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आदिवासी सम्मेलन का किया गया आयोजन, सीएम पर बरसे सुबोधकांत सहाय - झारखंड न्यूज

राजधानी स्थित बिहार क्लब में सोमवार को विभिन्न आदिवासी संगठनों ने एक सम्मेलन का आयोजन किया. सम्मेलन में पूर्व सांसद सह पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय के साथ सामाजिक संगठनों के कार्यकर्ता मौजूद थे. इसमें आदिवासियों से जुड़ी जन समस्याओं के समाधान पर चर्चा की गई.

आदिवासी सम्मेलन का किया गया आयोजन
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Published : Feb 19, 2019, 8:38 PM IST

रांचीः राजधानी स्थित बिहार क्लब में सोमवार को विभिन्न आदिवासी संगठनों ने एक सम्मेलन का आयोजन किया. सम्मेलन में पूर्व सांसद सह पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय के साथ सामाजिक संगठनों के कार्यकर्ता मौजूद थे. इसमें आदिवासियों से जुड़ी जन समस्याओं के समाधान पर चर्चा की गई. सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य झारखंड में पिछले 18 सालों में मूलवासी और आदिवासी के विकास का आकलन करना था.

आदिवासी सम्मेलन का किया गया आयोजन,
कार्यक्रम में मौजूद सुबोधकांत सहाय ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि वर्तमान में सरकार आदिवासियों और मूलवासियों के विकास के लिए कुछ नहीं कर रही है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस की सरकार बनेगी तो आदिवासी संगठनों की जो भी मांगें हैं, वे पूरी की जाएगी.

कांग्रेस आदिवासियों की मांग को लेकर गंभीर है. सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि आगामी चुनाव में भाजपा को हटा कर और महागठबंधन को जीता कर अपना हक लें. मुख्यमंत्री रघुवर दास पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्हें गद्दी से हटाना ही होगा.
केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष अजय तिर्की ने बताया कि जिस उद्देश्य से राज्य का बंटवारा हुआ था वो अबतक पूरा नहीं हो पाया है. झारखंड के बने 18 साल बीत जाने के बाद भी आदिवासी ठगे से महसूस कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें-19 फरवरी से राजकीय इटखोरी महोत्सव, CM रघुवर दास करेंगे उद्घाटन

प्रेम साही मुंडा ने बताया कि जिस प्रकार से झारखंड में पिछले 18 सालों में कई सरकारें आई लेकिन अब तक किसी ने भी आदिवासियों के हित को लेकर आवाज बुलंद किया है.
साथ ही उन्होंने कहा कि आदिवासियों की राजनीतिक भागीदारी झारखंड में कैसे बने इस पर भी चर्चा की गई है. सम्मेलन में 25 मांगों को रखी गई. जो राजनीतिक पार्टियां आदिवासियों के हित के अनुसार 25 मांगों को समर्थन करेगा, हम उन्हीं के लिए 2019 के चुनाव में मतदान करेंगे.

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सम्मेलन में रखी गई मुख्य मांगें

1.आदिवासियों के धार्मिक एवं सांस्कृतिक पहचान के लिए धर्म कोड लागू किया जाए.
2. पेशा कानून के तहत ग्राम सभा की शक्तियां बहाल हो.
3. विश्व आदिवासी दिवस, सरहुल और करमा महोत्सव को राष्ट्र पर्व घोषित किया जाए.
4. आदिवासियों के खनन पट्टा के अधिकार के लिए समता जजमेंट लागू की जाए.
5. झारखंड का मुख्यमंत्री झारखंड का मूल व्यक्ति ही हो या आदिवासी हो.
6. सीएनटी और एसपीटी एक्ट की मूल भावना से छेड़छाड़ बंद किया जाए.

रांचीः राजधानी स्थित बिहार क्लब में सोमवार को विभिन्न आदिवासी संगठनों ने एक सम्मेलन का आयोजन किया. सम्मेलन में पूर्व सांसद सह पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय के साथ सामाजिक संगठनों के कार्यकर्ता मौजूद थे. इसमें आदिवासियों से जुड़ी जन समस्याओं के समाधान पर चर्चा की गई. सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य झारखंड में पिछले 18 सालों में मूलवासी और आदिवासी के विकास का आकलन करना था.

आदिवासी सम्मेलन का किया गया आयोजन,
कार्यक्रम में मौजूद सुबोधकांत सहाय ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि वर्तमान में सरकार आदिवासियों और मूलवासियों के विकास के लिए कुछ नहीं कर रही है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस की सरकार बनेगी तो आदिवासी संगठनों की जो भी मांगें हैं, वे पूरी की जाएगी.

कांग्रेस आदिवासियों की मांग को लेकर गंभीर है. सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि आगामी चुनाव में भाजपा को हटा कर और महागठबंधन को जीता कर अपना हक लें. मुख्यमंत्री रघुवर दास पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्हें गद्दी से हटाना ही होगा.
केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष अजय तिर्की ने बताया कि जिस उद्देश्य से राज्य का बंटवारा हुआ था वो अबतक पूरा नहीं हो पाया है. झारखंड के बने 18 साल बीत जाने के बाद भी आदिवासी ठगे से महसूस कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें-19 फरवरी से राजकीय इटखोरी महोत्सव, CM रघुवर दास करेंगे उद्घाटन

प्रेम साही मुंडा ने बताया कि जिस प्रकार से झारखंड में पिछले 18 सालों में कई सरकारें आई लेकिन अब तक किसी ने भी आदिवासियों के हित को लेकर आवाज बुलंद किया है.
साथ ही उन्होंने कहा कि आदिवासियों की राजनीतिक भागीदारी झारखंड में कैसे बने इस पर भी चर्चा की गई है. सम्मेलन में 25 मांगों को रखी गई. जो राजनीतिक पार्टियां आदिवासियों के हित के अनुसार 25 मांगों को समर्थन करेगा, हम उन्हीं के लिए 2019 के चुनाव में मतदान करेंगे.

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सम्मेलन में रखी गई मुख्य मांगें

1.आदिवासियों के धार्मिक एवं सांस्कृतिक पहचान के लिए धर्म कोड लागू किया जाए.
2. पेशा कानून के तहत ग्राम सभा की शक्तियां बहाल हो.
3. विश्व आदिवासी दिवस, सरहुल और करमा महोत्सव को राष्ट्र पर्व घोषित किया जाए.
4. आदिवासियों के खनन पट्टा के अधिकार के लिए समता जजमेंट लागू की जाए.
5. झारखंड का मुख्यमंत्री झारखंड का मूल व्यक्ति ही हो या आदिवासी हो.
6. सीएनटी और एसपीटी एक्ट की मूल भावना से छेड़छाड़ बंद किया जाए.

Intro:रांची
हितेश
डे प्लान
note:रात से लगातार इस खबर को भेजने का प्रयास किया जा रहा है लेकिन खबर रुक जा रही थी कृपया कर देख ले।

रांची के बिहार क्लब में सोमवार को विभिन्न आदिवासी संगठन के द्वारा एक सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें कई सामाजिक संगठन के कार्यकर्ता मौजूद हुए आदिवासियों से जुड़ी जन समस्या कि समाधान को लेकर चर्चा की गई।

इस बैठक में रांची के पूर्व सांसद व पूर्व केंद्र मंत्री सुबोध कांत सहाय भी शामिल हुए




Body:इस बैठक का मुख्य उद्देश्य था कि पिछले 18 साल में झारखंड के मूलवासी और आदिवासी का विकास सून्य के बराबर हुआ है जबकि झारखंड राज्य के अलग होने का कारण भी आदिवासी बहुल क्षेत्र को लेकर किया गया है, इसके बावजूद भी आदिवासियों का विकास पिछले 18 सालों में बिल्कुल भी नहीं हुआ।

कार्यक्रम में मौजूद के केंद्रीय सरना समिति अजय तिर्की बताते हैं कि जिस उद्देश्य से राज्य का बंटवारा हुआ था उस उद्देश्य को देखें तो वह बिल्कुल भी पूरा नहीं हो पाया है और हम आदिवासी आज 18 साल बीत जाने के बाद ठगे ठगे से महसूस कर रहे हैं।
वही कार्यक्रम में मौजूद प्रेम सही मुंडा बताते हैं कि जिस प्रकार से झारखंड में पिछले 18 सालों में कई सरकारें आई लेकिन अब तक किसी ने भी आदिवासियों के हित को लेकर आवाज बुलंद नहीं की है। इसी को लेकर आज विभिन्न आदिवासी संगठन इस सम्मेलन में मौजूद हुए और आदिवासियों के विकास को लेकर चर्चा हुई साथ ही प्रेमसाही मुंडा ने बताया कि राजनीतिक भागीदारी झारखंड में आदिवासियों की कैसे बने इसको भी लेकर चर्चा की गई। इसीलिए इस सम्मेलन में यह बात की गई की जो भी राजनीतिक पार्टियां हमारी आदिवासियों के हित और इस चर्चा के अनुसार 25 मांगों को समर्थन करेगा हम उन्हीं के लिये 2019 के चुनाव में मतदान करेंगे।
सम्मेलन में क्या रही मुख्य मांगे
1.आदिवासियों के धार्मिक एवं सांस्कृतिक पहचान के लिए धर्म कोड लागू किया जाए।
2. पेशा कानून के तहत ग्राम सभा की शक्तियां बहाल हो।
3. विश्व आदिवासी दिवस एवं सरहुल और करमा महोत्सव को राष्ट्र पर्व घोषित की जाए।
4. आदिवासियों के खनन पट्टा के अधिकार के लिए समता जजमेंट लागू की जाए।
5. झारखंड का मुख्यमंत्री झारखंड का मूल व्यक्ति ही हो या आदिवासी हो।
6. सीएनटी एवं एसपीटी एक्ट की मूल भावना से छेड़छाड़ बंद की जाए।
सम्मेलन में कुल 25 मांगे रखी गई ।


Conclusion:वही कार्यक्रम में आए सुबोध कांत सहाय ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि वर्तमान सरकार आदिवासियों या मूल वासियों के विकास को लेकर बिल्कुल भी जिम्मेदार नहीं है।उन्होनें बताया की आदिवासी संगठनों की जो भी मांगे हैं वह अवश्य पूरा किया जाएगा और अगर हमारी सरकार आती है तो हम लोग आदिवासियों की मांग को लेकर गंभीर रहेंगे और इनकी मांगे को अवश्य पूरी की जायेगी। इसीलिए आगामी चुनाव में भाजपा को हटाए और महागठबंधन को जीत दिलाकर अपना हक ले।
सम्मेलन में मुख्यमंत्री पर निशाना साधा, कहा रघुवर का गट्टा पकड़कर उसे वही भेजेंगे जहां से वह आया है।
वहीं सम्मेलन में लोगों को संबोधित करते हुए पूर्व सांसद व पुर्व केंद्र मंत्री सुबोध कांत सहाय ने मुख्यमंत्री रघुवर दास पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर कांग्रेस सरकार आती है तो रघुवर दास का गट्टा पकड़ कर उसे वही भेज देंगे जहां से वह आया है। गौरतलब है कि जिस तरह से चुनाव नजदीक आ रहा है राजनीतिक पार्टियां और नेताओं की बयानबाजी बढ़ती जा रही है।

बाइट सुबोधकांत सहाय,पुर्व केंद्रीय मंत्री
बाइट अजय तिर्की,केंद्रीय सरना समिति
बाइट प्रेम साही मुंडा, सम्मेलन के आयोजक
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