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RIMS Ambulance Workers Facing Trouble: रिम्स में घंटों तक नहीं मिलता स्ट्रेचर और बेड, 108 एंबुलेंसकर्मी परेशान

रांची के रिम्स अस्पताल में बदइंतजामी कोई नयी बात नहीं है. आए दिन यहां फैली अव्यवस्था की खबरें सुर्खियों में रहती है. इस बार रिम्स प्रबंधन की लापरवाही से 108 एंबुलेंसकर्मी परेशान हैं. अस्पताल में स्ट्रेचर और बेड की कमी का खामियाजा इन एंबुलेंसकर्मियों को भुगतना पड़ रहा है.

108 ambulance workers in troubled due to negligence of RIMS in Ranchi
रांची में रिम्स की लापरवाही से एंबुलेंस कर्मी परेशान
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Published : Feb 10, 2023, 9:18 AM IST

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रांची: राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में समस्याओं की जितनी भी बात करें वह कम है. क्योंकि रिम्स अस्पताल में अव्यवस्था और समस्याएं ही देखने को मिल रही हैं. इस बार समस्या मरीज और डॉक्टर से नहीं बल्कि एंबुलेंसकर्मियों से जुड़ा हुआ है. रिम्स प्रबंधन की लापरवाही के कारण 108 एंबुलेंसकर्मी परेशान हैं.

इसे भी पढ़ें- रिम्स में ट्रॉलीमैन और सुरक्षा गार्डो की हड़ताल से मरीजों की जान पर आफत, 3 की हुई मौत

राज्य में सैकड़ों की संख्या में एंबुलेंस हैं जो वैसे मरीजों को अस्पताल तक लाते हैं जो गंभीर बीमार या आकस्मिक दुर्घटना के शिकार होते हैं. वैसे मरीजों के लिए 108 एंबुलेंस तुरंत मौके पर पहुंचते हैं और उन्हें इलाज के लिए नजदीकी अस्पताल में भेजे जाते हैं. अस्पताल में भर्ती कराने के बाद एंबुलेंस को तुरंत ही छोड़ने का नियम है ताकि वह दूसरे मरीज को सेवा दे सके. इसलिए अस्पताल में ऐसी व्यवस्था रखी जाती है कि एंबुलेंस के परिसर में दाखिल होते ही उसके लिए स्ट्रेचर और बेड की तत्काल व्यवस्था की जा सके.

लेकिन जो एंबुलेंस रिम्स आते हैं उस एंबुलेंस को रिम्स में मौजूद कर्मचारियों की लापरवाही की वजह से घंटों तक नहीं छोड़ा जाता है. एंबुलेंस लेकर आए चालको एवं एंबुलेंसकर्मियों का कहना है कि जब भी वो मरीज लेकर रिम्स आते हैं तो उन्हें घंटों इंतजार करना पड़ता है. क्योंकि जो स्ट्रेचर मरीज को अस्पताल के बेड तक पहुंचाने के लिए एंबुलेंस में रखे जाते हैं उस स्ट्रेचर को घंटों तक कर्मियों के द्वारा नहीं छोड़ा जाता. एंबुलेंस के स्ट्रेचर पर ही घंटों तक अस्पताल के डॉक्टर मरीज का इलाज करते हैं क्योंकि अस्पताल में बेड की घोर कमी है.

एंबुलेंसकर्मियों ने बताया कि नियमानुसार एंबुलेंस का स्ट्रेचर सिर्फ मरीज को अस्पताल में लगे बेड तक पहुंचाने के लिए रखे जाते हैं. लेकिन रिम्स में एंबुलेंस के स्ट्रेचर को ही रख लिया जाता है और जब एंबुलेंसकर्मी स्ट्रेचर मांगते हैं अस्पताल में तैनात डॉक्टर्स द्वारा यह कहा जाता है कि बेड की कमी की वजह से मरीज का एंबुलेंस के स्ट्रेचर पर ही इलाज होगा. बेड की कमी को लेकर रिम्स अस्पताल के बाहर 108 एंबुलेंस की भीड़ लगी रहती है और उस में तैनात एंबुलेंस चालक और कर्मी परेशान रहते हैं. एंबुलेंस चालक बताते हैं कि समय पर स्ट्रेचर नहीं मिलने से दूसरे मरीज के परिजनों का फोन आता है तो उन्हें मना करना पड़ता है.

108 एंबुलेंस के स्टेट हेड मिल्टन सिंह बताते हैं कि इस तरह की समस्या वर्षों से है. इस समस्या को दूर करने को लेकर 108 एंबुलेंस संस्था की तरफ से यह प्रयास किया जा रहा है. रिम्स प्रबंधन से बात करके वहां पर कुछ स्ट्रेचर मुहैया कराई जाए और एंबुलेंस के स्ट्रेचर को तुरंत छोड़ा जाए. जिससे एंबुलेंसकर्मी अस्पताल से निकलकर तुरंत दूसरे मरीज को अपनी सेवा दे सकें.

एंबुलेंसकर्मियों की समस्या को देखते हुए ईटीवी भारत ने जब रिम्स के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. हिरेन बिरुआ से बात की तो उन्होंने बताया कि जो भी कमियां हैं उसको लेकर प्रबंधन गंभीर है. इमरजेंसी एंबुलेंसकर्मी सहित विभिन्न तरह की आ रही समस्याओं के समाधान को लेकर विचार कर रही. इसके बावजूद भी किसी पदाधिकारी एवं स्वास्थ्यकर्मी की वजह से समस्या आ रही है तो उस पर निश्चित ही कार्रवाई भी की जाएगी.

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रांची: राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में समस्याओं की जितनी भी बात करें वह कम है. क्योंकि रिम्स अस्पताल में अव्यवस्था और समस्याएं ही देखने को मिल रही हैं. इस बार समस्या मरीज और डॉक्टर से नहीं बल्कि एंबुलेंसकर्मियों से जुड़ा हुआ है. रिम्स प्रबंधन की लापरवाही के कारण 108 एंबुलेंसकर्मी परेशान हैं.

इसे भी पढ़ें- रिम्स में ट्रॉलीमैन और सुरक्षा गार्डो की हड़ताल से मरीजों की जान पर आफत, 3 की हुई मौत

राज्य में सैकड़ों की संख्या में एंबुलेंस हैं जो वैसे मरीजों को अस्पताल तक लाते हैं जो गंभीर बीमार या आकस्मिक दुर्घटना के शिकार होते हैं. वैसे मरीजों के लिए 108 एंबुलेंस तुरंत मौके पर पहुंचते हैं और उन्हें इलाज के लिए नजदीकी अस्पताल में भेजे जाते हैं. अस्पताल में भर्ती कराने के बाद एंबुलेंस को तुरंत ही छोड़ने का नियम है ताकि वह दूसरे मरीज को सेवा दे सके. इसलिए अस्पताल में ऐसी व्यवस्था रखी जाती है कि एंबुलेंस के परिसर में दाखिल होते ही उसके लिए स्ट्रेचर और बेड की तत्काल व्यवस्था की जा सके.

लेकिन जो एंबुलेंस रिम्स आते हैं उस एंबुलेंस को रिम्स में मौजूद कर्मचारियों की लापरवाही की वजह से घंटों तक नहीं छोड़ा जाता है. एंबुलेंस लेकर आए चालको एवं एंबुलेंसकर्मियों का कहना है कि जब भी वो मरीज लेकर रिम्स आते हैं तो उन्हें घंटों इंतजार करना पड़ता है. क्योंकि जो स्ट्रेचर मरीज को अस्पताल के बेड तक पहुंचाने के लिए एंबुलेंस में रखे जाते हैं उस स्ट्रेचर को घंटों तक कर्मियों के द्वारा नहीं छोड़ा जाता. एंबुलेंस के स्ट्रेचर पर ही घंटों तक अस्पताल के डॉक्टर मरीज का इलाज करते हैं क्योंकि अस्पताल में बेड की घोर कमी है.

एंबुलेंसकर्मियों ने बताया कि नियमानुसार एंबुलेंस का स्ट्रेचर सिर्फ मरीज को अस्पताल में लगे बेड तक पहुंचाने के लिए रखे जाते हैं. लेकिन रिम्स में एंबुलेंस के स्ट्रेचर को ही रख लिया जाता है और जब एंबुलेंसकर्मी स्ट्रेचर मांगते हैं अस्पताल में तैनात डॉक्टर्स द्वारा यह कहा जाता है कि बेड की कमी की वजह से मरीज का एंबुलेंस के स्ट्रेचर पर ही इलाज होगा. बेड की कमी को लेकर रिम्स अस्पताल के बाहर 108 एंबुलेंस की भीड़ लगी रहती है और उस में तैनात एंबुलेंस चालक और कर्मी परेशान रहते हैं. एंबुलेंस चालक बताते हैं कि समय पर स्ट्रेचर नहीं मिलने से दूसरे मरीज के परिजनों का फोन आता है तो उन्हें मना करना पड़ता है.

108 एंबुलेंस के स्टेट हेड मिल्टन सिंह बताते हैं कि इस तरह की समस्या वर्षों से है. इस समस्या को दूर करने को लेकर 108 एंबुलेंस संस्था की तरफ से यह प्रयास किया जा रहा है. रिम्स प्रबंधन से बात करके वहां पर कुछ स्ट्रेचर मुहैया कराई जाए और एंबुलेंस के स्ट्रेचर को तुरंत छोड़ा जाए. जिससे एंबुलेंसकर्मी अस्पताल से निकलकर तुरंत दूसरे मरीज को अपनी सेवा दे सकें.

एंबुलेंसकर्मियों की समस्या को देखते हुए ईटीवी भारत ने जब रिम्स के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. हिरेन बिरुआ से बात की तो उन्होंने बताया कि जो भी कमियां हैं उसको लेकर प्रबंधन गंभीर है. इमरजेंसी एंबुलेंसकर्मी सहित विभिन्न तरह की आ रही समस्याओं के समाधान को लेकर विचार कर रही. इसके बावजूद भी किसी पदाधिकारी एवं स्वास्थ्यकर्मी की वजह से समस्या आ रही है तो उस पर निश्चित ही कार्रवाई भी की जाएगी.

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