आजाद हुए अधिवक्ता राजीव कुमार, जांच में सहयोग की शर्त पर मिली राहत

पश्चिम बंगाल में कैश के साथ पकड़े गए अधिवक्ता राजीव कुमार झारखंड हाई कोर्ट से जमानत मिलने के बाद वो शुक्रवार देर शाम जेल से बाहर आ गए (Advocate Rajiv Kumar Release). उन्हें जांच में सहयोग की शर्त पर झारखंड उच्च न्यायालय ने जमानत दी (Jharkhand High Court) है.

Advocate Rajiv Kumar release from Birasa munda jail ranchi after bail from jharkhand high court
पश्चिम बंगाल में कैश कांड
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Published : Nov 11, 2022, 10:58 PM IST

रांचीः पश्चिम बंगाल में कैश के साथ पकड़े गए अधिवक्ता राजीव कुमार (Advocate Rajiv Kumar Release) झारखंड हाई कोर्ट से जमानत मिलने के बाद वो शुक्रवार देर शाम जेल से बाहर आ गए. 9 नवंबर को राजीव कुमार को झारखंड हाई कोर्ट से जमानत मिली थी, वे पश्चिम बंगाल में कारोबारी अमित अग्रवाल से 50 लाख रिश्वत लेने के मामले में न्यायिक हिरासत में रांची के बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार में बंद थे.

ये भी पढ़ें-सीएम हेमंत सोरेन को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत, अदालत ने कहा सुनवाई योग्य नहीं है याचिका



क्या है मामलाः 31 जुलाई को पश्चिम बंगाल पुलिस की डिटेक्टिव विंग ने राजीव कुमार को कोलकाता में गिरफ्तार किया था, तब उनके पास से 50 लाख रुपये बरामद हुए थे. इस मामले में कारोबारी अमित अग्रवाल ने एफआईआर दर्ज कराई थी.

एफआईआर में बताया गया था कि रांची हाईकोर्ट में शेल कंपनियों और अवैध खनन की जांच सीबीआई से कराने के लिए दर्ज याचिका से नाम हटवाने के बदले राजीव कुमार ने चार करोड़ की मांग की है, बाद में वह 50 लाख लेने कोलकाता आए . इसके बाद पश्चिम बंगाल पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया. बाद में मामले को ईडी ने टेकओवर कर लिया था, जिसके बाद पश्चिम बंगाल से राजीव कुमार को रांची के बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार में न्यायिक हिरासत में रखा गया था.



हाई कोर्ट से मिली थी जमानतः 9 नवंबर को झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) के न्यायाधीश संजय कुमार द्विवेदी की अदालत में राजीव कुमार द्वारा दायर जमानत याचिका पर सुनवाई हुई थी. सुनवाई के दौरान प्रार्थी के अधिवक्ता ने अदालत से जमानत की गुहार लगाई. उन्होंने अदालत को आश्वस्त किया कि राजीव कुमार जांच में सहयोग करेंगे. जब भी उन्हें बुलाया जाएगा वह हाजिर रहेंगे. जिसके बाद अदालत ने उन्हें जांच में सहयोग करने की शर्त पर जमानत प्रदान करने का आदेश दिया था.

इससे पहले 11 अक्टूबर को अधिवक्ता राजीव कुमार ने अपने वकील के माध्यम से हाई कोर्ट में नियमित जमानत याचिका दाखिल की थी. इससे पहले रांची में ईडी की विशेष कोर्ट ने उन्हें बेल देने से इंकार करते हुए बेल पिटीशन खारिज कर दी थी. निचली अदालत से राहत नहीं मिलने के बाद राजीव कुमार ने हाईकोर्ट से बेल की गुहार लगाई थी.

रांचीः पश्चिम बंगाल में कैश के साथ पकड़े गए अधिवक्ता राजीव कुमार (Advocate Rajiv Kumar Release) झारखंड हाई कोर्ट से जमानत मिलने के बाद वो शुक्रवार देर शाम जेल से बाहर आ गए. 9 नवंबर को राजीव कुमार को झारखंड हाई कोर्ट से जमानत मिली थी, वे पश्चिम बंगाल में कारोबारी अमित अग्रवाल से 50 लाख रिश्वत लेने के मामले में न्यायिक हिरासत में रांची के बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार में बंद थे.

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क्या है मामलाः 31 जुलाई को पश्चिम बंगाल पुलिस की डिटेक्टिव विंग ने राजीव कुमार को कोलकाता में गिरफ्तार किया था, तब उनके पास से 50 लाख रुपये बरामद हुए थे. इस मामले में कारोबारी अमित अग्रवाल ने एफआईआर दर्ज कराई थी.

एफआईआर में बताया गया था कि रांची हाईकोर्ट में शेल कंपनियों और अवैध खनन की जांच सीबीआई से कराने के लिए दर्ज याचिका से नाम हटवाने के बदले राजीव कुमार ने चार करोड़ की मांग की है, बाद में वह 50 लाख लेने कोलकाता आए . इसके बाद पश्चिम बंगाल पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया. बाद में मामले को ईडी ने टेकओवर कर लिया था, जिसके बाद पश्चिम बंगाल से राजीव कुमार को रांची के बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार में न्यायिक हिरासत में रखा गया था.



हाई कोर्ट से मिली थी जमानतः 9 नवंबर को झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) के न्यायाधीश संजय कुमार द्विवेदी की अदालत में राजीव कुमार द्वारा दायर जमानत याचिका पर सुनवाई हुई थी. सुनवाई के दौरान प्रार्थी के अधिवक्ता ने अदालत से जमानत की गुहार लगाई. उन्होंने अदालत को आश्वस्त किया कि राजीव कुमार जांच में सहयोग करेंगे. जब भी उन्हें बुलाया जाएगा वह हाजिर रहेंगे. जिसके बाद अदालत ने उन्हें जांच में सहयोग करने की शर्त पर जमानत प्रदान करने का आदेश दिया था.

इससे पहले 11 अक्टूबर को अधिवक्ता राजीव कुमार ने अपने वकील के माध्यम से हाई कोर्ट में नियमित जमानत याचिका दाखिल की थी. इससे पहले रांची में ईडी की विशेष कोर्ट ने उन्हें बेल देने से इंकार करते हुए बेल पिटीशन खारिज कर दी थी. निचली अदालत से राहत नहीं मिलने के बाद राजीव कुमार ने हाईकोर्ट से बेल की गुहार लगाई थी.

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