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आदिवासी जन परिषद की बैठक, सरहुल महोत्सव मनाने को लेकर हुई चर्चा - आदिवासी जन परिषद

रांची में आदिवासी जन परिषद की बैठक की गई. बैठक की अध्यक्षता प्रेम शाही मुंडा ने की. इस बैठक का संचालन उपाध्यक्ष उमेश लोहरा ने किया. बैठक में मुख्य रूप से सरहुल महोत्सव मनाने और संगठन को सशक्त बनाने के लिए विशेष रूप से चर्चा की गई.

Adivasi Jan Parishad meeting in ranchi
आदिवासी जन परिषद की बैठक
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Published : Apr 4, 2021, 1:49 PM IST

रांचीः आदिवासी जन परिषद की बैठक केंद्रीय कार्यालय में प्रेम शाही मुंडा की अध्यक्षता में संपन्न हुई. इस बैठक का संचालन उपाध्यक्ष उमेश लोहरा ने किया. इस बैठक में मुख्य रूप से सरहुल महोत्सव मनाने और संगठन को सशक्त बनाने के लिए विशेष रूप से चर्चा की गई. बैठक को संबोधित करते हुए प्रेम शाही मुंडा ने कहा कि सरहुल झारखंड का नैसर्गिक उत्सव है. उन्होंने कहा हम कितने भी बलवान या धनवान हो जाएं, लेकिन प्रकृति से बड़े नहीं हो सकते हैं.

ये भी पढ़ें-रांची: आदिवासियों ने किया हेमंत सरकार के आदेश का विरोध, कहा- नियमों के तहत सरहुल शोभायात्रा की दें इजाजत

नए साल के आगमन का नैसर्गिक महोत्सव

सरहुल सरई फूल फूलने का त्योहार है, सरजोम और साखू फूलों का उत्सव है, खद्दी पर्व सखुआ पुष्प का उत्सव है. सरहुल आदिवासी समाज के लिए नए साल के आगमन का नैसर्गिक महोत्सव है, नए वर्ष नए कार्य प्रारंभ करने का महापर्व है. पूरी दुनिया में आदिवासी समाज जैसा कोई भी समाज प्रकृति के नजदीक नहीं है. आदिवासी समाज का अस्तित्व धर्म और जमीन है. इसके बिना आदिवासी समाज नहीं रह सकता है. उन्होंने कहा कि सरहुल और कर्मा पर्व आदिवासियों के धर्म कोड आंदोलन के लिए एक मजबूत आधार है.

सरहुल महोत्सव एकता और प्रतिबद्धता का सूत्र

इस बैठक को संबोधित करते हुए प्रधान महासचिव अभय भूट कुंवर ने कहा कि सरहुल महोत्सव आदिवासियों की एकता और प्रतिबद्धता का सूत्र है और आदिवासी धार्मिक विश्वास को बल देता है. उन्होंने कहा सरहुल जरूर मनाएं पर समाज को सुरक्षित रखते हुए मनाएं. आदिवासी जन परिषद के महिला मोर्चा की अध्यक्ष शांति सवैया ने कहा कि एक तरफ सरहुल है दूसरी तरफ कोरोना महामारी, इस विकट स्थिति को देखते हुए सिंगबोंगा और धर्मेश पर विश्वास रखकर मानव सभ्यता को बचाते हुए सरहुल मनाना होगा.

ये भी पढ़ें-रांचीः रामनवमी और सरहुल के जुलूस पर लगाया गया प्रतिबंध, तो छठ महापर्व की तरह ओछी राजनीति कर रही है भाजपा

वैश्विक कोरोना महामारी को देखते हुए आदिवासी जन परिषद बा/बाहा/खड्डी/सरहुल शोभायात्रा निकालने के पक्ष में नहीं है और न ही शोभायात्रा में शामिल होगी. शोभायात्रा के नाम पर फूहड़ गानों में नाचने के लिए आदिवासी समाज को जानबूझकर आग में झोंक नहीं सकते. आदिवासी जन परिषद आदिवासी विचारधारा का संगठन है. आदिवासी समाज अपने-अपने अखड़ा, सरना स्थल, जाहेर थान, देशवाली, चाला टोंका में पूजा अनुष्ठान करेंगे, नाचेंगे, गाएंगे. उन्होंने कहा कि दुनिया की कोई ताकत आदिवासियों को सरहुल पूजा करने से नहीं रोक सकती.

सर्व सम्मति से निम्नलिखित पारित किए गए प्रस्ताव

  1. झारखंड के सभी संगठनों और धार्मिक अगुवागण से निवेदन है कि अपने अपने अखड़ा में सरहुल महोत्सव मनाए, और पूजा अनुष्ठान करें और दूरियां बनाकर संस्कृति कार्यक्रम भी करें.
  2. आदिवासी जन परिषद सरहुल महोत्सव को लेकर के झारखंड के महामहिम राज्यपाल, मुख्यमंत्री, उपायुक्त को ज्ञापन सौंपेगी.
  3. सरहुल महोत्सव के अवसर पर 3 दिन का राजकीय अवकाश दी जाए.
  4. आदिवासी जन परिषद ने 2.5. 2021 को सरहुल मिलन समारोह रांची में आयोजन किया जाएगा, और आदिवासी समाज के पहान पुरोहितों, देवड़ी, नायके पप्पू ठाकुर जी जैसे धार्मिक अगुवाओं को धोती पगड़ी से सम्मानित किया जाएगा.
  5. आदिवासी जन परिषद युवा मोर्चा के सचिव के पद पर सुभाष करमालीजी को नियुक्त किया गया.

इस कार्यक्रम में प्रधान महासचिव अभय भूट कुंवर, जय सिंह लुक्कड़, महिला मोर्चा की अध्यक्ष शांति सवैया, सोमदेव करमाली उमेश लोहरा, सिकंदर मुंडा, सिनी होनाहागा , कविता मुंडा, उषा मुंडा, रश्मि देवी, राम सिंह मुंडा, शत्रुघ्न बेदिया, राम प्रसाद नायक करण बेदिया, छोटेलाल बेदिया, कृष्णामुंडा, विक्की मुंडा, अशोक बेतिया आदि शामिल थे.

रांचीः आदिवासी जन परिषद की बैठक केंद्रीय कार्यालय में प्रेम शाही मुंडा की अध्यक्षता में संपन्न हुई. इस बैठक का संचालन उपाध्यक्ष उमेश लोहरा ने किया. इस बैठक में मुख्य रूप से सरहुल महोत्सव मनाने और संगठन को सशक्त बनाने के लिए विशेष रूप से चर्चा की गई. बैठक को संबोधित करते हुए प्रेम शाही मुंडा ने कहा कि सरहुल झारखंड का नैसर्गिक उत्सव है. उन्होंने कहा हम कितने भी बलवान या धनवान हो जाएं, लेकिन प्रकृति से बड़े नहीं हो सकते हैं.

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नए साल के आगमन का नैसर्गिक महोत्सव

सरहुल सरई फूल फूलने का त्योहार है, सरजोम और साखू फूलों का उत्सव है, खद्दी पर्व सखुआ पुष्प का उत्सव है. सरहुल आदिवासी समाज के लिए नए साल के आगमन का नैसर्गिक महोत्सव है, नए वर्ष नए कार्य प्रारंभ करने का महापर्व है. पूरी दुनिया में आदिवासी समाज जैसा कोई भी समाज प्रकृति के नजदीक नहीं है. आदिवासी समाज का अस्तित्व धर्म और जमीन है. इसके बिना आदिवासी समाज नहीं रह सकता है. उन्होंने कहा कि सरहुल और कर्मा पर्व आदिवासियों के धर्म कोड आंदोलन के लिए एक मजबूत आधार है.

सरहुल महोत्सव एकता और प्रतिबद्धता का सूत्र

इस बैठक को संबोधित करते हुए प्रधान महासचिव अभय भूट कुंवर ने कहा कि सरहुल महोत्सव आदिवासियों की एकता और प्रतिबद्धता का सूत्र है और आदिवासी धार्मिक विश्वास को बल देता है. उन्होंने कहा सरहुल जरूर मनाएं पर समाज को सुरक्षित रखते हुए मनाएं. आदिवासी जन परिषद के महिला मोर्चा की अध्यक्ष शांति सवैया ने कहा कि एक तरफ सरहुल है दूसरी तरफ कोरोना महामारी, इस विकट स्थिति को देखते हुए सिंगबोंगा और धर्मेश पर विश्वास रखकर मानव सभ्यता को बचाते हुए सरहुल मनाना होगा.

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वैश्विक कोरोना महामारी को देखते हुए आदिवासी जन परिषद बा/बाहा/खड्डी/सरहुल शोभायात्रा निकालने के पक्ष में नहीं है और न ही शोभायात्रा में शामिल होगी. शोभायात्रा के नाम पर फूहड़ गानों में नाचने के लिए आदिवासी समाज को जानबूझकर आग में झोंक नहीं सकते. आदिवासी जन परिषद आदिवासी विचारधारा का संगठन है. आदिवासी समाज अपने-अपने अखड़ा, सरना स्थल, जाहेर थान, देशवाली, चाला टोंका में पूजा अनुष्ठान करेंगे, नाचेंगे, गाएंगे. उन्होंने कहा कि दुनिया की कोई ताकत आदिवासियों को सरहुल पूजा करने से नहीं रोक सकती.

सर्व सम्मति से निम्नलिखित पारित किए गए प्रस्ताव

  1. झारखंड के सभी संगठनों और धार्मिक अगुवागण से निवेदन है कि अपने अपने अखड़ा में सरहुल महोत्सव मनाए, और पूजा अनुष्ठान करें और दूरियां बनाकर संस्कृति कार्यक्रम भी करें.
  2. आदिवासी जन परिषद सरहुल महोत्सव को लेकर के झारखंड के महामहिम राज्यपाल, मुख्यमंत्री, उपायुक्त को ज्ञापन सौंपेगी.
  3. सरहुल महोत्सव के अवसर पर 3 दिन का राजकीय अवकाश दी जाए.
  4. आदिवासी जन परिषद ने 2.5. 2021 को सरहुल मिलन समारोह रांची में आयोजन किया जाएगा, और आदिवासी समाज के पहान पुरोहितों, देवड़ी, नायके पप्पू ठाकुर जी जैसे धार्मिक अगुवाओं को धोती पगड़ी से सम्मानित किया जाएगा.
  5. आदिवासी जन परिषद युवा मोर्चा के सचिव के पद पर सुभाष करमालीजी को नियुक्त किया गया.

इस कार्यक्रम में प्रधान महासचिव अभय भूट कुंवर, जय सिंह लुक्कड़, महिला मोर्चा की अध्यक्ष शांति सवैया, सोमदेव करमाली उमेश लोहरा, सिकंदर मुंडा, सिनी होनाहागा , कविता मुंडा, उषा मुंडा, रश्मि देवी, राम सिंह मुंडा, शत्रुघ्न बेदिया, राम प्रसाद नायक करण बेदिया, छोटेलाल बेदिया, कृष्णामुंडा, विक्की मुंडा, अशोक बेतिया आदि शामिल थे.

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