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एसीबी करेगी अल्पसंख्यक स्कूलों में हुए छात्रवृत्ति घोटाले की जांच - झारखंड के अल्पसंख्यक स्कूलों में छात्रवृत्ति घोटाला

झारखंड के अल्पसंख्यक स्कूलों छात्रवृत्ति वितरण में गड़बड़ी की जांच की जिम्मेदारी एसीबी को दे दी गई है. घोटाले को लेकर अब पिछले 5 सालों के लेखा-जोखा की जांच होगी. राज्य के कई जिलों में बड़े पैमाने पर छात्रवृत्ति घोटाला हुआ है.

एसीबी
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Published : Nov 20, 2020, 9:57 AM IST

रांचीः झारखंड के अल्पसंख्यक स्कूलों में प्री मैट्रिक और पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति वितरण में गड़बड़ी की जांच की जिम्मेदारी एसीबी को दे दी गई है. एसटी-एससी, अल्पसंख्यक और पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग ने इस बाबत आदेश जारी कर दिया है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और मुख्य सचिव सुखदेव सिंह की तरफ से इस पर पहले ही सहमति मिल चुकी थी. पिछले 5 सालों के लेखा-जोखा की जांच होगी.

अल्पसंख्यक स्कूलों में प्री मैट्रिक स्कॉलरशिप वितरण में घोटाले की खबर मीडिया में आने के बाद इस मामले पर जमकर राजनीति भी हुई थी. तब मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया था कि इस मामले पर सरकार गंभीर है और दोषियों को किसी भी सूरत में नहीं बख्शा जाएगा. रांची, धनबाद और रामगढ़ समेत कई जिलों में छात्रवृत्ति घोटाले की खबरें प्रमुखता से सामने आई थी.

दरअसल, अल्पसंख्यक स्कूलों के मेधावी और गरीब छात्र छात्राओं को प्री मैट्रिक स्कॉलरशिप की राशि केंद्र सरकार देती है. मामला सामने आने के बाद ईटीवी भारत की टीम ने कई जिलों में मामले की पड़ताल की थी. कई जगह लाभुक छात्रों का कहना था कि उनका बैंक खाता खुला ही नहीं है फिर भी अप्रैल से जून माह के बीच ढाई हजार रुपए स्कूल प्रिंसिपल की तरफ से दिए गए थे.

यह भी पढ़ेंः Top10 @9AM: जानें झारखंड की अब तक की 10 बड़ी खबरें

कई स्कूल संचालकों ने कहा था कि उन्होंने स्कॉलरशिप के लिए अप्लाई किया ही नहीं था फिर भी उनके स्कूल के छात्रों के नाम से कैसे पैसे निकल गए. यह बात भी सामने आई थी कि कई स्कूलों में वैसे छात्रों के नाम से पैसे निकाले गए थे जो संबंधित स्कूल में पढ़ते ही नहीं है. सबसे खास बात है कि अल्पसंख्यक स्कूलों में प्री मैट्रिक स्कॉलरशिप घोटाले की खबरें दूसरे कई राज्यों से भी सामने आईं थी. इसको देखते हुए केंद्र सरकार सीबीआई जांच का आदेश पहले ही दे चुकी है.

रांचीः झारखंड के अल्पसंख्यक स्कूलों में प्री मैट्रिक और पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति वितरण में गड़बड़ी की जांच की जिम्मेदारी एसीबी को दे दी गई है. एसटी-एससी, अल्पसंख्यक और पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग ने इस बाबत आदेश जारी कर दिया है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और मुख्य सचिव सुखदेव सिंह की तरफ से इस पर पहले ही सहमति मिल चुकी थी. पिछले 5 सालों के लेखा-जोखा की जांच होगी.

अल्पसंख्यक स्कूलों में प्री मैट्रिक स्कॉलरशिप वितरण में घोटाले की खबर मीडिया में आने के बाद इस मामले पर जमकर राजनीति भी हुई थी. तब मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया था कि इस मामले पर सरकार गंभीर है और दोषियों को किसी भी सूरत में नहीं बख्शा जाएगा. रांची, धनबाद और रामगढ़ समेत कई जिलों में छात्रवृत्ति घोटाले की खबरें प्रमुखता से सामने आई थी.

दरअसल, अल्पसंख्यक स्कूलों के मेधावी और गरीब छात्र छात्राओं को प्री मैट्रिक स्कॉलरशिप की राशि केंद्र सरकार देती है. मामला सामने आने के बाद ईटीवी भारत की टीम ने कई जिलों में मामले की पड़ताल की थी. कई जगह लाभुक छात्रों का कहना था कि उनका बैंक खाता खुला ही नहीं है फिर भी अप्रैल से जून माह के बीच ढाई हजार रुपए स्कूल प्रिंसिपल की तरफ से दिए गए थे.

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कई स्कूल संचालकों ने कहा था कि उन्होंने स्कॉलरशिप के लिए अप्लाई किया ही नहीं था फिर भी उनके स्कूल के छात्रों के नाम से कैसे पैसे निकल गए. यह बात भी सामने आई थी कि कई स्कूलों में वैसे छात्रों के नाम से पैसे निकाले गए थे जो संबंधित स्कूल में पढ़ते ही नहीं है. सबसे खास बात है कि अल्पसंख्यक स्कूलों में प्री मैट्रिक स्कॉलरशिप घोटाले की खबरें दूसरे कई राज्यों से भी सामने आईं थी. इसको देखते हुए केंद्र सरकार सीबीआई जांच का आदेश पहले ही दे चुकी है.

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