रांची: झारखंड में निजी क्षेत्र की नौकरियों में स्थानीय को 75% आरक्षण देने की व्यवस्था सुनिश्चित कराने की तरफ झारखंड सरकार ने एक और कदम बढ़ा दिया है. निजी क्षेत्र में स्थानीय उम्मीदवारों का नियोजन विधेयक 2021 पर विधानसभा की प्रवर समिति ने अपनी रिपोर्ट सदन पटल पर रख दी है. इसी साल बजट सत्र में इस विधेयक को लाया गया था लेकिन पक्ष और विपक्ष के कुछ विधायकों की तरफ से आए सुझाव को देखते हुए इसे प्रवर समिति के पास भेज दिया गया था.
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विधायक प्रदीप यादव ने कंपनी अधिनियम 1956 के तहत रजिस्टर्ड कंपनियों में भी यह व्यवस्था लागू करने का सुझाव दिया था. अमित मंडल ने कंपनी की प्रकृति अंकित करने का सुझाव दिया था तो अमर बावरी ने कहा था कि इस व्यवस्था को राइट टू एजुकेशन की तरह नहीं बनाना चाहिए. करीब दो दर्जन सुझाव के बाद यह विधायक प्रवर समिति के पास चला गया था.
सदन से इस विधायक के पास होते ही झारखंड की निजी कंपनियों में यहां के स्थानीय लोगों को 75% आरक्षण का हक मिल जाएगा. विधेयक में जो संशोधन किया गया है उसके मुताबिक निजी कंपनियों में 40,000 रुपए तक की मासिक वेतन वाले पदों पर यहां के 75% स्थानीय को नौकरी मिलेगी. अधिनियम लागू होने के 3 माह के भीतर नियोक्ता को संबंधित पोर्टल पर कर्मचारियों को पंजीकृत करना होगा.
अधिकृत पदाधिकारी की अध्यक्षता में जिला स्तर पर एक जांच समिति गठित होगी. जो उम्मीदवारों की भर्ती के लिए नियोक्ता की तरफ से किए गए पहल का मूल्यांकन करेगी. समिति के पास कर्मचारियों से जुड़े कागजात कंपनी से मांगने की शक्ति होगी. किसी बिंदु पर नियोक्ता को आपत्ति होगी तो वह अपीलीय प्राधिकार के पास जा सकेगा. नियोजन में अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करने पर नियुक्त आ पर अधिकतम ₹50,000 तक का जुर्माना लगाया जा सकेगा.