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रिनपास में रह रहे चार विदेशी सहित 120 को है घर लौटने का इंतजार, पुलिस से लगाई फरियाद - रांची में रिनपास

रांची के रिनपास में ठीक होने के बाद भी मरीजों को उनके परिजन वापस नहीं ले जा रहे हैं. इनमें चार विदेशी नागरिक भी हैं. अब रिनपास प्रबंधन इन लोगों को वापस भेजने की तैयारी में लग गई है. इसके लिए पुलिस से मदद ली जा रही है.

Kanke RINPAS Ranchi
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Published : Jul 8, 2023, 5:28 PM IST

रांची: आप सभी तो यह जानते ही होंगे कि राजधानी रांची के कांके स्थित रिनपास मानसिक रोगियों के लिए एक बेहतरीन अस्पताल है. राज्य ही नहीं राज्य के बाहर से भी मानसिक रोगियों को यहां ठीक करवाने के लिए भर्ती करवाया जाता है. लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी रिनपास में एक बड़ी संख्या वैसे लोगो की भी है बिल्कुल ठीक हो चुके हैं, लेकिन उनके परिवार वाले उन्हें वापस नहीं ले जा रहे हैं. इसमें चार विदेशी नागरिक भी हैं. रिनपास में तीन बांग्लादेशी नागरिक, एक नेपाली नागरिक के अलावा कुल 116 ऐसे लोग हैं, जिन्हें उनके परिजनों ने रिनपास में वर्षों पहले भर्ती करवाया था, लेकिन अब उनके ठीक हो जाने के बावजूद वह उन्हें अपने घर नहीं ले जा रहे हैं. ऐसे में रिनपास प्रशासन ने रांची पुलिस सहित अन्य जिलों के पुलिस से मदद मांगी है ताकि ठीक हो चुके मरीजों को उनके घरों तक पहुंचाया जा सके.

यह भी पढ़ें: Ranchi News: रिनपास की प्रभारी निदेशक के खिलाफ आरटीआई एक्टिविस्ट ने लगाए गंभीर आरोप, सीएम और एसीबी को पत्र लिख जांच की मांग

तीन बांग्लादेशी, एक नेपाली कर रहे अपनों का इंतजार: आलमगीर, जाहिद शरीफ और सिमोन तीनों ही बांग्लादेश के रहने वाले हैं. तीनों झारखंड के अलग-अलग शहरों में पुलिस को भटकते हुए मिले थे. खराब मानसिक स्थिति को देखते हुए तीनों को रांची स्थित रिनपास में भर्ती करवा दिया गया. ऐसा ही कुछ नेपाल के रहने वाले रूपम की भी कहानी है. वह भी पुलिस के द्वारा ही रिनपास में भर्ती करवाए गए थे.

आलमगीर कोडरमा में भटकते हुए मिले थे. वहीं जाहिद दुमका में तो सिमोन रांची में मिले थे. जबकि नेपाली नागरिक रूपम गुमला में भटकते हुए पाए गए थे. चारों क्रमशः 2016, 2017, 2016 और 2020 से ही रिनपास में भर्ती हुए थे. अब चारों ही बिल्कुल ठीक हो चुके हैं. मानसिक स्थिति बेहतर होने के बाद पूछताछ में यह जानकारी मिली कि आलमगीर, जाहिद शरीफ और सिमोन बांग्लादेश के ढाका के रहने वाले हैं. जबकि रूपम नेपाल के विराट नगर का रहने वाला है. यह चारों बिल्कुल ठीक हो चुके हैं, लेकिन इनके पते पर कई बार पत्राचार करने के बावजूद कोई भी इन्हें वापस लेने नहीं आया.

116 झारखंड के ही, लेकिन नहीं आए परिजन लेने: सबसे हैरानी की बात तो यह है कि 116 वैसे मरीज जो बिल्कुल ठीक चुके हैं वह झारखंड के ही रहने वाले हैं इसके बावजूद उनके परिजन उनकी सुध नहीं ले रहे हैं. रिनपास प्रशासन की तरफ से कई बार परिजनों को पत्र भेजा जा चुका है कि वे आपने ठीक हो चुके परिजन को वापस ले जाएं लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला.

दरअसल, रांची इंस्टिट्यूट ऑफ न्यूरो एंड एलाइड साइंसेज यानी रिनपास में 120 ऐसे मरीज हैं जो बिल्कुल ठीक हो चुके हैं. पुरुष और महिला वार्ड मिलाकर कुल 116 मरीज ऐसे हैं जो झारखंड के रहने वाले हैं. इलाज के बाद अब यह पूरी तरह से स्वस्थ हो चुके हैं, लेकिन सालों से उन्हें कोई भी घर वापस लेने नहीं पहुंचा है या यूं कहें कि इन्हें यहां एडमिट करने के बाद परिजनों ने उनसे अपनी जान छुड़ा ली. सालों से इनके परिजन रिनपास नहीं पहुंचे. उन्होंने तो यह जानने का भी प्रयास नहीं किया है कि उनका मरीज कैसा है. नतीजा अपनों के इंतजार में सभी 120 ठीक हो चुके मरीज रिनपास में ही कढ़ाई बुनाई जैसे काम करके अपना जीवन काट रहे हैं.

किस शहर के कितने मरीज हो चुके ठीक: आपको यह जानकर और हैरानी होगी कि राजधानी रांची में रहने वाले परिजन भी रिनपास से अपने संबधियों को ठीक हो जाने के बावजूद वापस नहीं ले जा रहे हैं. आंकड़े जानकर आप हैरान हो जाएंगे. रिनपास से मिले आंकड़ों के अनुसार 116 में से 44 ठीक हो चुके मरीज तो रांची के ही रहने वाले हैं. लेकिन कई पत्र भेजने के बाद भी रांची में रहने वाले परिजन भी अपने संबंधियों को रिनपास से वापस नहीं ले जा रहे हैं.

वहीं अगर दूसरे जिलों की बात करें तो रामगढ़ के 02, गिरिडीह के 06, पश्चिमी और पूर्वी सिंहभूम के 11, सरायकेला खरसावां के 03, लातेहार के 01, गढ़वा के 02, लोहरदगा के 03, गुमला के 01, सिमडेगा के 04, बोकारो के 07, धनबाद के 04, देवघर के 04, चतरा के 05, जामताड़ा के 02 और हजारीबाग का 01 मरीज बिल्कुल स्वस्थ हो चुके हैं. लेकिन उनके परिजन उन्हें वापस घर नहीं ले जा रहे हैं.

यह भी पढ़ें: झारखंड राज्य स्थापना विशेष: जानिए राज्य गठन के 22 वर्ष में मानसिक रोग संस्थान का क्या है हाल

युवा से लेकर बुजुर्ग तक शामिल: रिनपास से मिली जानकारी के अनुसार, जो 120 मरीज ठीक हो चुके हैं. उनमें बुजुर्ग महिलाएं, युवा और बुजुर्ग पुरुष भी शामिल हैं. सभी के घरों में उनके बच्चे के साथ-साथ पोता पोती भी हैं. सभी को इस बात का इंतजार है कि कब उनके बच्चे उन्हें वापस ले जाएंगे.

पता के साथ दिया गया ठीक हो चुके मरीजों का डिटेल: रिनपास प्रशासन की तरफ से इस मामले में पुलिस से सहयोग लिया जा रहा है. रिनपास की तरफ से सभी 120 ठीक हो चुके मरीजों की सूची और उनके एड्रेस पुलिस को उपलब्ध करवाए गए हैं ताकि उन्हें उनके घरों तक पहुंचाया जा सके. इनमें 4 विदेशी भी शामिल हैं. विदेशी नागरिकों को उनके देश भेजने के लिए झारखंड पुलिस बांग्लादेशी दूतावास से संपर्क करेगी. ताकि उन्हें सकुशल उनके देश भेजा जा सके. वहीं झारखंड के जिलों में स्थानीय पुलिस की मदद से ठीक हो चुके मरीजों के पते का सत्यापन करवा कर उनके परिजनों को उनके ठीक होने की सूचना दी जाएगी. इसकी तैयारियां शुरू की गई है.

रांची: आप सभी तो यह जानते ही होंगे कि राजधानी रांची के कांके स्थित रिनपास मानसिक रोगियों के लिए एक बेहतरीन अस्पताल है. राज्य ही नहीं राज्य के बाहर से भी मानसिक रोगियों को यहां ठीक करवाने के लिए भर्ती करवाया जाता है. लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी रिनपास में एक बड़ी संख्या वैसे लोगो की भी है बिल्कुल ठीक हो चुके हैं, लेकिन उनके परिवार वाले उन्हें वापस नहीं ले जा रहे हैं. इसमें चार विदेशी नागरिक भी हैं. रिनपास में तीन बांग्लादेशी नागरिक, एक नेपाली नागरिक के अलावा कुल 116 ऐसे लोग हैं, जिन्हें उनके परिजनों ने रिनपास में वर्षों पहले भर्ती करवाया था, लेकिन अब उनके ठीक हो जाने के बावजूद वह उन्हें अपने घर नहीं ले जा रहे हैं. ऐसे में रिनपास प्रशासन ने रांची पुलिस सहित अन्य जिलों के पुलिस से मदद मांगी है ताकि ठीक हो चुके मरीजों को उनके घरों तक पहुंचाया जा सके.

यह भी पढ़ें: Ranchi News: रिनपास की प्रभारी निदेशक के खिलाफ आरटीआई एक्टिविस्ट ने लगाए गंभीर आरोप, सीएम और एसीबी को पत्र लिख जांच की मांग

तीन बांग्लादेशी, एक नेपाली कर रहे अपनों का इंतजार: आलमगीर, जाहिद शरीफ और सिमोन तीनों ही बांग्लादेश के रहने वाले हैं. तीनों झारखंड के अलग-अलग शहरों में पुलिस को भटकते हुए मिले थे. खराब मानसिक स्थिति को देखते हुए तीनों को रांची स्थित रिनपास में भर्ती करवा दिया गया. ऐसा ही कुछ नेपाल के रहने वाले रूपम की भी कहानी है. वह भी पुलिस के द्वारा ही रिनपास में भर्ती करवाए गए थे.

आलमगीर कोडरमा में भटकते हुए मिले थे. वहीं जाहिद दुमका में तो सिमोन रांची में मिले थे. जबकि नेपाली नागरिक रूपम गुमला में भटकते हुए पाए गए थे. चारों क्रमशः 2016, 2017, 2016 और 2020 से ही रिनपास में भर्ती हुए थे. अब चारों ही बिल्कुल ठीक हो चुके हैं. मानसिक स्थिति बेहतर होने के बाद पूछताछ में यह जानकारी मिली कि आलमगीर, जाहिद शरीफ और सिमोन बांग्लादेश के ढाका के रहने वाले हैं. जबकि रूपम नेपाल के विराट नगर का रहने वाला है. यह चारों बिल्कुल ठीक हो चुके हैं, लेकिन इनके पते पर कई बार पत्राचार करने के बावजूद कोई भी इन्हें वापस लेने नहीं आया.

116 झारखंड के ही, लेकिन नहीं आए परिजन लेने: सबसे हैरानी की बात तो यह है कि 116 वैसे मरीज जो बिल्कुल ठीक चुके हैं वह झारखंड के ही रहने वाले हैं इसके बावजूद उनके परिजन उनकी सुध नहीं ले रहे हैं. रिनपास प्रशासन की तरफ से कई बार परिजनों को पत्र भेजा जा चुका है कि वे आपने ठीक हो चुके परिजन को वापस ले जाएं लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला.

दरअसल, रांची इंस्टिट्यूट ऑफ न्यूरो एंड एलाइड साइंसेज यानी रिनपास में 120 ऐसे मरीज हैं जो बिल्कुल ठीक हो चुके हैं. पुरुष और महिला वार्ड मिलाकर कुल 116 मरीज ऐसे हैं जो झारखंड के रहने वाले हैं. इलाज के बाद अब यह पूरी तरह से स्वस्थ हो चुके हैं, लेकिन सालों से उन्हें कोई भी घर वापस लेने नहीं पहुंचा है या यूं कहें कि इन्हें यहां एडमिट करने के बाद परिजनों ने उनसे अपनी जान छुड़ा ली. सालों से इनके परिजन रिनपास नहीं पहुंचे. उन्होंने तो यह जानने का भी प्रयास नहीं किया है कि उनका मरीज कैसा है. नतीजा अपनों के इंतजार में सभी 120 ठीक हो चुके मरीज रिनपास में ही कढ़ाई बुनाई जैसे काम करके अपना जीवन काट रहे हैं.

किस शहर के कितने मरीज हो चुके ठीक: आपको यह जानकर और हैरानी होगी कि राजधानी रांची में रहने वाले परिजन भी रिनपास से अपने संबधियों को ठीक हो जाने के बावजूद वापस नहीं ले जा रहे हैं. आंकड़े जानकर आप हैरान हो जाएंगे. रिनपास से मिले आंकड़ों के अनुसार 116 में से 44 ठीक हो चुके मरीज तो रांची के ही रहने वाले हैं. लेकिन कई पत्र भेजने के बाद भी रांची में रहने वाले परिजन भी अपने संबंधियों को रिनपास से वापस नहीं ले जा रहे हैं.

वहीं अगर दूसरे जिलों की बात करें तो रामगढ़ के 02, गिरिडीह के 06, पश्चिमी और पूर्वी सिंहभूम के 11, सरायकेला खरसावां के 03, लातेहार के 01, गढ़वा के 02, लोहरदगा के 03, गुमला के 01, सिमडेगा के 04, बोकारो के 07, धनबाद के 04, देवघर के 04, चतरा के 05, जामताड़ा के 02 और हजारीबाग का 01 मरीज बिल्कुल स्वस्थ हो चुके हैं. लेकिन उनके परिजन उन्हें वापस घर नहीं ले जा रहे हैं.

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युवा से लेकर बुजुर्ग तक शामिल: रिनपास से मिली जानकारी के अनुसार, जो 120 मरीज ठीक हो चुके हैं. उनमें बुजुर्ग महिलाएं, युवा और बुजुर्ग पुरुष भी शामिल हैं. सभी के घरों में उनके बच्चे के साथ-साथ पोता पोती भी हैं. सभी को इस बात का इंतजार है कि कब उनके बच्चे उन्हें वापस ले जाएंगे.

पता के साथ दिया गया ठीक हो चुके मरीजों का डिटेल: रिनपास प्रशासन की तरफ से इस मामले में पुलिस से सहयोग लिया जा रहा है. रिनपास की तरफ से सभी 120 ठीक हो चुके मरीजों की सूची और उनके एड्रेस पुलिस को उपलब्ध करवाए गए हैं ताकि उन्हें उनके घरों तक पहुंचाया जा सके. इनमें 4 विदेशी भी शामिल हैं. विदेशी नागरिकों को उनके देश भेजने के लिए झारखंड पुलिस बांग्लादेशी दूतावास से संपर्क करेगी. ताकि उन्हें सकुशल उनके देश भेजा जा सके. वहीं झारखंड के जिलों में स्थानीय पुलिस की मदद से ठीक हो चुके मरीजों के पते का सत्यापन करवा कर उनके परिजनों को उनके ठीक होने की सूचना दी जाएगी. इसकी तैयारियां शुरू की गई है.

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