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कोटा में फंसे छात्रों का मामला:  बिहार, महाराष्ट्र और झारखंड के बच्चों ने ट्विटर पर चलाया अभियान

कोटा में पढ़ रहे बिहार, महाराष्ट्र और झारखंड के बच्चों ने ट्विटर पर अभियान चलाया हुआ था. आखिर में इन तीनों राज्यों के सरकार झुकी और राजस्थान सरकार से सहमति बनी कि वे बच्चों को परमिशन जारी कर दे. उनको प्रदेशों में प्रवेश दिया जाएगा. इसको क्वॉरेंटाइन करने की जगह उनको घरों पर स्क्रीनिंग के बाद भेज दिया जाएगा. इसके बाद कोटा जिला प्रशासन ने अनुमति भी देना शुरू कर दिया, लेकिन छात्रों को काफी महंगा पड़ रहा है.

कोटा में पढ़ रहे बिहार, महाराष्ट्र और झारखंड के बच्चों ने ट्विटर पर चलाया अभियान
administration started giving permission to children of bihar maharashtra and jharkhand trapped in kota
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Published : Apr 26, 2020, 8:45 PM IST

कोटा. उत्तर प्रदेश सरकार ने कोटा से कोचिंग छात्रों को ले जाने की मुहिम शुरू की. उन्होंने बसें भेजी और उसके बाद दूसरे राज्य भी इस मुहिम में जुट गए, जिसमें मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, हरियाणा, आसाम और पंजाब के अलावा राजस्थान के भी अलग-अलग हिस्सों के बच्चे कोटा से वापस लौट गए हैं.

कोटा के छात्रों का बयान

बिहार, महाराष्ट्र और झारखंड के बच्चों ने ट्विटर पर अभियान चलाया हुआ था. आखिर में इन तीनों राज्यों के सरकार झुकी और राजस्थान सरकार से सहमति बनी कि वे बच्चों को परमिशन जारी कर दे. उनको प्रदेशों में प्रवेश दिया जाएगा. इसको क्वॉरेंटाइन करने की जगह उनको घरों पर स्क्रीनिंग के बाद भेज दिया जाएगा. इसके बाद कोटा जिला प्रशासन ने अनुमति भी देना शुरू कर दिया, लेकिन छात्रों को काफी महंगा पड़ रहा है. पहली समस्या तो आ रही है कि वाहन ही उन्हें नहीं मिल रहे हैं. जाने के लिए इसके अलावा काफी मोटा किराया उनको देना पड़ रहा है. छात्रों की मांग है कि अन्य सरकारों की तरह उनके लिए भी बसें भेजी जाएं.

छात्र बोले- हम मिडिल क्लास के हैं, कैसे देंगे किराया?

ईटीवी भारत ने कोटा में अध्यनरत बिहार व महाराष्ट्र के छात्रों से बातचीत की. उन्होंने कहा कि जिस तरह से दूसरी सरकारों ने बिना किराए के बस में भेजकर अपने बच्चों को रेस्क्यू किया है. वैसा ही हमारी सरकार को भी यह कदम उठाना चाहिए. अनुमति हमें मिल रही है, लेकिन जो लोग मिडिल क्लास या फिर मजदूर फैमिली के बच्चे हैं. वे कोटा में आकर जैसे-तैसे पढ़ाई कर रहे थे. अब उनके लिए किराए के रूप में इतना पैसा देकर वापस जाना संभव नहीं है.

अधिकांश ड्राइवर भी जाने को नहीं है तैयार...

कोटा से जो छात्र वाहनों की अनुमति या लेकर जाना चाहते हैं. उनके सामने एक समस्या और आ रही है कि वाहन भी उन्हें नहीं मिल रहे हैं. ऐसे में वे आसपास के जिलों के वाहन चालकों से भी संपर्क कर रहे हैं. जो ड्राइवर यहां मिल रहे हैं, वह मुंह मांगे दाम पर जाने को तैयार हो रहे हैं. इस संबंध में भी जिला प्रशासन किसी तरह की छात्रों की मदद नहीं कर रहा है.

कोटा से मुंबई के लिए 18 रुपए प्रति किलोमीटर...

मुंबई महाराष्ट्र की रहने वाली कीर्ति व्यास अपनी मां के साथ कोटा में रहकर कोचिंग कर रही हैं, उन्हें अपने घर जाना है. आज उसने परमिशन भी ले ली है, लेकिन जो टैक्सी उसने बुक की है वह 18 रुपए प्रति किलोमीटर में मुंबई जाने को तैयार हुई है. ऐसे में अब उन्हें आने-जाने में करीब 40 हजार रुपए किराया देना होगा.

कोटा. उत्तर प्रदेश सरकार ने कोटा से कोचिंग छात्रों को ले जाने की मुहिम शुरू की. उन्होंने बसें भेजी और उसके बाद दूसरे राज्य भी इस मुहिम में जुट गए, जिसमें मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, हरियाणा, आसाम और पंजाब के अलावा राजस्थान के भी अलग-अलग हिस्सों के बच्चे कोटा से वापस लौट गए हैं.

कोटा के छात्रों का बयान

बिहार, महाराष्ट्र और झारखंड के बच्चों ने ट्विटर पर अभियान चलाया हुआ था. आखिर में इन तीनों राज्यों के सरकार झुकी और राजस्थान सरकार से सहमति बनी कि वे बच्चों को परमिशन जारी कर दे. उनको प्रदेशों में प्रवेश दिया जाएगा. इसको क्वॉरेंटाइन करने की जगह उनको घरों पर स्क्रीनिंग के बाद भेज दिया जाएगा. इसके बाद कोटा जिला प्रशासन ने अनुमति भी देना शुरू कर दिया, लेकिन छात्रों को काफी महंगा पड़ रहा है. पहली समस्या तो आ रही है कि वाहन ही उन्हें नहीं मिल रहे हैं. जाने के लिए इसके अलावा काफी मोटा किराया उनको देना पड़ रहा है. छात्रों की मांग है कि अन्य सरकारों की तरह उनके लिए भी बसें भेजी जाएं.

छात्र बोले- हम मिडिल क्लास के हैं, कैसे देंगे किराया?

ईटीवी भारत ने कोटा में अध्यनरत बिहार व महाराष्ट्र के छात्रों से बातचीत की. उन्होंने कहा कि जिस तरह से दूसरी सरकारों ने बिना किराए के बस में भेजकर अपने बच्चों को रेस्क्यू किया है. वैसा ही हमारी सरकार को भी यह कदम उठाना चाहिए. अनुमति हमें मिल रही है, लेकिन जो लोग मिडिल क्लास या फिर मजदूर फैमिली के बच्चे हैं. वे कोटा में आकर जैसे-तैसे पढ़ाई कर रहे थे. अब उनके लिए किराए के रूप में इतना पैसा देकर वापस जाना संभव नहीं है.

अधिकांश ड्राइवर भी जाने को नहीं है तैयार...

कोटा से जो छात्र वाहनों की अनुमति या लेकर जाना चाहते हैं. उनके सामने एक समस्या और आ रही है कि वाहन भी उन्हें नहीं मिल रहे हैं. ऐसे में वे आसपास के जिलों के वाहन चालकों से भी संपर्क कर रहे हैं. जो ड्राइवर यहां मिल रहे हैं, वह मुंह मांगे दाम पर जाने को तैयार हो रहे हैं. इस संबंध में भी जिला प्रशासन किसी तरह की छात्रों की मदद नहीं कर रहा है.

कोटा से मुंबई के लिए 18 रुपए प्रति किलोमीटर...

मुंबई महाराष्ट्र की रहने वाली कीर्ति व्यास अपनी मां के साथ कोटा में रहकर कोचिंग कर रही हैं, उन्हें अपने घर जाना है. आज उसने परमिशन भी ले ली है, लेकिन जो टैक्सी उसने बुक की है वह 18 रुपए प्रति किलोमीटर में मुंबई जाने को तैयार हुई है. ऐसे में अब उन्हें आने-जाने में करीब 40 हजार रुपए किराया देना होगा.

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