रांची: केंद्र सरकार की नई शिक्षा नीति को लेकर लगातार मंतव्य आ रहे हैं. इसी कड़ी में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद झारखंड प्रांत की और से राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर सभी विश्वविद्यालयों के शिक्षाविदों के साथ ऑनलाइन संगोष्ठी का आयोजन किया गया. इस संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष मिलिंद मराठे शामिल हुए. ऑनलाइन आयोजित इस परिचर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि 1986 से 2020 तक लगभग 34 साल बीत गए और आज की परिस्थिति के अनुरूप के शिक्षा नीति के लिए प्रतीक्षारत है. आज विद्यार्थियों की संख्या और टेक्नोलॉजी समय के साथ बदल गई है. एस्पिरेशनल यूथ जिनकी चाह बढ़ी है उनकी संख्या में भी भारी बढ़ोतरी हुई है. कॉलेज शिक्षा कंठस्थ हुआ करती थी फिर शिक्षा को लिख कर दिया जाने लगा, मगर आज डिजिटल का जमाना है. शिक्षा जीवन के मूल्य से जुड़ता है.
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शिक्षा की नीति में राष्ट्रीय विशेषताओं का उजागर होना चाहिए. लोकतांत्रिक प्रणाली पर अटूट विश्वास और भारत की नीति पर विश्वास होना समाज की कुरीति को हटाने वाला शिक्षा नीति होनी चाहिए जो यह सारी बातें राष्ट्रीय शिक्षा नीति में संलग्न है। वेल्थ क्रिएशन स्वभाविक शिक्षा का उद्देश्य होता है लेकिन सबों के प्रति समानता का भाव रखने वाला, विश्व मानव का निर्माण करने वाला नीति राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में है। लघु पचासी परसेंट चाइल्ड डेवलपमेंट जन्म से 6 वर्ष तक हो जाती है मगर दुर्भाग्य से गरीबी एवं पोषण के कारण भारत के बच्चों को डेवलपमेंट नहीं हो पाता पहली बार 3 वर्ष से ऊपर की आयु के ऊपर क पहली बार 3 वर्ष से ऊपर की आयु के ऊपर के विद्यार्थी को राइट टू एजुकेशन एक्ट में संलग्न कर 5-3-3-4 के प्रारूप में शामिल किया गया है.
उन्होंने कहा कि आज स्कूल के 15 परसेंट विद्यार्थी किसी न किसी तरीके के लर्निंग डिफकल्टी से जूझते रहते हैं. इसे सही करने के लिए विशेष प्रावधान दिया गया है. समग्र सर्वसमावेशक शिक्षा नीति जो कॉमर्स रिलाइजेशन को पूरी तरह नकारती है या शिक्षा नीति आत्मनिर्भर भारत की तरफ बढ़ने की संभावना पर पूरी तरह से खरीद रहेगी, इसके सफल क्रियान्वयन के लिए हम सभी को लगना होगा तभी सही मायने में इसकी सफलता सिद्ध होगी. वहीं, रांची विश्वविद्यालय कुलपति रमेश पांडे ने कहा कि शिक्षा नीति का स्वागत करता हूं. मात्रिभाषा पढ़ाई के लिए प्रेरित करना एक क्रांतिकारी निर्णय है गांधी जी के विचारों को समाहित करना महात्मा गांधी जी के 150 वीं जयंती पर को इससे बड़ा उपहार नहीं हो सकता.
कई विश्वविद्यालय के कुलपतियों ने लिया हिस्सा
इस संगोष्ठी में सेंट्रल यूनिवर्सिटी झारखंड के कुलपति नंद कुमार यादव, रांची विश्वविद्यालय के प्रो वीसी कामिनी कुमार, विनोबा भावे विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति गुरबीर सिंह , रूसा के डिप्टी डायरेक्टर प्रोफेसर हेमंत कुमार भगत NIT जमशेदपुर के निदेशक केके शुक्ला, IIIT भागलपुर के निदेशक प्रो अरविंद चौबे,रविंद्र भगत,आईआईआईटी भागलपुर डायरेक्टर, नीलांबर पीतांबर विश्वविद्यालय के कुलसचिव जयंत शेखर ने अपने विचारों को साझा किया. इस अवसर पर प्रदेश अध्यक्ष नाथू गाड़ी, मंत्री राजीव रंजन देव,क्षेत्रीय संगठन मंत्री निखिल रंजन,प्रांत संगठन मंत्री याज्ञवल्क्य शुक्ला आदि उपस्थित रहे.
क्या है NEP
बता दें कि केंद्र सरकार ने बुधवार को शिक्षा के क्षेत्र में दो बड़े फैसले लिए हैं. पहला - केंद्रीय मानव संसाधनव विकास मंत्रालय (MHRD) का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय (Ministry of Education) किया है. दूसरा - नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) को स्वीकृति दे दी है. मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदल कर शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है. इसका मतलब है कि रमेश पोखरियाल निशंक अब देश के शिक्षा मंत्री कहलाएंगे. जीडीपी का छह फ़ीसद शिक्षा में लगाने का लक्ष्य जो अभी 4.43 फ़ीसद है. नई शिक्षा का लक्ष्य 2030 तक 3-18 आयु वर्ग के प्रत्येक बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करता है. छठी क्लास से वोकेशनल कोर्स शुरू किए जाएंगे. उच्च शिक्षा के लिए एक सिंगल रेगुलेटर रहेगा. उच्च शिक्षा में 2035 तक 50 फ़ीसद GER (Gross Enrolment Ratio) पहुंचाने का लक्ष्य है. पहली बार मल्टीपल एंट्री और एग्ज़िट सिस्टम लागू किया गया है. उच्च शिक्षा में कई बदलाव किए गए हैं. जो छात्र रिसर्च करना चाहते हैं उनके लिए चार साल का डिग्री प्रोग्राम होगा. जो लोग नौकरी में जाना चाहते हैं वो तीन साल का ही डिग्री प्रोग्राम करेंगे. शोध करने के लिए नेशनल रिसर्च फ़ाउंडेशन (एनआरएफ़) की स्थापना की जाएगी. उच्च शिक्षा संस्थानों को फ़ीस चार्ज करने के मामले में और पारदर्शिता लानी होगी. ई-पाठ्यक्रम क्षेत्रीय भाषाओं में विकसित किए जाएंगे. वर्चुअल लैब विकसित की जा रही है और एक राष्ट्रीय शैक्षिक टेक्नोलॉजी फ़ोरम (NETF) बनाया जा रहा है.