रांची: 100 करोड़ रुपये से जुड़े सरकारी पैसे के फर्जी हस्तांतरण के मामले में आरोपी संजय तिवारी ने सोमवार की सुबह रांची के सिविल कोर्ट परिसर स्थित पीएमएलए कोर्ट में सरेंडर कर दिया है. मिड डे मील योजना में 100 करोड़ रुपए के फर्जी हस्तांतरण से जुड़े मामले में उसे 25 मार्च तक कोर्ट में सरेंडर करना था. लेकिन सरेंडर से बचने के लिए कोर्ट को गलत जानकारी दी, फिर फरार हो गया. जिस्के बाद उसके खिलाफ 31मार्च को वारंट जारी हुआ था.
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वहीं संजय तिवारी पर रिम्स की तरफ से भी बरियातू थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी. जिसमें उस पर रिम्स की फर्जी कोविड रिपोर्ट कोर्ट में जमा करने का आरोप है. एफआईआर दर्ज होने के बाद संजय तिवारी को पुलिस गिरफ्तार करने के लिए ढूंढने लगी थी. वारंट जारी होने के बाद से संजय तिवारी फरार चल रहा था. पुलिस और ईडी दोनों ही लगातार दबिश बनाए हुए थी.
बरियातू थाना पुलिस ने संजय तिवारी पर गिरफ्तारी को लेकर लगातार दबाव बनाया. इसी मामले में पिछले दिनों संजय तिवारी के दो अन्य सहयोगियों को भी गिरफ्तार किया गया था. 31 मार्च को वारंट जारी होने के बाद पुलिस की दबिश और भी बढ़ गई. पुलिसिया दबिश की वजह से संजय तिवारी ने सोमवार की सुबह कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया. सोमवार की सुबह रांची के ईडी कोर्ट में आत्मसमर्पण करने के बाद पुलिस ने उसे हिरासत में लेकर जेल भेज दिया है.
बता दें कि भानु कंस्ट्रक्शन का संचालनक मिड डे मील योजना में सौ करोड़ के फर्जी हस्तांतरण के मनी लाउंड्रिंग मामले का आरोपी है. सुप्रीम कोर्ट ने उसे सरेंडर करने को कहा था. सरेंडर से बचने के लिए उसने फर्जी कोविड रिपोर्ट ईडी कोर्ट में पेश कर समय मांगा था. जांच में सच सामने आने पर रिम्स की तरफ से भी प्राथमिकी दर्ज की गई थी. जिसके बाद से वो फरार चल रहा था.